दिल्ली का बटला हाउस मुठभेड़ विवाद क्या वोट बैंक की राजनीति, टेलीविज़न चैनलों में टीआरपी की लड़ाई और षड्यंत्र का सिद्धांत गढ़ने वालों का नतीजा था? इस एनकाउंटर ऑपरेशन का नेतृत्व करने वाले और तब दिल्ली पुलिस के संयुक्त पुलिस आयुक्त रहे करनाल सिंह का ऐसा ही मानना है। 19 सितंबर, 2008 में हुई उस मुठभेड़ और उससे जुड़े पूरे मामले पर उन्होंने एक किताब लिखी है। उस मुठभेड़ पर इतना विवाद हुआ कि इसकी गूँज पिछले लोकसभा चुनाव प्रचार अभियान तक में सुनाई दी। हालाँकि तब यह मामला बीजेपी द्वारा उठाया गया था, लेकिन अब तक इसका विवाद जितना कांग्रेस के ही नेताओं में आपसी मतभेद के कारण रहा उतना दूसरे दलों के आरोप-प्रत्यारोप को लेकर नहीं रहा है। आख़िर कांग्रेस के नेता ही आपस में क्यों इस मुद्दे पर उलझते रहे हैं और तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह इस पर क्या मानते थे?
किताब: बटला हाउस मुठभेड़ का सच जानती थी मनमोहन सरकार; तो विवाद क्यों होता रहा?
- राजनीति
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- 9 Sep, 2020

दिल्ली का बटला हाउस एनकाउंटर विवाद क्या वोट बैंक की राजनीति, टेलीविज़न चैनलों में टीआरपी की लड़ाई और षड्यंत्र का सिद्धांत गढ़ने वालों का नतीजा था?
करनाल सिंह की इस किताब में रहस्योद्घाटन से पहले यह जान लें कि कांग्रेस के नेताओं में ही इस मुद्दे पर कैसे आपसी खींचतान होती रही।