1970 के दशक से जब एआईएडीएमके के संस्थापक एमजीआर ने अपनी पार्टी को डीएमके का प्रमुख प्रतिद्वंद्वी बनाया, कई राजनीतिक खिलाड़ियों ने तमिलनाडु के द्विध्रुवीय राजनीतिक ढांचे को बाधित करने का प्रयास किया है। यहां तक कि भाजपा, जिसे लगभग पूरे देश में उल्लेखनीय सफलता मिली है, तमिलनाडु में अपनी पैठ बनाने में असमर्थ रही है। भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए को 2024 के आम चुनावों में 18.27 प्रतिशत वोट मिले और 39 निर्वाचन क्षेत्रों में से 12 में एआईडीएमके को दूसरे स्थान से ढकेल दिया।
एमजीआर ने कांग्रेस से शुरुआत की थी और फिर अपनी पार्टी बनाने से पहले डीएमके में भी रहे। राजनेता बनने से पहले विजयकांत सामाजिक कार्यकर्ता बी थे। राजनीति में आने के लिए सिर्फ स्टारडम ही काफी नहीं है, एक विचारधारा भी होनी चाहिए। विजयकांत और कमल हासन बिना विचारधारा के राजनीति में आये थे। आज कहीं नहीं हैं। बिना विचारधारा के राजनीति कैसे हो सकती है।
एमजीआर की तरह, स्टारडम विजय की यूएसपी हो सकती है। 50 की उम्र भी उनके साथ है यानी वो राजनीति के लिए पूरी तरह परिपक्व हैं। उनके समर्थकों का मानना है कि उन्होंने अपने फिल्मी करियर के चरम पर राजनीतिक कदम रखा है। विजय ने रैली में कहा भी था, "मैं अपने करियर के शिखर को छोड़कर, आप पर, लोगों पर भरोसा करते हुए राजनीति में आया हूं।"
विजय ने भरोसा दिलाया है कि टीवीके धर्मनिरपेक्ष और सामाजिक न्याय के सिद्धांतों पर काम करेगा। पार्टी के लक्ष्यों में लोकतंत्र, सामाजिक न्याय, धर्मनिरपेक्षता, समानता, सामाजिक सद्भाव, महिला शिक्षा और सशक्तिकरण, तर्कसंगत मानसिकता, दो-भाषा नीति, राज्य स्वायत्तता, प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण, नशा मुक्त तमिलनाडु बनाना है। कुल मिलाकर विजय की पार्टी एक ऐसी विचारधारा का समर्थन करती दिख रही है जो द्रविड़ विचारों और तमिल राष्ट्रवाद का मिश्रण है।