कांग्रेस सांसद शशि थरूर पर 'वीर सावरकर अवॉर्ड' का विवाद पूरी तरह थमा भी नहीं कि वह अब कांग्रेस बैठक से दूर रहने को लेकर विवाद में आ गए हैं। तिरुवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर एक बार फिर पार्टी की महत्वपूर्ण बैठक से अनुपस्थित रहे। शुक्रवार को लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल की बैठक राहुल गांधी की अध्यक्षता में हुई, लेकिन थरूर इसमें शामिल नहीं हुए। सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है कि यह उनकी लगातार तीसरी अनुपस्थिति है, जिससे पार्टी के अंदर सवाल उठने लगे हैं।

पार्टी के मुख्य सचेतक ने दावा किया कि उन्हें थरूर की ग़ैर-मौजूदगी के कारण की कोई जानकारी नहीं दी गई। हालाँकि, कुछ रिपोर्टों में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि थरूर ने पहले से ही नेतृत्व को अपनी अनुपस्थिति की सूचना दे दी थी। वैसे तो किन्हीं वजहों से बैठकों में शामिल नहीं होना आम बात है, लेकिन जब पहले से ही सियासी हलचल मची हो तो फिर बैठक में शामिल नहीं होना बड़ी बात हो जाती है। हाल में थरूर पीएम मोदी की तारीफ़ करते रहे हैं और कई मौक़ों पर कांग्रेस को असहज करने वाले अंदाज में कोस भी चुके हैं।
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कोलकाता में थे थरूर, दिल्ली नहीं लौट सके?

सार्वजनिक कार्यक्रमों के अनुसार, गुरुवार रात थरूर कोलकाता में प्रभा खेतान फाउंडेशन के एक आयोजन में शामिल हुए थे। माना जा रहा है कि वे शुक्रवार सुबह तक दिल्ली नहीं लौट पाए, इसलिए बैठक में नहीं आ सके। उनके साथ चंडीगढ़ से सांसद मनीष तिवारी भी इस बैठक से अनुपस्थित रहे।

पिछली दो बैठकों में भी नहीं दिखे थे

यह कोई पहला मौका नहीं है। 30 नवंबर को हुई कांग्रेस की रणनीतिक समूह की बैठक में भी थरूर नहीं पहुंचे थे। उस वक्त उन्होंने सफ़ाई देते हुए कहा था कि वे केरल से दिल्ली आते वक़्त फ्लाइट में थे। उन्होंने 1 दिसंबर को सोशल मीडिया पर लिखा था, 'मैंने जानबूझकर बैठक नहीं छोड़ी थी; मैं केरल से आते हुए प्लेन में था।'

इससे पहले स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन यानी एसआईआर मुद्दे पर कांग्रेस की अहम चर्चा में भी थरूर शामिल नहीं हो पाए थे।

तब उनके कार्यालय ने बताया था कि वे अपनी 90 वर्षीया मां के साथ केरल से बाद की फ्लाइट से दिल्ली आ रहे थे और स्वास्थ्य कारणों से समय पर नहीं पहुंच सके। उस बैठक में कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल भी केरल में स्थानीय निकाय चुनाव प्रचार के चलते अनुपस्थित थे।

पार्टी के अंदर बेचैनी, बीजेपी से नजदीकी के आरोप

थरूर की लगातार अनुपस्थिति ने पार्टी के कई नेताओं में बेचैनी पैदा कर दी है। खासकर तब जब हाल ही में राष्ट्रपति भवन में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के सम्मान में आयोजित राजकीय भोज में थरूर कांग्रेस की तरफ से एकमात्र आमंत्रित व्यक्ति थे। थरूर को तो आमंत्रित किया गया था, लेकिन लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और राज्यसभा में विपक्ष के नेता व कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को आमंत्रित नहीं किया गया था। इस आमंत्रण पर पार्टी के अंदर खासी नाराजगी देखी गई थी।
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कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने तंज कसते हुए कहा था, 'हर किसी की अंतरात्मा की अपनी आवाज होती है। जब हमारे नेता को न्योता नहीं मिलता, लेकिन मुझे मिल जाता है, तो हमें समझना चाहिए कि खेल क्या हो रहा है, कौन खेल रहा है और हमें उस खेल का हिस्सा क्यों नहीं बनना चाहिए।'

‘वीर सावरकर अवॉर्ड’ से विवादों में रहे

शशि थरूर को ‘वीर सावरकर अवॉर्ड’ दिए जाने की घोषणा से हंगामा मच गया। बीजेपी और पीएम मोदी की तारीफ़ करने वाले खुद थरूर भी सावरकर के नाम से भड़क गये और उन्होंने कहा कि उनको इस अवार्ड के बारे में पता ही नहीं है।

थरूर ने बुधवार को साफ़ किया कि उन्हें कोई ‘वीर सावरकर इंटरनेशनल इम्पैक्ट अवॉर्ड 2025’ नहीं मिल रहा है। उन्होंने कहा कि वे न तो इस पुरस्कार के बारे में पहले से जानते थे और न ही उन्होंने इसे स्वीकार किया है। आयोजकों द्वारा बिना उनकी सहमति के उनका नाम घोषित करना पूरी तरह गैर-जिम्मेदाराना कदम था। हालाँकि, अवॉर्ड देने वाले आयोजकों ने दावा किया है कि उनको पहले ही इसकी पूरी जानकारी दी गई थी और उन्होंने इसके लिए हामी भरी थी।
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नेतृत्व ने अभी तक नहीं दी कोई प्रतिक्रिया

कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने थरूर की अनुपस्थिति या पार्टी के अंदर उठ रहे सवालों पर अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि इस मुद्दे को आंतरिक तौर पर सुलझाया जा रहा है, लेकिन लगातार तीसरी गैर-मौजूदगी ने कई नेताओं के मन में संशय जरूर पैदा कर दिया है।

थरूर लंबे समय से अपने बेबाक बयानों और कभी-कभी सत्तारूढ़ भाजपा व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करने वाले रुख की वजह से पार्टी के भीतर आलोचना का सामना करते रहे हैं। उनकी यह अनुपस्थिति ऐसे वक्त में हुई है जब संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा है और पार्टी एकजुट होकर सरकार पर हमलावर रुख अपनाने की रणनीति बना रही है।

पार्टी के अंदर यह सवाल जोर पकड़ रहा है कि क्या थरूर जानबूझकर महत्वपूर्ण बैठकों से दूरी बना रहे हैं या यह महज संयोग है?