यूपी में अजीबोगरीब हालात में एनकाउंटर के दौरान मारे गए गैंगस्टर विकास दूबे के शॉर्प शूटर अमर दूबे की पत्नी खुशी दूबे की मां गायत्री दूबे से कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने मुलाकात की है। गायत्री दूबे को कांग्रेस टिकट पर लड़ाने की चर्चा है। लेकिन खुशी दूबे कौन है, उसकी कहानी ज्यादा दिलचस्प है।
2 जुलाई 2020 में कानपुर देहात के बिकरू गांव में पुलिस गैंगस्टर विकास दूबे के घर दबिश देने गई थी। लेकिन इस दबिश में उल्टा 8 पुलिस वाले मारे गए थे। योगी सरकार की पुलिस की काफी बदनामी हुई। विकास दूबे फरार हो गया। विकास दूबे के गैंग में शामिल शॉर्प शूटर अमर दूबे की शादी बिकरू कांड से दो दिन पहले खुशी दूबे के साथ हुई थी।
बिकरू कांड के बाद विकास दूबे फरार हो गया। फरारी के दौरान विकास दूबे ने आरोप लगाया कि योगी सरकार ब्राह्मणों को ठिकाने लगा रही है। ब्राह्मणों के साथ योगी सरकार सौतेला व्यवहार कर रही है। विकास दूबे छिपते-छिपाते हरियाणा होते हुए उज्जैन (एमपी) पहुंच गया। वहां उसने एक मंदिर में मीडिया को बुलाकर आत्मसमर्पण कर दिया। यूपी पुलिस ने उज्जैन आकर उसे ट्रांजिट रिमांड पर ले लिया।
यूपी पुलिस का कहना है कि जब उसे यूपी लाया जा रहा था तो उसने भागने की कोशिश की। इस दौरान हुए एनकाउंटर में विकास दूबे मारा गया। विकास दूबे को ठिकाने लगाने के बाद यूपी पुलिस ने उसके गैंग के साथियों को चुन-चुन कर एनकाउंटर करना शुरू कर दिया। हमीरपुर में अमर दूबे का एनकाउंटर यूपी एसटीएफ ने किया। उसे घेरकर मारा गया। उस पर 50 हजार का इनाम पहले से ही घोषित था। हालांकि एडीजी (कानून व्यवस्था) प्रशांत कुमार ने अमर दूबे के एनकाउंटर पर कहा था कि फरीदाबाद (हरियाणा) में जब विकास दूबे से अमर दूबे अलग हुआ और छिपता हुआ हमीरपुर पहुंचा तो हमें सूचना मिल गई। जिस घर में वो छिपा था, हमने उससे सरेंडर को कहा लेकिन सरेंडर की बजाय उसने हमारी टीम पर फायरिंग कर दी। जवाबी कार्रवाई में 8 जुलाई 2020 को वो मारा गया।
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कानपुर पुलिस में अमर दूबे वॉन्टेड अपराधियों की सूची में पहले नंबर पर था। पुलिस का कहना है कि वो रंगदारी और शराब के ठेकों से वसूली करता था।
अमर दूबे का 8 जुलाई 2020 को एनकाउंटर होने के बाद नई नवेली दुल्हन खुशी दूबे पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा। पुलिस ने खुशी दूबे को भी अमर के घर से गिरफ्तार कर लिया। जबकि अमर की मां, भाई आदि को पहले ही गिरफ्तार कर लिया गया था। पुलिस ने तब तक खुशी के खिलाफ संगीन धाराएं नहीं लगाई थीं। लेकिन घटना के दो महीने बाद सितंबर 2020 में खुशी पर पता नहीं क्यों 17 संगीन धाराएं लगा दी गईं। खुशी पर हत्या, हत्या का प्रयास, डकैती, चोरी, धोखाधड़ी से संपत्ति हथियाने जैसे गंभीर आरोप लगाए गए।खुशी दूबे के वकील शिवाकांत दीक्षित ने कहा -
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पुलिस खुशी दूबे के घर से कुछ भी बरामद नहीं कर पाई थी। दो दिन पहले जिसका विवाह हुआ हो, वो बिकरू कांड में कैसे शामिल हो सकती है। वो पुलिस को इस साजिश की सूचना पहले से कैसे दे सकती है।
