केंद्रीय मंत्री और लोजपा (रामविलास) प्रमुख चिराग पासवान ने बिहार विधानसभा चुनाव से पहले अपने 'बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट' नारे के साथ राजनीतिक हलचल तेज कर दी है। इससे एनडीए दलों में खलबली मची हुई है।
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) के प्रमुख चिराग पासवान ने अपने 'बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट' के नारे को दोहराकर सियासी हलचल मचा दी है। चिराग ने हाल ही में एक न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा, "मेरा ध्यान बिहार पर है, बिहार मुझे बुला रहा है।" उनकी इस टिप्पणी को भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और जनता दल (यूनाइटेड) के खेमों में सीट बंटवारे के लिए दबाव बनाने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है।
चिराग की पार्टी, एलजेपी (राम विलास), बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव में 40 सीटों पर दावा ठोक रही है। 8 अप्रैल को एक्सप्रेस अड्डा कार्यक्रम में चिराग ने अपने 'बिहार फर्स्ट' के नजरिए को रेखांकित करते हुए कहा था, "मैं 14 करोड़ बिहारियों की बात करता हूँ। बिहार से बाहर निकलकर बिहारी हर क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हैं।" उन्होंने अपनी पार्टी की रणनीति में महिलाओं और युवाओं (महिला और युवा फॉर्मूला) को विशेष महत्व देने की बात भी कही।
हालांकि, चिराग ने यह स्पष्ट किया है कि वह इस बार विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे, लेकिन उनकी नजर 2030 के चुनावों पर हो सकती है। एक एलजेपी (राम विलास) नेता ने बताया कि चिराग की हालिया बिहार-केंद्रित टिप्पणियाँ उनकी पार्टी के लिए सम्मानजनक सीट हिस्सेदारी हासिल करने की रणनीति का हिस्सा हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव में चिराग की पार्टी ने बिहार में सभी पांच सीटें जीतकर शानदार वापसी की थी, जबकि एनडीए के बड़े सहयोगी भाजपा और जद (यू) ने क्रमशः 12-12 सीटें जीती थीं।
भाजपा और जेडीयू नेताओं ने चिराग के बयानों को सीटों के लिए मोलभाव की कोशिश के रूप में देखा है। एक भाजपा नेता ने कहा, "किसी पार्टी को अकेले चुनाव लड़ने की हिम्मत तभी होती है, जब उसका वोट शेयर कम से कम 15% हो। चिराग जानते हैं कि 2020 में उनकी पार्टी केवल जेडीयू के लिए वोट काटने वाली साबित हुई थी।" वहीं, जेडीयू के एक नेता ने कहा, "2020 में चिराग ने हमें कई सीटों पर नुकसान पहुंचाया था, लेकिन इस बार वह हमारे साथ मजबूती से हैं।"
2020 के विधानसभा चुनाव में चिराग ने एनडीए से अलग होकर अकेले 135 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिसमें से 115 सीटों पर उनकी पार्टी ने जेडीयू के खिलाफ उम्मीदवार उतारे थे। इस रणनीति से जेडीयू को नुकसान हुआ और उनकी सीटें 2015 के 70 से घटकर 43 रह गईं।
बिहार के उपमुख्यमंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता विजय कुमार सिन्हा ने चिराग का नाम लिए बिना कहा, "कोई अभिनेता बिहार का मुख्यमंत्री नहीं बनेगा। केवल जमीनी नेता ही इस पद के हकदार हैं।" उल्लेखनीय है कि चिराग ने अपने करियर की शुरुआत एक फिल्म अभिनेता के रूप में की थी, लेकिन बाद में उन्होंने राजनीति में कदम रखा।
चिराग की रणनीति और उनके 'बिहार फर्स्ट' के नारे ने एनडीए के भीतर और बाहर सियासी चर्चाओं को हवा दी है। बिहार विधानसभा चुनाव, जो इस साल के अंत में होने की संभावना है, में चिराग की भूमिका और उनकी पार्टी की हिस्सेदारी पर सभी की नजरें टिकी हैं।