लोकसभा चुनाव में ज़बरदस्त हार के पाँच महीने बाद भी कांग्रेस हार के कारणों का विश्लेषण नहीं कर पाई है, बल्कि अभी भी पार्टी में इस बात पर चर्चा चल रही है कि ऐसा क्यों नहीं हो पाया है। पार्टी के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद ने कहा है कि हार के कारणों की समीक्षा इसलिए नहीं हो पाई क्योंकि राहुल गाँधी 'छोड़कर चले गए' और पार्टी में खालीपन आ गया। क्या इसका यह मतलब है कि कांग्रेस में सबकुछ राहुल के भरोसे था या है? यदि ऐसा नहीं है तो क्या कांग्रेस में वैसा काम भी इतनी धीमी गति से होता है जिसमें उसके अस्तित्व की लड़ाई का सवाल हो?