नेता विपक्ष राहुल गांधी ने बुधवार को पीएम मोदी पर जबरदस्त हमला बोला और वो वजह बताई कि यूएस राष्ट्रपति का नाम लेने से मोदी क्यों बच रहे हैं। जबकि ट्रंप 30वीं बार भारत-पाकिस्तान युद्ध रुकवाने की बात कह रहे हैं। मोदी खामोश हैं।
राहुल गांधी बनाम पीएम मोदी
नेता विपक्ष राहुल गांधी ने मंगलवार को लोकसभा में पीएम मोदी पर जबरदस्त हमला करने के बाद बुधवार को फिर हमला किया और बताया कि प्रधानमंत्री क्यों नहीं यूएस राष्ट्रपति का नाम अपने मुंह से ले रहे हैं। राहुल ने मंगलवार को लोकसभा में मोदी को चुनौती दी कि वो बोल कर दिखाएं कि ट्रंप झूठ बोल रहे हैं। लेकिन मोदी ने राहुल की चुनौती स्वीकार नहीं की और लोकसभा में अपने भाषण में एक बार भी ट्रंप का नाम नहीं लिया। जबकि ट्रंप ने 30वीं बार कहा कि उन्होंने भारत-पाकिस्तान युद्ध रुकवा दिया। जबकि भारत की ओर से बार-बार इसका खंडन किया जा रहा है। मोदी ही नहीं, भारत का कोई मंत्री या एजेंसी एक बार भी ट्रंप का नाम लेकर उनकी आलोचना की हिम्मत नहीं जुटा पा रही है।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बुधवार को संसद के बाहर मीडिया से कहा, "स्पष्ट है, प्रधानमंत्री ने यह नहीं कहा है कि ट्रंप झूठ बोल रहे हैं। सभी जानते हैं कि वह (मोदी) बोल नहीं पा रहे हैं। यही हकीकत है। अगर पीएम मोदी बोलेंगे, तो वह (डोनाल्ड ट्रंप) खुलकर बातें कहेंगे और पूरा सच सामने रखेंगे, इसीलिए वह (पीएम मोदी) बोल नहीं पा रहे हैं...। ट्रंप का डर मोदी को रोक रहा है।"
सीजफायर और टैरिफ पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बयान पर लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा- "...वो कह क्यों रहे हैं? क्योंकि वो अपनी ट्रेड डील चाहते हैं, तो वो वहां पे दबाएगा इनको (मोदी)। आप देखना कैसी ट्रेड डील बनती है...।"
मोदी और ट्रंप के दावे अलग-अलग
ट्रंप ने मंगलवार को भारत के संबंध में कहा कि अगर ट्रेड डील नहीं हुई तो 25 फीसदी टैरिफ लगेगा। टैरिफ पर बोलते हुए, ट्रंप ने मई 2025 में ऑपरेशन सिंदूर में चार दिनों की सैन्य कार्रवाई के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम कराने के अपने दावे को फिर दोहराया। यहां 30वीं बार है, जब ट्रंप ने दावे को दोहराया। ट्रंप ने कहा, "उन्होंने (भारत) मेरे अनुरोध पर पाकिस्तान के साथ युद्ध खत्म कर दिया।"
ट्रंप की यह टिप्पणी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लोकसभा में दिए गए उस बयान के कुछ घंटों बाद आई है जिसमें उन्होंने कहा था कि किसी भी विश्व नेता ने भारत से 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान पाकिस्तान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई रोकने के लिए नहीं कहा था। मोदी ने सोमवार को कहा, "दुनिया के किसी भी देश ने भारत को आतंकवाद के खिलाफ अपनी रक्षा में किसी भी कार्रवाई से नहीं रोका है।" यह संयोग है कि ट्रंप ने युद्ध रुकवाने की बात मंगलवार को कही और मोदी ने भी किसी देश के दखल न देने की बात पर मंगलवार को लोकसभा में बयान दिया। आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि दोनों के भाषण के संकेत क्या हैं।
जयशंकर बचाव में उतरे
विदेश मंत्री जयशंकर राज्यसभा में बुधवार को मोदी का बचाव कुछ इस तरह करते रहे। जयशंकर ने कहा- "...मैं उनको कहना चाहता हूं, वो कान खोलकर सुन लें। 22 अप्रैल से 16 जून तक, एक भी फोन राष्ट्रपति ट्रंप और प्रधानमंत्री मोदी के बीच में नहीं हुआ।" यानी जयशंकर ये बात राहुल को जवाब देते हुए कह रहे हैं कि ट्रंप और मोदी के बीच फोन पर कोई बात नहीं हुई। लेकिन जयशंकर और विदेश मंत्रालय यह नहीं बता रहे हैं कि उपराष्ट्रपति जेडी वेंस और विदेश सचिव मार्को रुबियो भारतीय अधिकारियों से भारत-पाक युद्ध के दौरान क्या बात कर रहे थे। अमेरिकी मीडिया बता रहा है कि ट्रंप के निर्देश पर जेडी वेंस और रुबियो ने भारत व पाकिस्तान के अधिकारियों से बात की थी। भारतीय मीडिया भी उस समय यही बता रहा था कि ट्रंप प्रशासन के अधिकारी भारत और पाकिस्तान के संपर्क में हैं।
मोदी की चुप्पी पर स्वामी का हमला
बीजेपी नेता और पूर्व सांसद सुब्रमण्यम स्वामी के बयान से समझा जा सकता है कि मोदी इस मुद्दे पर क्यों चुप हैं। स्वामी ने बुधवार को एक तीखा ट्वीट किया, जिसमें उन्होंने कहा कि मोदी साफ़ तौर पर दिमागी तौर पर बौने हैं। सैनिक और कुछ जेट (ज़्यादातर फ़्रांस से ख़रीदे गए) भेजने के बाद, उन्होंने भारत पर आक्रमण रोक दिया। क्यों? क्या पाकिस्तान ने आत्मसमर्पण कर दिया है? अमेरिका और चीन पाकिस्तान का समर्थन कर रहे हैं (दोनों ने पाकिस्तान को अपने नए विमान दिए हैं) और मोदी को पीछे हटने के लिए कह रहे हैं, लेकिन वे डर गए और हम भोले-भाले भारतीयों को बेतुकी बातें सुनाते हुए पीछे हट गए। कम से कम वे बलूचिस्तान को बांग्लादेश की तरह आज़ाद तो करा ही सकते थे। मैं स्वतंत्र बुद्धिजीवियों द्वारा गठित इस समूह पर बहस करने को तैयार हूँ, जिन्हें पहले अपना रुख़ स्पष्ट करना होगा कि उनका क्या रुख़ है।
पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर को लेकर लोकसभा और राज्यसभा में 16-16 घंटे बहस के लिए आवंटित किए गए थे। दोनों सदनों में विपक्ष इस मुद्दे पर काफी मुखर रहा। बुधवार को भी राज्यसभा में इस पर बहस जारी है। राज्यसभा में अभी तक सरकार की ओर से विदेश मंत्री जयशंकर ने ही विस्तार से जवाब दिया लेकिन वो राहुल के हमले की वजह से सरकार के बचाव में ही अपनी बात कहते रहे।