सूत्रों के मुताबिक उस नेता ने बताया- चूंकि अकाली दल ने किसानों के मुद्दों पर भाजपा का साथ छोड़ दिया था, इसलिए वह राजनीतिक लाभ पर साझेदारी के लिए वापस नहीं जा सकता। अकाली दल पंजाब की एकमात्र प्रतिनिधि पार्टी है और हम राज्य के लिए कुछ भी बलिदान दे सकते हैं। अकाली नेता ने कहा- "हम पाकिस्तान के साथ व्यापार संबंध खोलने की मांग कर रहे हैं। इससे पंजाबियों को तुरंत मदद मिलेगी क्योंकि वहां व्यापार की व्यापक संभावनाएं हैं।"
समझा जाता है कि गठबंधन की बातचीत कई मुद्दों पर विफल रही, जिनमें मुख्य रूप से लोकसभा सीटों में बड़ी हिस्सेदारी पर अकाली दल का जोर शामिल है। भाजपा 13 क्षेत्रों में से पांच और अधिकतम छह की मांग कर रही थी। सूत्रों ने कहा कि अकाली चार देने को राजी थी। इसलिए भाजपा के लिए अकेले जाना बेहतर है। वैसे भी भाजपा ने पहले ही राज्य की सभी 13 सीटों के लिए संभावितों का एक पैनल बना लिया है। .