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कांग्रेस अध्यक्ष बनने के लिए तैयार हो जाएंगे अशोक गहलोत?

कांग्रेस का अगला अध्यक्ष कौन होगा, राजनीतिक गलियारों में इस सवाल की चर्चा इन दिनों तेज है। पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के इनकार के बाद इस पद के लिए राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का नाम सामने आया है। खबरों के मुताबिक कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अशोक गहलोत से कहा है कि वह कांग्रेस अध्यक्ष का पद संभालें। राहुल गांधी भी अशोक गहलोत को कांग्रेस अध्यक्ष के पद पर देखना चाहते हैं। 

लेकिन अशोक गहलोत का एक बयान आया है कि वह राजस्थान से दूर नहीं जाएंगे। इससे सवाल यह खड़ा हुआ है कि क्या अशोक गहलोत राहुल और सोनिया की बात को नहीं मानेंगे। ऐसा होने की संभावना शून्य है।

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रख सकते हैं शर्त 

सोनिया और राहुल के कहने पर अशोक गहलोत निश्चित रूप से कांग्रेस अध्यक्ष का पद संभाल लेंगे लेकिन इसमें वह एक शर्त जरूर रख सकते हैं। शर्त यह हो सकती है कि राजस्थान में उनके किसी करीबी नेता को ही मुख्यमंत्री बनाया जाए। लेकिन ऐसा होने पर राजस्थान में उनके सियासी प्रतिद्वंद्वी सचिन पायलट कांग्रेस से नाराज हो जाएंगे। 

Ashok Gehlot Congress Chief election 2022 - Satya Hindi

सचिन पायलट और अशोक गहलोत की सियासी लड़ाई किसी से छिपी नहीं है। अशोक गहलोत के कांग्रेस अध्यक्ष बनने पर सचिन पायलट ही इस पद के लिए कांग्रेस हाईकमान की पहली पसंद होंगे। क्योंकि सचिन पायलट राज्य के उप मुख्यमंत्री रहे हैं और 2018 में उनके प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए ही कांग्रेस को विधानसभा चुनाव में जीत मिली थी। 

तब भी पायलट मुख्यमंत्री पद के दावेदार थे लेकिन अशोक गहलोत के अनुभव को देखते हुए पार्टी हाईकमान में उन्हें फिर से यह जिम्मेदारी सौंपी थी। 

71 साल के अशोक गहलोत गांधी परिवार के बेहद भरोसेमंद नेताओं में से एक हैं। कांग्रेस नेतृत्व जानता है कि अशोक गहलोत ही पार्टी अध्यक्ष के पद के लिए कांग्रेस के अंदर सबसे मुफीद शख्स हैं।

तमाम चर्चाओं के बावजूद भी यह माना जा रहा है कि कांग्रेस सितंबर अंत तक या अक्टूबर की शुरुआत में नए अध्यक्ष का चुनाव कर लेगी। हालांकि उसने एलान किया था कि 21 अगस्त से कांग्रेस के अध्यक्ष की चुनाव प्रक्रिया शुरू होगी और 20 सितंबर 2022 तक पार्टी को नया अध्यक्ष मिल जाएगा।

Ashok Gehlot Congress Chief election 2022 - Satya Hindi

नहीं होगा विरोध

राहुल गांधी इस बात पर जोर दे चुके हैं कि गांधी परिवार से बाहर के ही किसी नेता को पार्टी की कमान सौंपी जानी चाहिए। गहलोत के बारे में प्लस प्वाइंट ये है कि पार्टी के भीतर उनके नाम का विरोध होने की संभावना शून्य है। 

कांग्रेस के G-23 गुट के नेताओं को छोड़ दें तो गहलोत के नाम पर तमाम बड़े नेता अपनी सहमति आसानी से दे देंगे और जैसी खबरें हैं कि G-23 गुट अध्यक्ष के चुनाव में अपना उम्मीदवार उतारने पर विचार कर रहा है, ऐसी सूरत में भी गहलोत गांधी परिवार का समर्थन होने की वजह से आसानी से चुनाव जीत जाएंगे। 

बेहद खराब दौर से गुजर रही कांग्रेस के लिए 2024 का लोकसभा चुनाव चुनौतियों वाला है। 50 साल से कांग्रेस में काम कर रहे अशोक गहलोत कश्मीर से लेकर केरल तक पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच चिर परिचित चेहरे हैं।

सियासत का विशाल अनुभव रखने वाले गहलोत को गांधी परिवार पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाना चाहता है तो यह कहा जा सकता है कि उनके लिए यह बेहद सम्मानजनक पद होगा क्योंकि लगातार दो लोकसभा चुनाव और कई राज्यों में चुनाव हार चुकी कांग्रेस पस्त तो है लेकिन वह लड़ती हुई भी दिख रही है। ऐसे में अगले पौने दो साल तक गहलोत अगर पूरे देश भर में घूम कर कांग्रेस कार्यकर्ताओं को खड़ा कर सकें, विपक्षी दलों से बेहतर तालमेल कर सकें और बड़े मसलों पर मोदी सरकार को घेर सकें तो 2024 के चुनाव में कांग्रेस और विपक्ष का प्रदर्शन सुधर सकता है। 

अगर विपक्षी दलों का एक संयुक्त गठबंधन बन गया तो यह गठबंधन 272 के आंकड़े तक भी पहुंच सकता है। 

राजनीति में कभी भी कुछ भी असंभव नहीं होता इसलिए अगर अशोक गहलोत राजस्थान को छोड़कर देश भर में कांग्रेस को मजबूत करने के काम में जुटते हैं तो निश्चित रूप से वेंटिलेटर पर चल रही कांग्रेस में जान आ सकती है।

गहलोत कांग्रेस के छात्र संगठन एनएसयूआई, युवक कांग्रेस से होते हुए कांग्रेस में जिला अध्यक्ष से लेकर प्रदेश अध्यक्ष, मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री, संगठन महासचिव जैसे बड़े पदों पर काम कर चुके हैं। अगर वह कांग्रेस में जान फूंकने में कामयाब रहे तो उनका नाम कांग्रेस के साथ ही देश की सियासत के इतिहास में भी एक ऐसे मजबूत नेता के रूप में दर्ज हो जाएगा जिसने उस वक्त कांग्रेस को जिंदा किया जब लगभग सभी लोग यह मान चुके थे कि कांग्रेस अब जिंदा नहीं हो सकती। 

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यह तय है कि कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने सोच-समझकर गहलोत को अध्यक्ष बनाने का विचार बनाया है और गहलोत के लिए भी देश के मुख्य विपक्षी दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद राजनीतिक जीवन में एक बड़ा टर्निंग प्वाइंट साबित हो सकता है। 
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क़मर वहीद नक़वी
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