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अर्थव्यवस्था पर राहुल बोले- श्रीलंका जैसा दिख रहा भारत

भारत की अर्थव्यवस्था क्या अच्छी हालत में नहीं है? इसके संकेत तो पिछले क़रीब तीन साल से मिलते आ रहे हैं, लेकिन अब क्या हालत श्रीलंका जैसी होने की आशंका है? कम से कम कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने तो ऐसा ही इशारा किया है। इशारा क्या किया है, उन्होंने आर्थिक स्थिति को लेकर ऐसे ग्राफ़िक्स साझा किए हैं जो श्रीलंका के हालात से मेल खाते हैं। फ़िलहाल, श्रीलंका आर्थिक रूप से कंगाल हो गया है और राजनीतिक कंगाली से निकलने के प्रयास में है। राहुल गांधी ने भारत की समस्याओं को लेकर ऐसा ही कुछ संकेत दिया है।

उन्होंने ग्राफिक्स के साथ ट्वीट में लिखा है, 'लोगों का ध्यान भटकाने से तथ्य नहीं बदलेंगे। भारत काफी हद तक श्रीलंका जैसा दिखता है।' 

राहुल ने अपने ट्वीट में मुख्य तौर पर दो आरोप लगाए हैं। एक तो भारत की स्थिति ख़राब है और श्रीलंका जैसी दिखती है और दूसरा यह कि इस ख़राब स्थिति से सरकार ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है। उनका इशारा सांप्रदायिक नफ़रत फैलाए जाने की तरफ़ है। हाल में ज्ञानवापी मसजिद से लेकर, मथुरा के श्रीकृष्ण जन्म स्थान मंदिर, ताजमहल जैसे सांप्रदायिक विवाद खड़े किए गए हैं। ऐसे विवादास्पद मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं।

राहुल गांधी ने ट्वीट में भारत की जो तुलना संकटग्रस्त श्रीलंका से की है, उसमें बेरोजगारी, ईंधन की क़ीमतों और सांप्रदायिक हिंसा के ग्राफ़ को दिखाया गया है। दोनों देशों के ग्राफ समान दिखाई देते हैं।

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  • पहले ग्राफ में देखा जा सकता है कि दोनों देशों में 2017 से बेरोजगारी बढ़ती रही है, जो 2020 के आसपास चरम पर थी और 2021 में इसमें मामूली कमी आई है।
  • दूसरे ग्राफ में भारत और श्रीलंका में पेट्रोल की कीमतों की तुलना दिखाई गई है। 2017 के बाद से वृद्धि हो रही है और 2021 के आसपास भी बढ़ती ही दिख रही है।
  • तीसरे ग्राफ़ में दोनों देशों में 2020-21 में सांप्रदायिक हिंसा में तेजी से वृद्धि को दिखाया गया है। हालाँकि इसमें भारत में 2019 में हिंसा कम होती हुई दिख रही है जबकि श्रीलंका में 2020 में कम होती दिख रही है, लेकिन इसके बाद दोनों देशों में सांप्रदायिक हिंसा बढ़ती हुई दिखती है।
श्रीलंका जैसी स्थिति का होना किसी भी देश के लिए बेहद चिंता की बात होनी चाहिए। ऐसा इसलिए कि श्रीलंका की हालत बेहद ख़राब हो गयी है।

श्रीलंका में पिछले कुछ समय से अप्रत्याशित घटनाएँ घट रही हैं। हिंसा। आगजनी। मौत। राष्ट्रव्यापी कर्फ्यू। देखते ही गोली मारने के आदेश। फिर प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे को इस्तीफ़ा देना पड़ा। और अभी भी राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के इस्तीफ़े की मांग की जा रही है। 

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दरअसल, श्रीलंका में अभूतपूर्व आर्थिक और राजनीतिक संकट के बाद से ऐसे हालात बने हैं। महंगाई चरम पर है। रोजगार का संकट है। बिजली संकट है। खाने का संकट है। डीजल और पेट्रोल की भयंकर कमी है। अभूतपूर्व आर्थिक संकट से देश में विदेशी मुद्रा की गंभीर कमी हो गई है। इसके विरोध में हजारों लोग सड़कों पर उतर आए हैं। और इसके बाद से ही हर रोज़ अप्रत्याशित घटनाएँ घट रही हैं। पूरे मंत्रिमंडल को इस्तीफा देने के बाद प्रधानमंत्री को भी अपना पद छोड़ना पड़ा। वहाँ अब नये प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने पदभार संभाला है। लेकिन क्या वहाँ हालात जल्द सुधर पाएँगे, इसमें संदेह है।

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क़मर वहीद नक़वी
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