आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच सोमवार को बहुत सौहार्दपूर्ण माहौल में सीट शेयरिंग की बातचीत के दावे किए गए, लेकिन उसके उलट आप की मांग ने कांग्रेस को तमाम विकल्पों और समीकरणों पर सोचने पर मजबूर कर दिया। सूत्रों के मुताबिक आप ने हरियाणा में 3 सीटें और गुजरात में एक सीट मांगी है। दिल्ली में वो कांग्रेस को सिर्फ 3 सीट देना चाहती है।
हरियाणा में कांग्रेस के नेता आप की इस मांग से हैरान हैं। क्योंकि हरियाणा में आप का आधार बहुत कमजोर है। 2019 में हरियाणा विधानसभा के चुनाव लोकसभा चुनाव के बाद हुए थे। विधानसभा चुनाव में आप को सिर्फ 0.48 फीसदी वोट मिले थे जो नोटा को मिले वोटों से भी कम है। हालांकि आप प्रमुख खुद हरियाणा के रहने वाले हैं, पार्टी का संगठन भी कुछ जिलों तक सीमित है। इसके बावजूद आप लोकसभा की तीन सीटें मांग रही हैं। यानी विधानसभा के हिसाब से वो 21 विधानसभा सीटों को प्रभावित करना चाहती है। हरियाणा में त्रिकोणीय मुकाबला होता रहा है। जिसमें कांग्रेस-भाजपा और चौटाला परिवार की दो पार्टियां जेजेपी (JJP) और इनेलो (INLD) आपस में लड़ती रही हैं। चौटाला परिवार में फिलहाल जेजेपी ही प्रभावी है, जबकि इनेलो अंतिम सांसे गिन रही है।
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हरियाणा में आप ने 2019 के विधानसभा चुनाव में 90 सीटों में से 46 पर अपने उम्मीदवार उतारे थे। चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक आप के प्रत्याशी अपनी सीटों पर एक हजार वोट भी नहीं पा सके। केजरीवाल अपने गृह राज्य में चुनाव प्रचार तक के लिए नहीं गए, क्योंकि उन्हें अंदरुनी स्थिति पता थी। अगर वो प्रचार के लिए जाते तो यह हार उनके नाम लिखी जाती।
आप ने लोकसभा चुनाव 2019 में 9 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 40 से ज्यादा प्रत्याशी उतारे थे। लेकिन उसे सिर्फ पंजाब की संगरूर सीट पर जीत हासिल हुई थी। जबकि उसी पंजाब में 2014 के लोकसभा चुनाव में आप ने चार सीटें जीतकर सभी को हैरान कर दिया था।
आप दिल्ली में कांग्रेस को सिर्फ 3 सीटें देना चाहती है। लेकिन उसने 2019 के अपने रेकॉर्ड पर गौर नहीं किया। 2019 में आम आदमी पार्टी एक भी लोकसभा सीट जीत नहीं सकी थी। दक्षिणी और उत्तर पश्चिमी दिल्ली में उसके प्रत्याशी जरूर दूसरे नंबर पर रहे थे लेकिन बाकी पांच सीटों पर उसके प्रत्याशी तीसरे नंबर पर रहे थे। उसे दिल्ली में 18.10 फीसदी वोट मिले थे। दिल्ली के मतदाताओं ने पिछले दो लोकसभा चुनावों में बहुत स्पष्ट बता दिया कि विधानसभा के स्तर पर वो आप को ही पसंद करते हैं लेकिन लोकसभा में वो कांग्रेस और भाजपा को अपनी पसंद के हिसाब से वोट देते हैं। लेकिन आप के नेता 2022 में दिल्ली नगर निगम के चुनाव में मिली जीत का हवाला देते हुए दावा जता रहे हैं। एमसीडी चुनाव में आप के 134 पार्षद जीते थे, जबकि भाजपा के 103 जीते और कांग्रेस सिर्फ 9 वार्डों में जीत सकी थी।
आप ने जिस तरह से दिल्ली, हरियाणा और पंजाब में कांग्रेस को सीटों का ऑफर दिया है, उसी वजह से सोमवार को कोई बात नहीं बन पाई। अब दोनों पक्ष एक बैठक और करेंगे। लेकिन हरियाणा और पंजाब कांग्रेस के नेताओं के सख्त रुख की वजह से कांग्रेस शायद ही आप की शर्तें माने।
पंजाब में आप की सरकार है। यहां पर उसने कांग्रेस को 6 सीटें आवंटित करने की इच्छा जताई है।
उधर, पंजाब कांग्रेस के नेताओं ने लोकसभा चुनाव में आप के साथ गठबंधन करने का कड़ा विरोध किया है। राज्य के शीर्ष कांग्रेस नेता आए दिन कांग्रेस आलाकमान को बता रहे हैं कि पंजाब में सभी स्तरों पर पार्टी के कार्यकर्ता आप के साथ हाथ मिलाने को तैयार नहीं हैं।
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हालांकि अभी तो कांग्रेस की राष्ट्रीय चुनाव समिति के संयोजक मुकुल वासनिक के बयान पर ही भरोसा करना पडे़गा। जिन्होंने सोमवार की बातचीत के बाद पीटीआई से कहा था- "चर्चा के दौरान क्या हुआ, इसका खुलासा करना उचित नहीं है। कुछ समय इंतजार करना होगा। हमने पहले ही एक साथ चुनाव लड़ने का फैसला कर लिया है। कांग्रेस और आप इंडिया गठबंधन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।"
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