राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत के इस बयान पर कि लिंचिंग में शामिल लोग हिंदुत्व के विरोधी हैं और जो लोग ये कहते हैं कि मुसलमान इस देश में नहीं रह सकते, वे हिंदू नहीं हो सकते, इस पर तमाम सियासी दलों की प्रतिक्रिया सामने आई है। 

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव दिग्विजय सिंह ने कहा, “मोहन भागवत क्या यह विचार आप अपने शिष्यों, प्रचारकों, विश्व हिंदू परिषद/बजरंग दल के कार्यकर्ताओं को भी देंगे? क्या यह शिक्षा आप मोदी-शाह व बीजेपी के मुख्यमंत्री को भी देंगे?”

मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने यह भी कहा है कि अगर संघ प्रमुख यदि आप अपने व्यक्त किए गए विचारों के प्रति ईमानदार हैं तो बीजेपी के नेता जिन्होंने निर्दोष मुसलमानों को प्रताड़ित किया है उन्हें उनके पदों से तत्काल हटाने का निर्देश दें और इसकी शुरुआत नरेंद्र मोदी व योगी आदित्यनाथ से करें।
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मुंह में राम…: मायावती 

बीएसपी प्रमुख मायावती ने एएनआई के जरिये जारी संदेश में कहा है कि संघ प्रमुख का बयान लोगों को न केवल अविश्वसनीय लगता है बल्कि यह बयान मुंह में राम और बगल में छुरी वाला ज़्यादा है। उन्होंने कहा कि जब तक संघ, बीजेपी और इनकी सरकारों की कार्यशैली व सोच में संवैधानिक परिवर्तन नहीं आएगा, तब तक इनकी बातों पर खासकर मुसलिम समाज द्वारा विश्वास करना बेहद मुश्किल लगता है। 

उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने कहा है कि इनकी कथनी और करनी में ज़मीन-आसमान का अंतर है। 

नफ़रत हिंदुत्व की देन: ओवैसी 

एआईएमआईएम के प्रमुख और हैदराबाद के सांसद असदउद्दीन ओवैसी ने ट्वीट कर कहा है कि मॉब लिंचिंग की नफ़रत हिंदुत्व की देन है और इसके मुजरिमों को हिंदुत्ववादी सरकार की पुश्त पनाही हासिल है। 

उन्होंने कहा, “केंद्रीय मंत्री के हाथों अलीमुद्दीन के कातिलों की गुलपोशी होती है, अखलाक़ के हत्यारे की लाश पर तिरंगा लगाया जाता है, आसिफ़ को मारने वालों के समर्थन में महापंचायत बुलाई जाती है और वहां बीजेपी का प्रवक्ता पूछता है कि क्या हम मर्डर भी नहीं कर सकते?” 

ओवैसी ने कहा कि कायरता, हिंसा और क़त्ल करना गोडसे की हिंदुत्व वाली सोच का अटूट हिस्सा है और मुसलमानों की लिंचिंग भी इसी सोच का नतीजा है। 

महाराष्ट्र सरकार में मंत्री और एनसीपी के प्रवक्ता नवाब मलिक ने संघ प्रमुख के बयान पर कहा, “अगर भागवत का हृदय बदल रहा है तो हम इसका स्वागत करते हैं। वर्ण व्यवस्था में विश्वास करने वाला संगठन अगर धर्म की हदों को तोड़ना चाहता है तो ये अच्छी बात है।” 
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पहले भी दिए ऐसे बयान 

भागवत ने अपने बयान में यह भी कहा कि मॉब लिंचिंग करने वालों को क़ानून के अनुसार सजा मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत में रहने वाले सभी लोगों के पूर्वज समान हैं। 2018 में भागवत ने कहा था कि जिस दिन ये कहा जाएगा कि हिंदू राष्ट्र में मुसलमान नहीं होंगे, उस दिन हिंदुत्व नहीं रहेगा। 

लेकिन भागवत के इन बयानों का कोई असर संघ के स्वयंसेवकों पर हुआ हो, नहीं कहा जा सकता क्योंकि मॉब लिंचिंग, मुसलमानों पर होने वाले हमले और सोशल मीडिया पर नफ़रती संदेश रुकने के बजाय तेज़ होते जा रहे हैं।