क्या कांग्रेस और प्रशांत किशोर की वार्ता का फेल होना पहले से ही तय था? क्या राहुल गांधी ने पहले दिन ही इसकी भविष्यवाणी की थी? एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से यही दावा किया गया है। यह रिपोर्ट तब आई है जब प्रशांत किशोर के हवाले से सूत्रों ने दावा किया था कि उन्हें नहीं लगा कि कांग्रेस और उसके नेतृत्व ने उनके सुझावों में पर्याप्त दिलचस्पी ली थी, भले ही वे योजना का समर्थन करते दिखाई दिए। अब क्या दोनों तरफ़ की ऐसी रिपोर्टों से नहीं लगता कि दोनों पक्षों को एक दूसरे पर शुरू से ही संदेह था, तो ऐसे में वार्ता कैसे सफल होती?