आम आदमी पार्टी के सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद आम आदमी पार्टी पूर्ण आंदोलन पर उतर आई है। पार्टी के तमाम नेता अपनी-अपनी वफादारी दिखाने के लिए सड़कों पर उतर गये। हर दिन धरना और प्रदर्शन। तरह-तरह की बयानबाजी और बहस। केन्द्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी और आम आदमी पार्टी के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। दोनों ही अपने-अपने ढंग से इस गिरफ्तारी की व्याख्या कर रहे हैं। आम आदमी पार्टी की पूरी कोशिश है कि केजरीवाल को जनता के बीच निर्दोष दिखाया जाए। इसके लिए वह विक्टिम कार्ड भी खेल रही है क्योंकि केजरीवाल इस खेल के बहुत बड़े खिलाड़ी हैं।
उनकी पत्नी पूर्व आईआरएस सुनीता भी मैदान में उतरकर अपने पति के लिए जनता से समर्थन-सहानुभूति मांग रही हैं। उन्हें लग रहा है कि ऐसे प्रयास से जनता बड़ी संख्या में उनके साथ हो जाएगी और केजरीवाल को पूरी सहानुभूति मिल जायेगी जिसका उन्हें लाभ भी मिलेगा। लेकिन एक बात साफ रही कि केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद जनता सड़कों पर नहीं उतरी। पार्टी को उम्मीद थी कि लोग गुस्से में आ जायेंगे लेकिन कहीं भी आक्रोशित जनता दिखाई नहीं दे रही है। अरविंद केजरीवाल के लिए जनता में अतिरिक्त सहानुभूति नहीं दिख रही है। हाँ, यह बात जरूर कही जाती रही कि होली के समय उन्हें गिरफ्तार क्यों किया गया। लेकिन अब होली का त्यौहार भी खत्म हो गया है और लोग अपने काम-धंधे में व्यस्त हो गये हैं। सोशल मीडिया के इस जमाने में किसी की राय बदलना बेहद कठिन है और यहां भी ऐसा हो रहा है।






















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