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बालाकोट हमले पर कांग्रेस ने बीजेपी को घेरा, सरकार से माँगा जवाब

बालाकोट हमले में मारे गए लोगों की तादाद पर सरकार के बड़े-बड़े दावों, वायु सेना की चुप्पी और इसके राजनीतिकरण के बीच कांग्रेस ने अपनी चुप्पी तोड़ी है। उसने कई दिनों के बाद अब सवाल पूछना शुरू किया है। कांग्रेस नेता और पंजाब सरकार में मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने सवाल उठाया है कि क्या वाक़ई बालाकोट हमले में 300 आतंकवादी मारे गए थे।
सिद्धू ने ट्वीट कर कहा है कि सरकार साफ़-साफ़ यह बताए क्या वाक़ई बालाकोट में 300 आतंकवादी मारे गए थे। उन्होंने इसे चुनावी हथकंडा क़रार दिया और कहा कि सेना का राजनीतिक इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। 
सिद्धू ने कहा, '300 मारे गए? हाँ या ना? फिर इसका मकसद क्या था? आप आतंकवादियों को ख़त्म कर रहे थे या पेड़ उखाड़ रहे थे? क्या यह चुनावी दिखावा था। सेना का राजनीतिक इस्तेमाल बंद कीजिए।' 
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सांसद कपिल सिब्बल ने कहा है कि मोदी सरकार अंतरराष्ट्रीय मीडिया में चल रही इन ख़बरों का जवाब दे, जिनमें यह कहा जा रहा है कि बालाकोट में एक भी आतंकवादी नहीं मारा गया है। उन्होंने कहा, 'जब अंतरराष्ट्रीय मीडिया पाकिस्तान के ख़िलाफ़ कुछ कहता है, मोदी खुश हो जाते हैं, इस समय वह चुप हैं। उन्हें इन बातों का जवाब देना चाहिए। क्या अंतरराष्ट्रीय प्रेस भी मोदी के ख़िलाफ़ है?'  
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कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने कहा, 'हम बालाकोट हमले पर सवाल नहीं कर रहे हैं, न सबूत माँग रहे हैं। यह काम तो ख़ुद मोदी कर रहे हैं। मोदी ने कहा है कि रफ़ाल होता तो हमले का नतीज़ा कुछ और होता। इसका मतलब क्या है?'
कांग्रेस ने यह सवाल ऐसे समय पूछा है जब प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी ने विपक्ष की चुप्पी के बावजूद उल्टे उसी पर हमला कर दिया और कटघरे में खड़ा कर दिया। उन्होंने आम सभा में कहा, 'मोदी से नफ़रत करने के नाम पर कुछ लोग देश से नफ़रत करने लगे हैं।' उन्होंने कांग्रेस का नाम नहीं लिया, पर उनके निशाने पर कांग्रेस था और उसके साथ पूरा विपक्ष था।
मोदी के कहने का मतलब यह था कि विपक्ष उनसे नफ़रत करने के नाम पर देश से नफ़रत करता है। लेकिन दिलचस्प बात यह है कि अब तक कांग्रेस समेत पूरा विपक्ष इस मुद्दे पर अब तक चुप्पी साधे हुए था। कांग्रेस ने सेना तो दूर, सरकार से भी नहीं पूछा था कि बालाकोट हमले में आख़िर कितने लोग मारे गए हैं।
इसके उलट सरकार और सत्ताधारी दल ही तरह-तरह के बातें करते रहे और उलझन पैदा करते रहा। विदेश सचिव ने पहले कहा कि हमले में जैश का कमांडर, आतंकवाद का प्रशिक्षण देने वाले लोग और दूसरे कई आतंकवादी मारे गए हैं, बाद में उन्होंने कहा कि उन्हें नहीं पता कितने मरे हैं। केंद्रीय मंत्री एस.एस. अहलूवालिया ने सफ़ाई दी कि हमला प्रतीकात्मक था और किसी को मारना मक़सद नहीं था। लेकिन उसके बाद बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कह दिया कि हवाई हमले में 250 लोग मारे गए। 
दरअसल, बीजेपी ने बालाकोट हमले को चुनावी मुद्दा बनाने का फ़ैसला कर लिया है और उसने इस पर काम भी शुरु कर दिया है। इसे इससे समझा जा सकता है कि एक जगह बीजेपी ने चुनाव जुलूस निकाला, गाड़ी पर पार्टी के झंडे लगे थे और सबसे आगे विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान की बड़ी सी तस्वीर लगाई गई थी।  
बीजेपी ने पहले ही राष्ट्रवाद के नाम पर एसा माहौल बना दिया है कि सरकार या मोदी से सवाल पूछने वाले को देशद्रोही बताया जा रहा है। 
बालाकोट हमले पर अब तक विपक्ष के चुप रहने से सत्तारूढ़ दल को शह मिली और उसने इसके बल पर विपक्ष को ही घेरे में ले लिया। हालत यह है कि सरकार ही विपक्ष पर हमलावर हो रही है और विपक्ष ख़ुद को असहाय पा रहा है। ऐसे में कांग्रेस ने सरकार से सवाल पूछ कर मामले को एक दिलचस्प मोड़ दे दिया है।
ध्यान देने लायक बात यह भी है कि कांग्रेस ने बालाकोट पर सीधा सवाल नहीं पूछा है। उसने यह कहा है कि सरकार ही बताए कितने लोग मरे हैं और सरकार अंतरराष्ट्रीय मीडिया को जवाब दे। 
ध्यान देने लायक बात यह है कि भारतीय वायु सेना ने कहा है कि बालाकोट हमले के सबूत उसने सरकार को दे दिए हैं। अब यह सरकार पर निर्भर है कि वह इसे जारी करती है या नहीं। लेकिन मारे गए आतंकवादियोें की तादाद इसने भी नहीं बताया। 
ऐसे में सरकार से यह सवाल पूछा जाना स्वाभाविक है कि बालाकोट में कितने लोग मारे गए, वह बताए। यह सवाल सेना से कोई नहीं पूछ रहा है, कांग्रेस भी नहीं पूछ रही है। यह देखना दिलचस्प होगा कि इसके बाद बीजेपी और आक्रामक होगी या इस पर रक्षात्मक रवैया अपनाएगी। पर्यवेक्षकों का कहना है कि सत्तारूढ़ दल इस पर आक्रामक रुख अपनाए, इसकी संभावना ज़्यादा है क्योंकि राष्ट्रवाद का मामला जितना उग्र होगा, बीजेपी को उतना ही फ़ायदा होगा।  
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क़मर वहीद नक़वी
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