Voter list Controversy: चुनाव में वोटरलिस्ट धांधली के आरोप थम नहीं रहे। भारत के चुनाव आयोग की विश्वसनीयता में गिरावट लगातार जारी है। न्यूज़ लॉन्ड्री की खोजी रिपोर्ट में महाराष्ट्र सीएम सीट को लेकर कई नए तथ्य बताए गए हैं।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव 2024 के बीच के मात्र छह महीनों में नागपुर साउथ वेस्ट सीट – जो बीजेपी नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की परंपरागत सीट है – पर 29,219 नए वोटर जोड़े गए। यानी औसतन हर दिन 162 वोटर। यह वृद्धि 8.25 प्रतिशत है, जो चुनाव आयोग की तय 4 फीसदी सीमा से दुगनी है। अगर यह सीमा पार होती है तो वहां मतदाताओं के अनिवार्य सत्यापन की प्रक्रिया शुरू होनी चाहिए। लेकिन ऐसा नहीं किया गया।
राहुल ने कहा- सीसीटीवी फुटेज फौरन जारी की जाए
कांग्रेस पार्टी और नेता विपक्ष राहुल गांधी महाराष्ट्र की वोटरलिस्ट में धांधली का मुद्दा लगातार उठा रहे हैं। उन्होंने हाल ही में इंडियन एक्सप्रेस में एक लेख भी लिखा कि किस तरह महाराष्ट्र में चुनाव को लूटा गया। न्यूज़ लॉन्ड्री की रिपोर्ट को राहुल गांधी ने मंगलवार 24 जून को ट्वीट किया।
राहुल ने लिखा है- महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के विधानसभा क्षेत्र में, मतदाता सूची में केवल 5 महीनों में 8% की वृद्धि हुई। कुछ बूथों पर 20-50% की वृद्धि देखी गई। बीएलओ ने अज्ञात व्यक्तियों द्वारा वोट डालने की सूचना दी। मीडिया ने बिना सत्यापित पते वाले हजारों मतदाताओं का पता लगाया। और चुनाव आयोग? चुप - या मिलीभगत। ये अलग-अलग गड़बड़ियाँ नहीं हैं। यह वोट चोरी है। कवर-अप ही कबूलनामा है। इसलिए हम डिजिटल मतदाता सूची और सीसीटीवी फुटेज को तुरंत जारी करने की मांग करते हैं।
चुनाव आयोग बताए- बिना पते वाले मतदाता क्यों
न्यूज़लॉन्ड्री की रिपोर्ट के अनुसार, 50 बूथों में कम से कम 4,393 वोटरों के पते दर्ज नहीं हैं। उदाहरण के लिए, बूथ 107 पर 21% वोटरों के पते गायब हैं। यह तब है जब चुनाव आयोग की प्रक्रिया के अनुसार फॉर्म 6 के साथ घर के पते का प्रमाणपत्र देना अनिवार्य है, और बीएलओ द्वारा मौके पर जाकर सत्यापन किया जाना चाहिए। लेकिन स्थानीय बूथ लेवल अधिकारियों (BLOs) का दावा है कि कई क्षेत्रों में ऐसी कोई जांच नहीं की गई।263 बूथों में 4% से ज़्यादा की वृद्धि, कुछ में 40% तक
रिपोर्ट में कहा गया कि नागपुर साउथ वेस्ट विधानसभा की 378 बूथों में से 263 में वोटर की संख्या में 4% से ज़्यादा वृद्धि देखी गई। इनमें से 26 बूथों में 20% से ज़्यादा और 4 बूथों में 40% से ज़्यादा की वृद्धि दर्ज की गई। चुनाव आयोग के नियमों के मुताबिक ऐसी वृद्धि होने पर जमीनी स्तर पर सत्यापन, सुपरवाइजर जांच और CEO स्तर पर सुपर-चेकिंग अनिवार्य है।
BLO बोले – "पते नहीं मिले, हमने सत्यापन नहीं किया"
न्यूज़लॉन्ड्री ने जिन BLOs से बात की, उनमें से कई ने बताया कि उन्हें जिला चुनाव कार्यालय से फॉर्म थोक में मिले, और अधिकांश के पते या व्यक्ति उन्हें कभी मिले ही नहीं। बूथ 174 (खामला, सिंधी हाई स्कूल) के BLO एसपी नगवंशी ने बताया कि 24% नए वोटर जुड़े लेकिन उन्होंने केवल 8-10 को ही खुद दर्ज किया था। बूथ 76 (रामचंद्र मोखरे कॉलेज) के BLO संदीप करोडे ने कहा कि जांच के दौरान कई पते गलत निकले, जिसकी जानकारी उन्होंने सुपरवाइजर को दी। बूथ 181 (जैताला) के BLO गणेश जरवार ने कहा कि 365 नए वोटरों के पते जांच में नहीं मिले, और उनके वोटर कार्ड लौटाने पड़े।
वोटरलिस्ट पर ECI के दिशानिर्देश क्या हैं
चुनाव आयोग के नियमों के अनुसार: 4% से ज़्यादा नई एंट्री पर AERO द्वारा 1% की फील्ड चेकिंग अनिवार्य है। DEO को जिले के हर विधानसभा क्षेत्र में कम से कम 4 फॉर्म की जांच करनी होती है। CEO को हर राज्य में कम से कम 5 जिलों में फील्ड चेकिंग करनी होती है।
नागपुर में वोटरलिस्ट धांधली का सबसे बड़ा सबूत है कि ईसीआई के नियमों का पालन नहीं हुआ या नहीं कराया गया। ग्राउंड पर तैनात अधिकारियों ने खुद ही वोटरलिस्ट का सत्यापन नहीं करने की बात स्वीकार की है।
वोटरलिस्ट धांधली के आरोप पर ECI की प्रतिक्रिया
चुनाव आयोग के प्रवक्ता ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया: “वोटर लिस्ट में बढ़त या कमी हो सकती है। माइग्रेशन अब बहुत सामान्य हो गया है। अगर फॉर्म भरने वाले के पास कुछ दस्तावेज़ हैं और BLO ने फील्ड वेरिफिकेशन कर लिया, तो हम उसे जोड़ देते हैं।”
जब बिना पते वाले वोटरों पर सवाल पूछा गया तो जवाब था: “ये वे लोग हैं जो किसी क्षेत्र में रह रहे हैं, भले ही स्थायी पता ना हो। उनके पास कोई न कोई प्रमाण होता है।" उन्होंने दावा किया: "महाराष्ट्र चुनाव में कोई गड़बड़ी नहीं हुई, हमारी वोटर लिस्ट एकदम सही है।"
न्यूज़लॉन्ड्री ने ERO सुरेश बगाले और DEO प्रवीण महिरे से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। न्यूज लॉन्ड्री ने कुछ सवाल महाराष्ट्र के CEO एस. चोकलिंगम और ECI को भेजे हैं, उनके जवाब अभी नहीं मिले हैं।
मतदाता सूची में अगर यह हेरफेर नहीं तो क्या है
नागपुर साउथ वेस्ट जैसी हाई-प्रोफाइल सीट पर अगर बड़े पैमाने पर बिना सत्यापन के वोटर जुड़ रहे हैं, तो यह चुनाव प्रणाली की पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े करता है। आखिर, अगर बूथ स्तर के कर्मचारी खुद कह रहे हैं कि उन्हें नए वोटरों के बारे में जानकारी नहीं है, तो क्या यह मतदाता सूची में हेरफेर का मामला बनता है?
नागपुर जनगणना का आंकड़ा क्या कहता है
नागपुर जिले की जनगणना प्रोफ़ाइल 2001 और 2011 के बीच 14 प्रतिशत की जनसंख्या वृद्धि बताती है। वृद्धि की दर पिछले दशक की तुलना में कम थी। भारत के पूर्व रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्त एआर नंदा ने कहा, "अगर नागपुर की आबादी में अचानक वृद्धि नहीं हो रही है, तो मतदाता सूची में इसे बताने का कोई मतलब नहीं है। 1988 में, हमने मतदाताओं की संख्या में अचानक उछाल देखा था क्योंकि मतदाताओं की आयु घटाकर 18 वर्ष कर दी गई थी और युवा लोग मतदान करने लगे थे।"एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स के संस्थापक जगदीप एस छोकर ने कहा, "जब ईसीआई हर साल मतदाता सूची में संशोधन करता है...तो मुझे नहीं लगता कि मतदाताओं की आमद सामान्य से दोगुनी होगी। और अगर मतदाताओं की संख्या में 50 से 60 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई है, तो निश्चित रूप से आयोग को इसके बारे में स्थिति स्पष्ट करना चाहिए।"