पंजाब में 14 फ़रवरी 2022 को एक चरण में होने वाले विधानसभा चुनाव का समीकरण इस बार काफी बदला हुआ है। जानिए, यह पिछले विधानसभा चुनाव के समीकरण से कैसे अलग है?
चुनाव आयोग द्वारा शनिवार को पंजाब सहित पाँच राज्यों में चुनाव की घोषणा कर दी गई। पंजाब में 14 फ़रवरी को मतदान होगा और वोटों की गिनती 10 मार्च को होगी। क्या इस बार पिछली बार से अलग चुनावी नतीजे आएँगे? क्या अमरिंदर सिंह के हटने से कांग्रेस को नुक़सान होगा या पार्टी एक बार फिर सत्ता में लौटेगी? क्या इस बार आम आदमी पार्टी पिछली बार की तरह ही चौंकाएगी? इससे भी बड़ा सवाल है कि क्या चरणजीत सिंह चन्नी ही सबको चौंका देंगे?
इसे समझने के लिए पिछले चुनाव नतीजे यानी 2017 के चुनाव के नतीजे भी काफी अहम हो साबित हो सकते हैं। तब कैप्टन अमरिंदर सिंह कांग्रेस में थे और उन्होंने पार्टी की कमान संभाली थी। तब पंजाब विधानसभा चुनाव में पहली बार त्रिकोणीय मुक़ाबले के बीच 77 सीटें लेकर कांग्रेस पार्टी ने पंजाब में तत्कालीन सत्ताधारी शिअद-बीजेपी गठबंधन की दस साल पुरानी सत्ता को गिरा दिया था।
पिछले चुनाव में एक और चौंकाने वाला नतीजा आया था। लोक इंसाफ पार्टी के साथ गठबंधन कर चुनाव में उतरी आप को 20 सीटें मिली थीं और लोक इंसाफ पार्टी को 2 सीटें मिली थीं।
कांग्रेस को सबसे ज़्यादा वोट मिले थे। उसे कुल मतदान का 38.77 फीसदी मत मिला था। इसके बाद शिरोमणि अकाली दल और आम आदमी पार्टी को मत मिले थे।
पंजाब के तीनों क्षेत्रों में कांग्रेस का बढ़िया प्रदर्शन रहा था।
विधानसभा चुनाव जीतने के लिए किसी भी दल या गठबंधन को 59 का आंकड़ा हासिल करना होता है। इस बार चुनाव में चार-कोणीय मुक़ाबला होना है। एक तो चरणजीत सिंह चन्नी के नेतृत्व वाली कांग्रेस है। दूसरी, आम आदमी पार्टी। तीसरी, शिरोमणि अकाली दल और इस बार चौथी पार्टी कैप्टन अमरिंदर सिंह की पार्टी और बीजेपी का गठबंधन भी चुनाव मैदान में है।
पंजाब कांग्रेस की बागडोर संभालने के बाद से सिद्धू का क़द और बढ़ गया है। अगर कांग्रेस सरकार वापस आती है तो सिद्धू को एक बड़ी भूमिका में देखने की उम्मीद की जा सकती है। चरणजीत सिंह चन्नी को चुनकर कांग्रेस ने राज्य में अपने लिए दलित वोट बैंक मज़बूत करने की ओर क़दम बढ़ा लिए हैं। ऐसे में आगामी विधानसभा चुनाव में भी चन्नी की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है।