loader

कांग्रेस: कलह थामने की कोशिश, ‘असंतुष्टों’ को मिली तवज्जो 

कांग्रेस में कुछ महीने पहले छिड़े चिट्ठी विवाद के बाद हाशिए पर धकेले जा चुके सियासी दिग्गजों को पार्टी में फिर से तवज्जो मिली है। माना जा रहा है कि वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल के हालिया इंटरव्यू में यह कहने पर कि ‘नेतृत्व उनकी बात नहीं सुनता’, अलर्ट हुए आलाकमान ने यह क़दम उठाया है। 

पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शुक्रवार को आर्थिक, विदेश और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों के लिए तीन कमेटियों का गठन किया है और इनमें ग़ुलाम नबी आज़ाद, शशि थरूर, वीरप्पा मोइली और आनंद शर्मा की वापसी हुई है। ये सभी लोग उन 23 वरिष्ठ नेताओं में शामिल हैं, जिन्होंने चिट्ठी लिखकर कांग्रेस नेतृत्व पर कई गंभीर सवाल खड़े किए थे। 

ताज़ा ख़बरें

सिब्बल ने ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ को दिए इंटरव्यू में कहा था, ‘हम में से कुछ लोगों ने बताया कि कांग्रेस में आगे क्या किया जाना चाहिए। लेकिन हमारी बात सुनने के बजाय उन्होंने हमसे मुंह फेर लिया।’ सिब्बल के बिहार विधानसभा चुनाव और कुछ राज्यों के उपचुनावों के नतीजों को लेकर यह कहने पर कि लोग कांग्रेस को प्रभावी विकल्प के रूप में नहीं देखते, इसके बाद तमाम नेता उन पर हमलावर हो गए थे। 

इससे पार्टी की खासी फजीहत हो रही थी क्योंकि सिब्बल के ख़िलाफ़ बयानबाज़ी किसी पार्टी फ़ोरम में नहीं मीडिया में हो रही थी। ऐसे में नेतृत्व पर सवाल खड़े हो रहे थे कि वह आख़िर क्यों चुप बैठा हुआ है और अनुशासन का डंडा क्यों नहीं चलाता। 

लेकिन ताज़ा बनी तीन कमेटियों में इन ‘असंतुष्टों’ को रखे जाने के बाद लगता है कि आलाकमान जागा है और उसने ऐसा करके इस कलह को थामने की कोशिश की है।

इन कमेटियों में पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह, पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम, लोकसभा में संसदीय दल के नेता रहे मल्लिकार्जुन खड़गे सहित कुछ और वरिष्ठ नेताओं को शामिल किया गया है। 

कांग्रेस में चल रहे घमासान पर देखिए चर्चा-  
चिट्ठी विवाद के बाद कांग्रेस की लड़ाई चौराहे पर आ गई थी और चिट्ठी लिखने वाले वरिष्ठ नेताओं को पार्टी कार्यकर्ताओं ने आड़े हाथों लिया था। इसमें सिब्बल, ग़ुलाम नबी आज़ाद और जितिन प्रसाद के ख़िलाफ़ तो मीडिया में आकर काफी कुछ कहा गया था। लेकिन तब भी आलाकमान ने इस कलह को रोकने की गंभीर कोशिश नहीं की थी और ग़ुलाम नबी आज़ाद को पार्टी महासचिव के पद से हटाकर यह संदेश देने की कोशिश की थी कि वह बग़ावत की आवाज़ को बर्दाश्त नहीं करेगा। 
Congress Dissenters introduced in new panels  - Satya Hindi

सिब्बल की हुई आलोचना 

सिब्बल के इंटरव्यू के बाद राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सहित वरिष्ठ नेताओं तारिक़ अनवर, सलमान खुर्शीद और कांग्रेस संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरी ने उनकी आलोचना की थी। अधीर ने कहा था, ‘अगर कुछ नेता सोचते हैं कि कांग्रेस उनके लिए सही दल नहीं है तो उन्हें नई पार्टी बना लेनी चाहिए या वे कोई दूसरी ऐसी पार्टी में भी शामिल हो सकते हैं, जो उन्हें अपने लिए सही लगती हो।’ 

राजनीति से और ख़बरें

इसके बाद मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी असंतुष्ट नेताओं को चेतावनी दी थी और कहा था कि ऐसे नेता पार्टी को मजबूत करें न कि आरएसएस को। 

ख़ैर, कांग्रेस आलाकमान ने ‘असंतुष्टों’ में शामिल चार वरिष्ठ नेताओं को तीन अहम कमेटियों में जगह देकर यह जताने की कोशिश की है कि पार्टी नेतृत्व किसी से नाराज नहीं है और सभी का पार्टी में सम्मान है। देखना होगा कि पिछले कुछ दिनों से अपने ही घर में जारी यह सियासी युद्ध सोनिया गांधी के इस क़दम के बाद रूक जाएगा या यूं ही चलता रहेगा। 

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

राजनीति से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें