अठारह से 22 सितंबर तक आहूत किए गए संसद के विशेष सत्र को प्रधानमंत्री द्वारा उनके दूसरे कार्यकाल के अंतिम पंद्रह अगस्त पर लाल क़िले से अत्यंत विश्वासपूर्वक की गई घोषणा के साथ जोड़कर देखा जाए तो भाजपा के कार्यकर्ताओं को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। मोदी ने कहा था अगले साल भी लाल क़िले से तिरंगा वे ही फहराएँगे । लाल क़िले से जी-20 तक का घटनाक्रम इसी ओर इशारा करता है कि चुनाव चाहे जब भी हों प्रधानमंत्री तो मोदी ही रहने वाले हैं। यानी विपक्षी गठबंधन INDIA चाहे जो कर ले।