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भाजपा मिशन 2024 के लिए तैयार, हर राज्य के लिए रणनीति, 35 करोड़ वोटों का लक्ष्य

चार राज्यों के नतीजे रविवार को आए। तीन राज्यों राजस्थान, एमपी, छत्तीसगढ़ में भाजपा को बहुत महत्वपूर्ण जीत हासिल हुई, जबकि कांग्रेस को तेलंगाना में जीत मिली। भाजपा इस जीत से बहुत उत्साहित है। भाजपा तीन राज्यों में सफलतापूर्वक अपनाई गई रणनीति को आगे बढ़ा रही है। इन राज्यों में कड़े मुकाबले की भविष्यवाणी की गई थी, लेकिन नतीजे भाजपा के पक्ष में एकतरफा थे। छत्तीसगढ़ की जीत तो अप्रत्याशित है। नतीजों के अगले ही दिन से पार्टी चुनावी मोड में आ गई। उसने देश भर में बड़े पैमाने पर कार्यकर्ताओं और मतदाताओं को एकजुट करने का काम शुरू कर दिया है, जिसे लोकसभा चुनाव के लिए महाअभियान कहा जा रहा है। इसका मूल उद्देश्य सरकारी योजनाओं के 80 करोड़ लाभार्थियों तक पहुंचना और उन्हें भाजपा के लिए वोट करने के लिए प्रेरित करना है। वैसे देश की कुल आबादी 140 करोड़ से ज्यादा है।

एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि भाजपा ने लगभग 300 कॉल सेंटर पहले ही स्थापित कर दिए हैं। इनमें से अधिकांश जिला भाजपा कार्यालयों में हैं। इनके जरिए लगभग 50 लाख लोगों को जोड़ने का काम किया जा रहा है। ऐसे लोगों को तलाशा जा रहा है जो पार्टी में सक्रिय रूप से योगदान देना चाहते हैं।
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लोगों को जोड़ने के बाद इन्हीं कॉल सेंटरों के जरिए सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों तक पहुंचा जाएगा। इसके जरिए लाभार्थी सूची में 70 लाख और लोगों को जोड़ने की योजना बनाई गई है। दिसंबर के अंत या जनवरी की शुरुआत में, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी एक और लाभार्थी आउटरीच कार्यक्रम शुरू करेंगे। असली चुनाव अभियान शुरू होने से पहले फरवरी तक इसका समापन हो जाएगा।
इस सारे अभियान की कमान केंद्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव और भाजपा महासचिव सुनील बंसल को सौंपी गई है। हालांकि सारी रणनीति बनाने में दिग्गज मोगरा की जार्विस कंसल्टिंग की मदद भी ली गई है। 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 22 करोड़ वोट मिले थे और आंतरिक बैठकों में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने अगले साल के लिए 35 करोड़ यानी पांच साल पहले की तुलना में लगभग 60% अधिक वोट हासिल करने का लक्ष्य रखा है।
तीन राज्यों की जीत का अनुभवभाजपा ने तीन राज्यों में जो जीत हासिल की है, अब उसी के सहारे लोकसभा 2024 को जीतने की तैयारी की जा रही है। जो प्रयोग हाल के चुनाव में किए गए, वही प्रयोग अब बाकी राज्यों में भी किए जाएंगे। पार्टी कार्यकर्ताओं ने सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों पर अपना ध्यान केंद्रित करके  तीन राज्यों में चुनाव का खेल बदल दिया। पार्टी अब पूरे देश में जीत के इस फॉर्मूले का विस्तार करने जा रही है। 
हाल के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने तीन स्तरीय रणनीति पर काम किया। क्या थी वो रणनीति, जानिएः
1. कॉल सेंटरों ने दिलाई सफलताः पार्टी ने तीन राज्यों में 50-60 एजेंटों के साथ 20 कॉल सेंटर स्थापित किए। इनमें से नौ कॉल सेंटर मध्य प्रदेश में थे, जबकि राजस्थान में छह और छत्तीसगढ़ में पांच थे। इन कॉल सेंटरों को वरिष्ठ नेतृत्व और स्थानीय स्तर के कार्यकर्ताओं के बीच सबसे मुख्य बिंदु बनाया गया था। इसी मुख्य बिंदु पर स्थानीय कार्यकर्ता रिपोर्ट देते थे और सुझाव प्राप्त करते थे।