बहरहाल, खुशी दूबे जेल में है। अब तक कई बार उसकी जमानत की कोशिश हुई लेकिन हर बार कोर्ट ने मना कर दिया। जूवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने घटना के समय खुशी को नाबालिग भी बताया था। खुशी के पिता का कहना है कि जब मेरी बेटी नाबालिग थी तो उसकी शादी कैसे हो सकती है और वो अमर दूबे की पत्नी कैसे हो सकती है। लेकिन यूपी पुलिस इन लोगों की किसी भी दलील से सहमत नहीं है। वो खुशी दूबे को भी इस गैंग का सदस्य मानती है। पुलिस का कहना है कि बिकरू गांव में 8 पुलिस वाले जिस दिन मारे गए थे, उस दिन खुशी वहां अपराधियों की मदद में शामिल थी। तमाम पुलिस वालों ने दम तोड़ने से पहले खुशी दूबे का नाम बतौर आरोपी लिया है।
खुशी के घर वालों ने पुलिस के आरोपों को मनगढ़ंत बताया है। उनका कहना है कि पुलिस के पास अगर खुशी या उसके घर वालों का कोई आपराधिक रेकॉर्ड हो तो निकाल कर दिखाएं। बिकरू में सिर्फ मौजूद रहने से वो अपराध में सहभागी नहीं हो सकती। उसका पति विकास दूबे के घर मौजूद था, इसलिए खुशी भी वहां थी लेकिन पुलिस का उसको तमाम धाराएं लगाकर फंसाना सिर्फ किसी की साजिश है। परिवार का आरोप है कि हिरासत में रखने के दौरान खुशी पर पुलिस ने जुल्म किए।
राजनीतिक मुद्दा बनी खुशी दूबे
घटना के करीब आठ महीने बाद बीजेपी के दो ब्राह्मण विधायकों ने मुख्यमंत्री योगी से सीधे खुशी दूबे के मामले को उठाया। उन्होंने योगी से कहा था कि खुशी दूबे के साथ पुलिस नाइंसाफी कर रही है। वो इस मामले में हस्तक्षेप करके उसे रोकें। सूत्रों के मुताबिक योगी ने उन दोनों विधायकों को लगभग डांटते हुए कहा था कि पुलिस को अपना काम करने दीजिए। यह घटनाक्रम सार्वजनिक हुआ लेकिन कभी उन दोनों ब्राह्मण विधायकों का नाम सामने नहीं आया। इसके बाद सबसे पहले बीएसपी के महासचिव सतीश मिश्रा ने सार्वजनिक रूप से उठाया और कहा कि खुशी दूबे को ब्राह्मण होने की वजह से योगी की पुलिस तंग कर रही है। खुशी पर जुल्म योगी सरकार को महंगा पड़ेगा।
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करीब छह महीना पहले सतीश मिश्रा ने ब्राह्मणों के सम्मेलन में इस मुद्दे को जोरशोर से उठा दिया। सपा के ब्राह्मण सम्मेलन में भी खुशी दूबे का मुद्दा उठा। इसके बाद समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने भी खुशी दूबे पर अन्याय के मामले को उठाया। इन सभी दलों के ब्राह्मण नेताओं ने यह आवाज ज्यादा बुलंद की। सतीश मिश्रा ने खुशी को बीएसपी की ओर से टिकट की पेशकश भी कर दी। सपा के नेताओं ने भी खुशी दूबे के मायके जाकर सहानुभूति जताई और सपा प्रमुख अखिलेश यादव की ओर से टिकट की पेशकश कर दी।
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने कल खुशी की मां गायत्री दूबे से मुलाकात की। काफी हमदर्दी भी जताई। लेकिन यह साफ नहीं है कि कांग्रेस खुशी की मां या खुशी को टिकट देना चाहती है। बहुत मुमकिन है कि जिस भी पार्टी से खुशी लड़ना चाहेगी, तीनों प्रमुख विपक्षी दल उसे खुशी-खुशी टिकट देने को तैयार हैं। खुशी जेल से ही चुनाव लड़ेंगी।
कानपुर के ब्राह्मण समाज का कहना है कि जिस भी पार्टी से खुशी को टिकट मिलेगा, पूरा ब्राह्मण समाज खुशी के चुनाव प्रचार अभियान को संभालेगा। हम लोग पैसे की कोई कमी नहीं होने देंगे।
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