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सावरकर के बहाने कांग्रेसी डिनर में शामिल नहीं होंगे उद्धव ठाकरे

राहुल गांधी को दो साल जेल की सजा और संसद से अयोग्य ठहराए जाने के बाद से कांग्रेस को गैर भाजपाई दलों का साथ मिलता नज़र आ रहा है। इसकी बानगी सोमवार की सुबह एक बार फिर दिखी जब कांग्रेस अध्यक्ष की तरफ से बुलाए गए विरोध प्रदर्शन के लिए सत्रह दल एक साथ आए, इनमें टीएमसी और बीआरएस जैसे दलों के नेता भी शामिल थे जो अब तक कांग्रेस से दूरी बनाकर चल रहे थे।
मिल रहे समर्थन के बीच उद्धव ठाकरे की तरफ से कांग्रेस को एक झटका भी लगा। उद्धव की नाराजगी का कारण राहुल गांधी की वह टिप्पणी है जो उन्होंने संसद की सदस्यता जाने के एक दिन बाद की थी।
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पत्रकारों द्वारा राहुल से माफी को लेकर एक सवाल के जवाब में राहुल ने कहा,"सावरकर नहीं हूं और गांधी माफी नहीं मांगता।" राहुल द्वारा वीडी सावरकर पर की गई टिप्पणी से नाराज उद्धव ठाकरे ने आज दिल्ली में कहा कि वह कांग्रेस की रात्रिभोज बैठक में भाग नहीं लेंगे।
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इससे पहले सोमवार की सुबह, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री ने चेतावनी दी थी कि अगर राहुल गांधी ने "हमारे भगवान का अपमान करना बंद नहीं किया", तो महाराष्ट्र में विपक्षी गठबंधन में दरार पड़ सकती है।  उन्होंने कहा, 'वीर सावरकर हमारे भगवान हैं, उनके प्रति किसी भी तरह का अनादर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। हम साथ मिलकर लड़ने के लिए तैयार हैं, लेकिन हमारे भगवान का अपमान करना कुछ ऐसा है, जिसे हम बर्दाश्त करेंगे" ।
उद्धव ने कहा कि मैं राहुल गांधी से कहना चाहता हूं, यह सही है, हम इस देश में लोकतंत्र और संविधान को बचाने के लिए एक साथ आए हैं। लेकिन ऐसा कोई बयान न दें जिससे दरार पैदा हो।
सावरकर भाजपा और संघ के सबसे बड़े प्रतीकों में से एक हैं, उसके सबसे बड़े प्रतीक सावरकर पर टिप्पणी को लेकर ठाकरे की राहुल गांधी को यह दूसरी चेतावनी है। उद्धव की नाराजगी का कारण उनका डर है कि उनके सहयोगी दल के नेता के द्वारा सावरकर पर टिप्पणी से उन्हें आने वाले चुनावों में नुकसान हो सकता है। राजनीतिक हलकों में माना जा रहा कि पार्टी की सिंबल और नाम एकनाथ शिंदे गुट को दिये जाने के चुनाव आयोग के फैसले से उद्धव के पक्ष में सद्भावना लहर है जो उन्हें अगले चुनाव में लाभ पहुंचाएगी। ऐसे में सावरकर पर टिप्पणी उनका नुकसान कर सकती है।
पिछले साल नवंबर में भी जब राहुल गांधी ने वीडी सावरकर द्वारा अंग्रेजों के समक्ष लगाई दया याचिका बात की थी, तब भी ठाकरे ने कहा था कि वह "राहुल गांधी की टिप्पणी को स्वीकार नहीं करते सकते हैं। स्वातंत्र वीर सावरकर के प्रति सम्मान और आस्था रखें। इसे मिटाया नहीं जा सकता।
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राहुल के बहाने कांग्रेस को मिल रहे समर्थन से कयास लगाए जा रहे हैं कि अगले लोकसभा चुनाव के लिए विपक्षी एकता की जो बातें चल रही हैं उस पर भी एक आम सहमति जताई बन सकती है। इसी कोशिशों के बीच कांग्रेस अध्यक्ष द्वारा बुलाई गई बैठक में अब तक दूरी बनाकर चल रही टीएमसी भी शामिल हुई। तृणमूल कांग्रेस ने प्रसून बनर्जी और जवाहर सरकार ने संसद में कांग्रेस की रणनीति बैठक में भाग लिया था और राहुल गांधी को लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहराए जाने के खिलाफ 'काले कपडे पहन कर किए गए प्रदर्शन में भी भाग लिया।
टीएमसी के अलावा तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की भारत राष्ट्र समिति ने भी ऐसा ही किया। केसीआर वर्षों से गैर-कांग्रेस, गैर-भाजपा मोर्चा बनाने का प्रयास कर रहे हैं। इन दोनों दलों के अलावा द्रमुक, सपा, जदयू, माकपा, राजद, राकांपा, भाकपा, आईयूएमएल, एमडीएमके, केसी, आरएसपी, आप, जम्मू कश्मीर नेशनल कांफ्रेंस और शिवसेना ने कांग्रेस की बैठक में हिस्सा लिया।   हालांकि, तृणमूल ने स्पष्ट किया कि उसका समर्थन राहुल गांधी को अयोग्य ठहराए जाने के विरोध तक सीमित है।
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क़मर वहीद नक़वी
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