गुजरात की धरती पर कांग्रेस ने अपने ऐतिहासिक अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी महाधिवेशन के साथ एक नया अध्याय शुरू किया है। 64 साल बाद गुजरात में हुआ यह अधिवेशन मंगलवार और बुधवार को अहमदाबाद में आयोजित किया गया। कांग्रेस ने इस मौके को न सिर्फ अपनी संगठनात्मक ताकत को मजबूत करने के लिए चुना, बल्कि इसे बीजेपी के गढ़ में अपनी वापसी की शुरुआत के रूप में भी पेश किया। कांग्रेस नेता राहुल गांधी और पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने अपने भाषणों के जरिए संगठनात्मक मज़बूती, बीजेपी पर हमला, और जनमुद्दों पर फोकस करने का संदेश दिया। यह अधिवेशन 'न्यायपथ: संकल्प, समर्पण और संघर्ष' की थीम पर आधारित था।
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने कहा कि 'आरएसएस बीजेपी हर रोज़ संविधान पर हमला कर रहे हैं। ये विचारधारा की लड़ाई है, इसलिए इन्हें सिर्फ़ कांग्रेस पार्टी ही रोक सकती है। आरएसएस-बीजेपी को कांग्रेस ही हराएगी।'
कांग्रेस इस महाधिवेशन को केवल एक संगठनात्मक आयोजन नहीं, बल्कि अपनी जड़ों की ओर लौटने और भविष्य की राह तय करने के एक बड़े मिशन के रूप में देख रही है। यह बैठक साबरमती रिवरफ्रंट पर सरदार पटेल मेमोरियल में हुई, जो महात्मा गांधी और सरदार पटेल की विरासत से जुड़ा स्थान है।
महाधिवेशन में दो दिन तक चली चर्चाओं में कई अहम फैसले लिए गए। पहले दिन मंगलवार को कांग्रेस कार्य समिति की बैठक हुई, जिसमें संगठन में बदलाव और जमीनी स्तर पर मजबूती पर जोर दिया गया। बुधवार को कांग्रेस के पूर्ण अधिवेशन में 1700 से अधिक प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। इसमें जिला कांग्रेस कमेटियों को सशक्त करना, बेरोजगारी, महंगाई और संविधान की रक्षा जैसे मुद्दों पर जनता से जुड़ाव बढ़ाना और 'संविधान बचाओ यात्रा' शुरू करने की घोषणा करने जैसे फ़ैसले लिए गए।
राहुल गांधी क्या-क्या बोले?
- राहुल गांधी ने अपने भाषण में गुजरात को कांग्रेस की जड़ों से जोड़ा और बीजेपी पर तीखे हमले किए।
- राहुल ने कहा कि गुजरात महात्मा गांधी और सरदार पटेल की जन्मभूमि है, जहाँ से कांग्रेस की विचारधारा का जन्म हुआ। उन्होंने इसे पार्टी के लिए एक प्रतीकात्मक और भावनात्मक शुरुआत बताया।
- उन्होंने कहा, 'गुजरात वह धरती है जहाँ से कांग्रेस की विचारधारा शुरू हुई। यहाँ से हम फिर से संगठन को नई ऊर्जा देंगे।'
- उन्होंने बीजेपी को संविधान और लोकतंत्र विरोधी करार दिया। राहुल ने आरोप लगाया कि बीजेपी ने गुजरात को "भय और विभाजन" का अड्डा बना दिया है, जबकि कांग्रेस इसे न्याय और एकता की ओर ले जाना चाहती है।
- राहुल ने कहा, 'बीजेपी ने गुजरात की आत्मा को छीनने की कोशिश की। हम इसे वापस लाएंगे।'
- राहुल ने पहले भी गुजरात में कार्यकर्ताओं से कहा था कि पार्टी में ऐसे लोगों को "फिल्टर" करना होगा जो बीजेपी के लिए काम करते हैं। इस अधिवेशन में भी उन्होंने संगठन को जमीनी स्तर पर मजबूत करने और जनता से जुड़ने पर जोर दिया।
2027 के विधानसभा चुनावों को लक्ष्य बनाते हुए राहुल ने कहा कि कांग्रेस को गुजरात में नई दिशा और ऊर्जा की जरूरत है। यह एक लंबी लड़ाई का हिस्सा है, जिसमें विचारधारा को प्राथमिकता दी जाएगी।
मल्लिकार्जुन खड़गे क्या बोले