2. पुराने कार्यकर्ताओं को खोजा गया

विधानसभा चुनाव से चार महीने पहले ही केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने प्रदेश नेतृत्व और कम्युनिकेशन टीमों को पुराने कार्यकर्ताओं से संपर्क करने को कहा। भाजपा ने तीन राज्यों के लिए अलग-अलग नाम से मोबाइल ऐप बनाए: संगठन (एमपी), विजय संकल्प (राजस्थान) और संगठन शक्ति (छत्तीसगढ़)। राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा सदस्यता और बूथ स्तर पर कनेक्टिविटी के लिए सरल ऐप पर काम किया गया। चुनावी राज्यों में ज्यादा स्थानीय जानकारी के साथ सरल ऐप का विस्तार था।

इसके जरिए चुनाव के मद्देनजर राज्यों में पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए एक अलग मंच बनाने का विचार था। भाजपा मिस्ड कॉल देकर किसी को भी पार्टी का सदस्य बनाती है। लेकिन इस तरह से पार्टी में शामिल होने वाले सभी लोग सक्रिय सदस्य नहीं बन पाते। इसने ऐसे सदस्यों से जुड़ने और पार्टी के लिए समय देने के इच्छुक लोगों को छांटने का प्रयास करने के लिए तीन राज्यों में कॉल सेंटरों के माध्यम से एक अभियान चलाया। इसके जरिए तीन राज्यों में 10 लाख नए सक्रिय पार्टी कार्यकर्ताओं को जोड़ा गया, जिनमें से मध्य प्रदेश में 450,000 से अधिक कार्यकर्ता थे।

3. लाभार्थियों से संपर्क पर जोरः चुनावी राज्यों में भाजपा ने सफलता के फार्मूले के रूप में लाभार्थी मतदाताओं से संपर्क किया। तीनों राज्यों के लिए अलग-अलग रणनीति अपनाई गई। एमपी में 90 विधानसभा सीटों पर फोकस किया गया, जहां भाजपा का प्रभाव भी था। वहां यह अभियान पीएम आवास, पीएम किसान और लाडली बहना जैसी कुछ सरकारी योजनाओं पर केंद्रित था। 1 करोड़ 30 लाख लाडली बहना लाभार्थियों से 30 लाख 50 हजार कार्यकर्ता नेटवर्क के जरिए संपर्क किया गया। पार्टी ने हिसाब लगाया था कि एक लाभार्थी कम से कम दो-तीन वोट प्रभावित कर सकता है।
इस तरह तीनों राज्यों में ढाई करोड़ से लेकर करीब तीन करोड़ लोगों की सूची तैयार की गई, जिन्हें या तो कम से कम एक योजना का लाभ मिला था या नहीं मिला था।

मतदान केंद्र तक पहुंचे लाभार्थी

वोटिंग वाले दिन, मतदान केंद्रों पर काउंटर स्थापित करने से लेकर लाभार्थी मतदाताओं को लाने तक, सब कुछ पार्टी कार्यकर्ता ऐप पर तुरंत अपडेट कर रहे थे। मध्य प्रदेश में, लाडली बहना योजना के लाभार्थियों और महिला मतदाताओं का मतदान पहले भाग में धीमा था लेकिन दोपहर बाद बढ़ गया। एमपी में यह योजना 88% तक क्रियान्वित हुई थी, जबकि राजस्थान और छत्तीसगढ़ में यह 70% लागू हो सकी थी।

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बहरहाल, लोकसभा चुनाव की तैयारी में भाजपा बाज़ी मारती दिख रही है और दूसरी तरह इंडिया गठबंधन यानी विपक्ष अभी तक अपने मतभेदों को सुलझाने में लगा है। लेकिन इसका मतलब यह भी नहीं है कि भाजपा के लिए लोकसभा चुनाव 2024 बहुत आसान होने जा रहा है। अगर हाल के विधानसभा चुनावों की बात की जाए तो भाजपा और कांग्रेस को मिले कुल वोटों में ज्यादा दूरी नहीं है। कांग्रेस को 40 फीसदी वोट तो मिले ही हैं। जबकि भाजपा ने पिछले चुनाव में 38 फीसदी वोट हासिल कर सरकार बना ली थी।
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क़मर वहीद नक़वी
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