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नये संसद भवन के उद्घाटन में शामिल होंगे बीजेडी, वाईएसआरसी

विपक्षी खेमे में नवीन पटनायक को लाने के प्रयासों के बीच उनके दल बीजेडी ने साफ़ कर दिया है कि वह रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नये संसद भवन के उद्घाटन में भाग लेगा। विपक्ष ने सरकार पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का अपमान करने का आरोप लगाते हुए कार्यक्रम का सामूहिक बहिष्कार किया है। विपक्ष की बहिष्कार की योजना को खारिज करते हुए बीजेडी ने कहा कि राष्ट्रपति और संसद 'पवित्र' हैं और इन मुद्दों पर बाद में बहस की जा सकती है।

पार्टी द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है, 'भारत की राष्ट्रपति भारतीय गणराज्य के प्रमुख हैं। संसद भारत के 1.4 बिलियन लोगों का प्रतिनिधित्व करती है। दोनों संस्थान भारतीय लोकतंत्र के प्रतीक हैं और भारत के संविधान से अपना अधिकार प्राप्त करते हैं।' इसमें कहा गया है, 'बीजेडी का मानना है कि इन संवैधानिक संस्थाओं को किसी भी मुद्दे से ऊपर होना चाहिए जो उनकी पवित्रता और सम्मान को प्रभावित कर सकता है। इस तरह के मुद्दों पर सदन में बाद में हमेशा बहस की जा सकती है। इसलिए बीजेडी इस महत्वपूर्ण अवसर का हिस्सा होगा।'

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बीजेडी का यह बयान तब आया है जब हाल ही में ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए विपक्ष के साथ काम करने की संभावना को खारिज कर दिया था। उनका यह बयान नयी दिल्ली में तब आया था जब उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी। उन्होंने घोषणा की थी कि उनका बीजू जनता दल यानी बीजेडी अकेले चुनाव लड़ेगा। उन्होंने कहा कि यही हमेशा से उनकी योजना रही है। कुछ दिन पहले जब विपक्षी दलों को एकजुट करने के अभियान पर निकले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उनसे मुलाक़ात की थी तब भी उन्होंने कहा था कि उनके बीच गठबंधन को लेकर कोई बातचीत नहीं हुई है।

ओडिशा के मुख्यमंत्री ने नीतीश के साथ बैठक के बाद कहा था, 'हमारी दोस्ती जगजाहिर है और हम कई साल पहले सहयोगी थे। आज किसी भी गठबंधन पर कोई चर्चा नहीं हुई।' नीतीश कुमार ने कथित तौर पर व्यक्तिगत संबंधों पर जोर दिया और पटनायक से राजनीतिक चर्चाओं के बारे में चिंता न करने को कहा। 

नीतीश 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी के ख़िलाफ़ एक महागठबंधन बनाने के लिए समान विचारधारा वाले विपक्षी दलों को एकजुट करने के मिशन पर हैं, जबकि नवीन पटनायक हाल के वर्षों में किसी भी गठबंधन से दूरी बनाए रखे हुए हैं, चाहे वह भाजपा या कांग्रेस के नेतृत्व में हो। 
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बहरहाल, समझा जाता है कि नीतीश कुमार ने उन दलों को भी साथ जोड़ने की पहल की है जो कांग्रेस के साथ विपक्षी एकता में आने में असहज महसूस करते हैं। इसमें टीएमसी, आप और समाजवादी पार्टी प्रमुख हैं। इसी कड़ी में नीतीश की नवीन पटनायक से मुलाक़ात बेहद अहम बताई गयी। लेकिन आज पटनायक की पार्टी ने जो बयान दिया है उससे क्या बीजेडी को विपक्षी खेमे में लाने का नीतीश का प्रयास विफल नज़र आता है?

इधर आंध्र प्रदेश के सीएम वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने कहा है, 'मैं नरेंद्र मोदी जी को भव्य और विशाल संसद भवन राष्ट्र को समर्पित करने के लिए धन्यवाद देता हूँ। संसद, लोकतंत्र का मंदिर होने के नाते, हमारे देश की आत्मा को दर्शाती है और हमारे देश के लोगों और सभी राजनीतिक दलों की है। ऐसे शुभ आयोजन का बहिष्कार करना लोकतंत्र की सच्ची भावना के अनुरूप नहीं है। सभी राजनीतिक मतभेदों को दूर करते हुए मैं अनुरोध करता हूं कि सभी राजनीतिक दल इस शानदार आयोजन में शामिल हों। लोकतंत्र की सच्ची भावना में मेरी पार्टी इस ऐतिहासिक कार्यक्रम में शामिल होगी।'

इससे पहले आज 19 विपक्षी दलों ने साझा बयान जारी कर घोषणा की है कि वे रविवार के समारोह का बहिष्कार करेंगे। उन्होंने प्रधानमंत्री द्वारा नई संसद का उद्घाटन करने की योजना को 'लोकतंत्र पर सीधा हमला' बताया है। विपक्षी दलों ने एक बयान में कहा, 'यह अशोभनीय कृत्य राष्ट्रपति के उच्च पद का अपमान करता है और संविधान की भावना का उल्लंघन करता है। यह समावेश की भावना को कमजोर करता है।' विपक्षी दलों की मांग है कि नये संसद भवन का उद्घाटन पीएम मोदी नहीं, बल्कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू करें।
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क़मर वहीद नक़वी
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