- खड़गे ने अपने समापन भाषण में बीजेपी और आरएसएस पर जमकर निशाना साधा और संगठन के लिए कड़े संदेश दिए।
- खड़गे ने कहा कि बीजेपी और आरएसएस ने गांधी और पटेल की विरासत को तोड़-मरोड़कर पेश किया और संवैधानिक मूल्यों पर हमला किया।
- उन्होंने कहा, 'मोदी ने नेहरू की विरासत को मिटाने की कोशिश की। बीजेपी सिर्फ अपने दोस्तों को फायदा पहुँचाने के लिए सार्वजनिक संपत्ति बेच रही है।'
- खड़गे ने साफ कहा कि जो लोग पार्टी के काम में योगदान नहीं देते, उन्हें अब आराम करना चाहिए। उन्होंने और राहुल ने मिलकर फैसला लिया कि भविष्य में उम्मीदवारों के चयन में जिला अध्यक्षों की भूमिका बढ़ाई जाएगी।
- खड़गे ने कहा, 'जो काम नहीं करते, उन्हें बाहर का रास्ता देखना होगा। जिलाध्यक्षों को सशक्त करेंगे।'
- खड़गे ने महंगाई, बेरोजगारी और छोटे व्यापारियों की समस्याओं को उठाया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस इन मुद्दों पर जनता की आवाज बनेगी और सरकार को जवाबदेह बनाएगी।
- खड़गे ने आरोप लगाया कि बीजेपी ने पिछले 11 सालों में संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर किया। उन्होंने कार्यकर्ताओं से इन मूल्यों को बचाने के लिए संघर्ष करने को कहा।
प्रणति शिंदे का यह कहना कि 'गुजरात की मिट्टी में कांग्रेस का खून मिला हुआ है' और दीपेंद्र हुड्डा का गांधी-पटेल की जन्मभूमि को नमन करना, पार्टी के ऐतिहासिक गौरव को फिर से स्थापित करने की कोशिश को दिखाता है। यह एक भावनात्मक अपील है, जो गुजरात के लोगों से पुराने रिश्ते को जोड़ने का प्रयास करती है।
संविधान को बचाने की बात प्रमुखता से आई। यह बीजेपी पर हमले का एक तरीका है, जिसे कांग्रेस संविधान विरोधी करार देती रही है। 'विचारधारा को लेकर आगे बढ़ने की रणनीति' का बयान बताता है कि यह बैठक एक ठोस योजना बनाने का मंच थी।
पार्टी की चार मुख्य रणनीतियाँ
- संगठन को मज़बूत करना: जिला और तालुका स्तर पर नेतृत्व को सक्रिय करना।
- जनमुद्दों पर फोकस: बेरोजगारी और महंगाई जैसे मुद्दों को जनता तक ले जाना।
- भावनात्मक जुड़ाव: गांधी और पटेल की विरासत को बीजेपी के खिलाफ हथियार बनाना।
- गठबंधन की कोशिश: इंडिया गठबंधन को मजबूत करने की बात, हालाँकि यह अभी कमजोर दिख रहा है।
यह बैठक कांग्रेस के लिए एक रीसेट बटन की तरह है। यह कार्यकर्ताओं में जोश भर सकती है। बनासकांठा की जीत को आधार बनाकर पार्टी आगे बढ़ सकती है।
बीजेपी का संगठन और नरेंद्र मोदी-अमित शाह की जोड़ी गुजरात में बेहद मज़बूत है। कांग्रेस का कार्यकर्ता आधार कमजोर है, और आप जैसे नए खिलाड़ी उसके वोट काट रहे हैं। यानी कांग्रेस के लिए योजना को जमीन पर उतारना आसान नहीं होगा।
गुजरात महाधिवेशन से साफ़ है कि कांग्रेस अपनी जड़ों की ओर लौटना चाहती है और गुजरात को बीजेपी से छीनने का सपना देख रही है। यह बैठक एक भावनात्मक और रणनीतिक शुरुआत है, लेकिन सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि क्या पार्टी अपने संकल्प को हकीकत में बदल पाती है। 2027 तक का सफर लंबा है, और यह देखना बाकी है कि क्या कांग्रेस गुजरात में बीजेपी के 'अजेय किले' को भेद पाएगी। और यह भी देखना अहम होगा कि क्या पार्टी बड़े बदलाव ले आ पाती है और राष्ट्रीय स्तर पर बीजेपी को बड़ी चुनौती दे पाती है!