कौन नहीं जानता कि उपराष्ट्रपति देश का दूसरा सबसे बड़ा संवैधानिक पद और देश का दूसरा सर्वोच्च नागरिक होता है। याद तो यह दिलाना है कि भारतीय लोकतंत्र की संरचना में राज्यसभा का पदेन सभापति महज एक संवैधानिक व्यवस्था भर नहीं, बल्कि उच्च सदन में गरिमा, संतुलन और निष्पक्षता का प्रतीक भी माना जाता है। राज्यसभा में राज्यों का प्रतिनिधित्व होता है। तो सभापति से सीधे राज्यों की, देश की आशाएं, अपेक्षाएं जुड़ी होती हैं। सभापति के रूप में उपराष्ट्रपति राज्यसभा के उस महत्वपूर्ण संवैधानिक मंच का संचालक होता है, जहाँ नीति, संवाद और विपक्ष की विवेकपूर्ण भूमिका आकार लेती है।