गृह मंत्रालय ने इस संबंध में आज शाम को बयान दिया। लेकिन उसके बयानों से पता चलता है कि संस्था के पास अपने खातों को फ्रीज कराने के अलावा और कोई रास्ता नहीं था।
सरकार ने कहा कि विपरीत सूचनाओं के बाद मंत्रालय ने 25 दिसम्बर (क्रिसमस वाले दिन) संस्था का फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशन एक्ट (एफसीआरए) के तहत लाइसेंस नवीनीकरण करने से मना कर दिया।
भारत सरकार ने कहा कि वैसे संस्था का लाइसेंस 31 दिसम्बर 2021 तक वैध है।
गृह मंत्रालय ने कहा कि मंत्रालय ने मिशनरीज आफ चैरिटीज के बैंक खाते फ्रीज नहीं किए। मंत्रालय को स्टेट बैंक आफ इंडिया ने बताया कि लाइसेंस का नवीनीकरण न होने पर मिशनरीज आफ चैरिटी ने एसबीआई से अनुरोध किया कि उसके बैंक खाते फ्रीज कर दिए जाएं।
भारत सरकार के बयान पर मिशनरीज आफ चैरिटीज ने किसी तरह की टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है।
यह मामला तूल पकड़ सकता है। एमनेस्टी इंटरनैशनल समेत तमाम अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संस्थाएं भारत सरकार के एफसीआरए नियमों पर आपत्ति जता चुकी हैं। इन्हीं नियमों की वजह से गरीबों, बच्चों और महिलाओं के लिए काम करने वाले कई एनजीओ भारत में अपना दफ्तर तक बंद कर चुके हैं।
संस्था के पास रास्ता ही क्या था
इसे तरह तरह समझिए।
एफसीआरए नियमों के तहत ढेरों एनजीओ और मानवाधिकार संस्थाओं को गृह मंत्रालय ने नोटिस भेज रखा है।
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मंत्रालय जब-तब सभी संस्थाओं को विपरीत सूचना मिलने का हवाला देकर उनके लाइसेंस कैंसल करता रहता है।
मिशनरीज आफ चैरिटीज के बारे में उसको विपरीत सूचनाएं कब मिलीं, मंत्रालय ने यह बात या तथ्य अपने बयान में नहीं बताया।
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ऐसे में अगर संस्था अपनी आर्थिक गतिविधि जारी रखती तो उस सरकार उस पर और सख्ती करती या उस पर देशद्रोह जैसे आरोप लगते।
जब संस्था का लाइसेंस गृह मंत्रालय ने कैंसल कर दिया तो उसके पास एकमात्र रास्ता यही बचा था कि वो एसबीआई से खाते फ्रीज करने को कहे।
उसने वही काम किया।सरकार यह कहकर अपना बचाव कर रही है कि संस्था ने ही अपने खाते फ्रीज करने को बैंक से कहा।
लेकिन खाते फ्रीज करने की वजह भी तो सरकार खुद ही बता रही है।
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