कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने 21-22 अप्रैल 2025 को अमेरिका के रोड आइलैंड स्थित ब्राउन यूनिवर्सिटी में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में कथित हेराफेरी का मुद्दा उठाया। अपने भाषण में, उन्होंने भारत की चुनाव प्रणाली में "गंभीर समस्याओं" का आरोप लगाया और विशेष रूप से महाराष्ट्र में मतदाता सूची में अनियमितताओं पर सवाल खड़े किए।

राहुल गांधी 19 अप्रैल को बोस्टन पहुंचे थे, जहां इंडियन ओवरसीज कांग्रेस (आईओसी) के सदस्यों ने उनका स्वागत किया। ब्राउन यूनिवर्सिटी में उनके व्याख्यान का उद्देश्य छात्रों और फैकल्टी सदस्यों के साथ भारत के लोकतंत्र, सामाजिक समावेशिता और वैश्विक चुनौतियों पर चर्चा करना था। हालांकि, उनके भाषण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में कथित अनियमितताओं पर केंद्रित था, जिसने भारत में व्यापक राजनीतिक बहस छेड़ दी थी।

राहुल गांधी ने अपने भाषण में कहा कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में "कुछ बहुत गड़बड़" हुआ है। उन्होंने इन प्वाइंट्स पर जोर दिया:




मतदाता सूची में असामान्य वृद्धि: राहुल गांधी ने दावा किया कि 2024 के लोकसभा चुनाव और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बीच केवल पांच महीनों में 39 लाख नए मतदाता जोड़े गए, जो कि 2019 के विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव के बीच पांच वर्षों में जोड़े गए 32 लाख मतदाताओं से अधिक है। उन्होंने सवाल उठाया कि इतने कम समय में इतनी बड़ी संख्या में मतदाता कैसे बढ़ सकते हैं।


वोटिंग आंकड़ों में विसंगति: उन्होंने आरोप लगाया कि महाराष्ट्र में मतदाताओं की संख्या राज्य की वयस्क मतदान योग्य आबादी से अधिक थी। उनके अनुसार, सरकारी आंकड़ों में 9.54 करोड़ लोग मतदान के लिए पात्र थे, लेकिन 9.7 करोड़ लोगों ने मतदान किया, जो एक गंभीर विसंगति को दर्शाता है।


चुनाव आयोग की पारदर्शिता पर सवाल: राहुल गांधी ने कहा कि कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने महाराष्ट्र और हरियाणा चुनावों की मतदाता सूची मांगी, लेकिन चुनाव आयोग ने इसे साझा करने से इनकार कर दिया। उन्होंने पूछा, "चुनाव आयोग मतदाता सूची क्यों नहीं दे रहा? इससे उनकी विश्वसनीयता को क्या नुकसान होगा?"


खास उदाहरण: उन्होंने शिरडी का उदाहरण देते हुए कहा कि एक ही इमारत में 7,000 से अधिक मतदाता जोड़े गए, जो असामान्य और संदिग्ध है। उन्होंने इसे मतदाता सूची में हेराफेरी का सबूत बताया।


चुनाव आयोग पर समझौते का आरोप: राहुल गांधी ने दावा किया कि चुनाव आयोग ने निष्पक्षता से समझौता किया है। उन्होंने कहा, "हमारे लिए यह स्पष्ट था कि चुनाव आयोग ने अपनी आजादी खो दी है। यह साफ है कि सिस्टम में कुछ गंभीर गड़बड़ है।"

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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में बीजेपी के नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन ने 288 सीटों में से 235 सीटें जीतकर भारी जीत हासिल की, जिसमें बीजेपी ने अकेले 132 सीटें जीतीं। वहीं, कांग्रेस के नेतृत्व वाले महाविकास अघाड़ी (एमवीए) को करारी हार का सामना करना पड़ा। राहुल गांधी और विपक्ष ने इस परिणाम को "अप्रत्याशित" बताते हुए मतदाता सूची में हेराफेरी और चुनावी प्रक्रिया में अनियमितताओं का आरोप लगाया था।

राहुल गांधी ने पहले भी दिसंबर 2024 में बेलगावी में कांग्रेस कार्य समिति की बैठक और फरवरी 2025 में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इन आरोपों को उठाया था। ब्राउन यूनिवर्सिटी में इस मुद्दे को दोहराने से उन्होंने इसे अंतरराष्ट्रीय मंच पर ले जाने का प्रयास किया।

राहुल गांधी के आरोपों का बीजेपी और चुनाव आयोग ने कड़ा जवाब दिया। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इन आरोपों को "निराधार" बताते हुए कहा कि कांग्रेस अपनी हार को छिपाने के लिए बेबुनियाद आरोपों का सहारा ले रही है। उन्होंने सुझाव दिया कि कांग्रेस को अपनी रणनीति पर ध्यान देना चाहिए।

चुनाव आयोग ने भी जवाब देते हुए कहा कि वह राहुल गांधी के आरोपों का लिखित रूप में जवाब देगा। आयोग ने दावा किया कि वह सभी राजनीतिक दलों को प्राथमिकता देता है और पारदर्शी प्रक्रिया का पालन करता है।

राहुल गांधी ने ब्राउन यूनिवर्सिटी में छात्रों और फैकल्टी सदस्यों के साथ एक इंटरैक्टिव सत्र में हिस्सा लिया, जहां उन्होंने भारत की चुनावी प्रक्रिया और लोकतंत्र की चुनौतियों पर विस्तार से बात की। उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे लोकतांत्रिक संस्थानों की स्वतंत्रता और पारदर्शिता के लिए आवाज उठाएं। इस सत्र में उनके विचारों को खासा समर्थन मिला, खासकर उन छात्रों से जो भारतीय राजनीति और लोकतंत्र में रुचि रखते हैं।

ब्राउन यूनिवर्सिटी के दौरे से पहले, राहुल गांधी ने बोस्टन में प्रवासी भारतीय समुदाय और आईओसी के सदस्यों के साथ मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने महाराष्ट्र चुनाव के मुद्दे को भी उठाया और प्रवासियों से भारत के लोकतंत्र को मजबूत करने में सहयोग की अपील की।

राहुल गांधी द्वारा ब्राउन यूनिवर्सिटी में महाराष्ट्र चुनाव में हेराफेरी का मुद्दा उठाना भारत की चुनावी प्रक्रिया पर दुनिया का ध्यान आकर्षित करने का प्रयास था। यह कदम न केवल भारत में विपक्ष की रणनीति को दर्शाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि वे चुनाव आयोग और सत्तारूढ़ दल पर दबाव बनाने के लिए अंतरराष्ट्रीय मंचों का इस्तेमाल कर रहे हैं। हालांकि, बीजेपी ने इसे "देश की छवि खराब करने" का प्रयास करार दिया, जिससे यह मुद्दा और विवादास्पद हो गया।

राहुल गांधी का ब्राउन यूनिवर्सिटी में भाषण भारत के लोकतंत्र और चुनावी प्रक्रिया पर एक महत्वपूर्ण टिप्पणी है। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में कथित हेराफेरी के उनके आरोपों ने राजनीतिक और सामाजिक बहस को तेज कर दिया है। यह दौरा न केवल भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों को ग्लोबल मंच पर प्रस्तुत करने का अवसर था, बल्कि यह भी दर्शाता है कि विपक्ष चुनावी पारदर्शिता के लिए अपनी लड़ाई को और मजबूत करने का इरादा रखता है। इस मुद्दे पर भविष्य में और बहस होने की संभावना है, क्योंकि विपक्ष और सत्तारूढ़ दल दोनों अपनी-अपनी स्थिति को मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं।

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यह पहला मौका नहीं है जब राहुल गांधी ने विदेश में जाकर भारत के ज्वलंत मुद्दों को उठाया है। इससे पहले भी वे भारत में बेरोजगारी और आरएसएस-बीजेपी द्वारा फैलाए जा रहे साम्प्रदायिक नफरत के मुद्दों को यूएस और यूके में उठाया है। हालांकि बीजेपी इसे भारत विरोधी प्रचार बताकर खारिज करती रही है लेकिन वो राहुल के मुद्दों पर सही तरीके से जवाब नहीं दे पाती है। इसके बाद राहुल के अभियान को अमेरिकी निवेशक जॉर्ज सोरोस से भी बीजेपी और उसका आईटी सेल जोड़ते रहे हैं। लेकिन राहुल ने कभी इनसे घबराकर अपने अभियान को बंद नहीं किया।