जगदीप धनखड़ ने सोमवार को उपराष्ट्रपति पद से अचानक इस्तीफा दे दिया। अभी तक बीजेपी, पीएम मोदी, अमित शाह ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। क्या इसका संबंध सोमवार को राज्यसभा के घटनाक्रम से है। कांग्रेस की प्रतिक्रिया जानिए।
भारत के उपराष्ट्रपति और राज्यसभा सभापति जगदीप धनखड़ ने सोमवार (21 जुलाई) को अपने पद से अचानक इस्तीफा दे दिया। इससे राजनैतिक गलियारों में हलचल मचा गई है। धनखड़ ने अपने इस्तीफे में स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया, लेकिन विपक्ष, खासकर कांग्रेस, ने इसकी टाइमिंग और परिस्थितियों पर सवाल उठाए हैं। कुछ लोग इसे संसद में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के व्यवहार से जोड़कर देख रहे हैं।
इस्तीफे का कारण: हेल्थ या कुछ और? जगदीप धनखड़ ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को लिखे अपने पत्र में कहा, "सेहत की देखभाल को महत्व देने और डॉक्टरी सलाह का पालन करने के लिए, मैं भारत के उपराष्ट्रपति के पद से तत्काल प्रभाव से इस्तीफा देता हूं, जैसा कि संविधान के अनुच्छेद 67(ए) में प्रावधान है।" धनखड़ ने मार्च 2025 में हार्ट संबंधी समस्या का सामना किया था, लेकिन इसके बाद वे पूरी तरह एक्टिव थे। सोमवार को भी उन्होंने संसद के मानसून सत्र के पहले दिन की कार्यवाही की अध्यक्षता की थी।
जेपी नड्डा का व्यवहार: क्या है विवाद?
सोमवार दोपहर 12 बजे राज्यसभा की कार्यवाही पर ध्यान दिया जाना चाहिए। केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा सदन में कहते नजर आ रहे हैं- "नथिंग विल गो ऑन रिकॉर्ड।" इसके कुछ घंटों बाद ही रात 9 बजे धनखड़ ने इस्तीफा दे दिया। सवाल यह है कि क्या इससे धनखड़ का अहंकार आहत हुआ या मोदी-शाह ने उन्हें उनकी "औकात" दिखाई। कहा जा रहा है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जेप नड्डा की फीडबैक के आधार पर धनखड़ को कुछ कहा और उसके बाद धनखड़ का इस्तीफा आ गया। हालांकि इस बात की पुष्टि किसी बीजेपी नेता ने नहीं की है। लेकिन सोशल मीडिया पर इसकी काफी चर्चा है।
इतना बड़ा घटनाक्रम, मोदी-शाह-बीजेपी की चुप्पी क्यों
धनखड़ ने अपने पत्र में सेहत कारणों को ही स्पष्ट रूप से इस्तीफे का आधार बताया। लेकिन दूसके लोगों के सेहत की चिन्ता पर बयान देने वाले प्रधानमंत्री मोदी ने इस रिपोर्ट के लिखे जाने तक कोई प्रतिक्रिया या आधिकारिक बयान नहीं दिया है। धनखड़ ने अपने पत्र में पीएम मोदी और उनकी कैबिनेट के समर्थन के लिए आभार जताया था। मोदी ही नहीं अमित शाह और बीजेपी ने भी इस पर चुप्पी साध रखी है। कुछ विपक्षी नेताओं ने पीएम से आग्रह किया है कि वे धनखड़ को अपना फैसला वापस लेने के लिए मनाएं। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा, "यह राष्ट्रहित में होगा, खासकर किसान समुदाय को बहुत राहत मिलेगी।"
हालांकि, विपक्ष का मानना है कि इस इस्तीफे के पीछे स्वास्थ्य कारणों से ज्यादा राजनैतिक दबाव हो सकता है। कांग्रेस सांसद नीरज डांगी ने कहा, "यह बहुत चौंकाने वाला है। पिछले सत्र में भी उनकी तबीयत खराब थी, लेकिन वे तीसरे-चौथे दिन लौट आए थे। अचानक स्वास्थ्य कारणों का हवाला देना सवाल उठाता है। मुझे लगता है कि यह सरकार के दबाव में लिया गया इस्तीफा है।"
कांग्रेस का रुख: सवाल और संदेह
कांग्रेस ने धनखड़ के इस्तीफे को "चौंकाने वाला और अस्पष्ट" करार दिया है। कहां तो कांग्रेस धनखड़ के खिलाफ महाअभियोग प्रस्ताव का नोटिस दे चुकी है लेकिन अब उसे धनखड़ से हमदर्दी भी हो रही है। जयराम रमेश ने X पर पोस्ट किया, "इस अप्रत्याशित इस्तीफे में जो दिख रहा है, उससे कहीं ज्यादा है।" उन्होंने कहा कि धनखड़ ने सोमवार को दिन में उनके साथ मुलाकात की थी और शाम 7:30 बजे तक फोन पर बात हुई थी, लेकिन इस्तीफे का कोई संकेत नहीं था। रमेश ने यह भी उल्लेख किया कि धनखड़ मंगलवार को बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक और न्यायपालिका से संबंधित महत्वपूर्ण घोषणाएं करने वाले थे।
कांग्रेस सांसद जेबी माथेर ने कहा, "यह बहुत अप्रत्याशित है। उपराष्ट्रपति ने सुबह सत्र की अध्यक्षता की थी। हम उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करते हैं।" वहीं, सांसद इमरान मसूद ने सवाल उठाया, "वे पूरे दिन संसद भवन में थे। सिर्फ एक घंटे में ऐसा क्या हुआ कि उन्हें इस्तीफा देना पड़ा?" पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने धनखड़ के अच्छे स्वास्थ्य और लंबी आयु की कामना की।
अब आगे क्या?
संविधान के अनुच्छेद 67 के तहत, उपराष्ट्रपति के इस्तीफे के बाद राज्यसभा के उपसभापति दैनिक कार्यवाहियों का प्रबंध कर रहे हैं। उपराष्ट्रपति का पद छह महीने के भीतर भरा जाना होगा। धनखड़ तीसरे उपराष्ट्रपति हैं जिन्होंने अपना कार्यकाल पूरा होने से पहले इस्तीफा दिया, इससे पहले वी.वी. गिरि (1969) और आर. वेंकटरमण (1987) ने भी ऐसा किया था।