आने वाले सालों में जब एक दिन प्रधानमंत्री के व्यक्तित्व का तिलिस्म किसी कमजोर पड़ते तूफ़ान की तरह फ़ीका पड़ने लगेगा या बीजेपी को सत्ता हाथों से फिसलती दिखाई देगी, तब क्या नरेंद्र मोदी या उनकी पार्टी का कोई दूसरा नेता राहुल गांधी की तरह भारत की सड़कों पर पैदल निकल कर जनता का सामना करने की हिम्मत जुटा पाएगा?
भारत जोड़ो यात्रा ने राहुल को चतुर व कांग्रेस को भय-मुक्त बना दिया!
- राजनीति
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- 3 Dec, 2022

देश-हित में राहुल की यात्रा का योगदान यह माना जा सकता है कि नागरिक सत्तारूढ़ दल और उसके आनुषंगिक संगठनों के उग्रवादी कार्यकर्ताओं से कम डरने लगेंगे। महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश जैसे बीजेपी शासित और सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील प्रदेशों में भी यात्रा का हज़ारों नागरिकों द्वारा पूरे रास्ते बिना किसी भय के स्वागत किया गया।
क्या उन्हें भी इसी तरह की भीड़ और आत्मीयता की उम्मीद करनी चाहिए? कंठ-कंठ तक कष्टों से भरे लोगों के पास तब तक अपने मन की बात कहने और उनसे पूछने के लिए काफ़ी सवाल जमा हो जाएँगे।
प्रधानमंत्री ने मई 2014 में अपनी संसदीय पारी देश को कांग्रेस से मुक्त करने के संकल्प के साथ प्रारंभ की थी। अपने साढ़े आठ साल के एकछत्र शासनकाल के दौरान वे तो विपक्ष-मुक्त भारत की स्थापना नहीं कर पाए पर राहुल गांधी से उम्मीद की जा सकती है कि यह युवा नेता अपनी पाँच महीनों की पैदल यात्रा से ही कांग्रेस और देश को बीजेपी से भय-मुक्त कर देंगे।