अठारह से 22 सितंबर तक आहूत किए गए संसद के विशेष सत्र को प्रधानमंत्री द्वारा उनके दूसरे कार्यकाल के अंतिम पंद्रह अगस्त पर लाल क़िले से अत्यंत विश्वासपूर्वक की गई घोषणा के साथ जोड़कर देखा जाए तो भाजपा के कार्यकर्ताओं को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। मोदी ने कहा था अगले साल भी लाल क़िले से तिरंगा वे ही फहराएँगे । लाल क़िले से जी-20 तक का घटनाक्रम इसी ओर इशारा करता है कि चुनाव चाहे जब भी हों प्रधानमंत्री तो मोदी ही रहने वाले हैं। यानी विपक्षी गठबंधन INDIA चाहे जो कर ले।
संसद के विशेष सत्र पर इतना रहस्य क्यों, क्या सोच रहे हैं मोदी ?
- राजनीति
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- 29 Mar, 2025
चलिए, जी20 तो खैरियत से निपट गया। अब फिर देश के सबसे मूल सवाल पर लौटते हैं। संसद के विशेष सत्र की कार्यसूची प्रधानमंत्री के व्यक्तित्व की तरह ही पहरों में क्यों है? 18 सितंबर से संसद का विशेष सत्र है और एजेंडे का पता नहीं। वरिष्ठ पत्रकार श्रवण गर्ग का कहना है कि प्रधानमंत्री रहस्य की परतों के बीच जीते और शासन चलाते हैं। पढ़िए यह लेखः
