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विधानसभा सत्र: राज्यपाल ने मांगा एजेंडा, मान बोले- बहुत हो गया

पंजाब में राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित और भगवंत मान सरकार के बीच जंग जारी है। राज्यपाल ने मान सरकार के द्वारा 27 सितंबर को बुलाए गए विधानसभा के विशेष सत्र का एजेंडा राजभवन को देने के लिए कहा है। लेकिन मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इसका विरोध किया है।

मुख्यमंत्री ने कहा है कि विधानसभा सत्र से पहले राज्यपाल या राष्ट्रपति की सहमति सिर्फ एक औपचारिकता होती है। उन्होंने कहा कि 75 सालों में किसी भी राज्यपाल या राष्ट्रपति ने कभी भी विधानसभा सत्र बुलाए जाने से पहले विधायी कार्यों की सूची नहीं मांगी। 

मुख्यमंत्री ने कहा है कि विधायी कार्यों के बारे में फैसला बिजनेस एडवाइजरी कमेटी और स्पीकर करते हैं। 

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मुख्यमंत्री मान ने कहा है कि अगली बार राज्यपाल सभी भाषणों को भी उनके द्वारा स्वीकृत किए जाने के लिए कहेंगे। उन्होंने कहा कि अब यह हद से ज्यादा हो गया है। 

बताना होगा कि पंजाब की आम आदमी पार्टी सरकार ने 22 सितंबर को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया था और राज्यपाल ने 20 सितंबर को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाए जाने की इजाजत भी दे दी थी। लेकिन सत्र से एक दिन पहले एक पत्र जारी कर उन्होंने इसे वापस ले लिया। इस सत्र में मान सरकार बहुमत साबित करने के लिए विश्वास प्रस्ताव लाने जा रही थी। 

विधानसभा का विशेष सत्र बुलाए जाने को लेकर विधानसभा में विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा, कांग्रेस विधायक सुखपाल सिंह खैरा और पंजाब बीजेपी के अध्यक्ष अश्विनी शर्मा की ओर से राजभवन को पत्र लिखकर कहा गया था कि राज्य सरकार के पक्ष में किसी भी तरह का विशेष सत्र बुलाने का कोई कानूनी प्रावधान नहीं है और राज्यपाल ने मंजूरी को रद्द कर दिया था।

punjab assembly special session withdrawn for trust vote - Satya Hindi

इसके बाद भगवंत मान सरकार ने कहा था कि वह राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित के द्वारा विधानसभा का विशेष सत्र बुलाए जाने की मंजूरी न देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट जाएगी। साथ ही पंजाब सरकार ने यह फैसला भी लिया था कि 27 सितंबर को एक बार फिर विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया जाएगा। सरकार ने कहा था कि इस सत्र में पराली जलाने और ऊर्जा विभाग से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। हालांकि यह कहा जा रहा है कि मान सरकार इस सत्र में बहुमत साबित करने के लिए विश्वास प्रस्ताव ला सकती है। 

लेकिन अब राज्यपाल ने इस सत्र का एजेंडा सरकार से मांग लिया है। जिस पर मुख्यमंत्री ने नाराजगी जताई है। 

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ऑपरेशन लोटस का आरोप 

बताना होगा कि कुछ दिन पहले पंजाब में आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया था कि बीजेपी के नेताओं ने उसके विधायकों से संपर्क करने की कोशिश की और इस दौरान उसके विधायकों को बीजेपी के साथ आने के लिए 25-25 करोड़ रुपए का ऑफर दिया गया। पंजाब सरकार के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा, उच्च शिक्षा मंत्री गुरमीत सिंह मीत हायर, शहरी विकास मंत्री अमन अरोड़ा, दिल्ली के विधायक सौरभ भारद्वाज, आतिशी मार्लेना ने ऑपरेशन लोटस को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेन्स की थी और बीजेपी पर हमला बोला था। 

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दिल्ली में बुलाया था विशेष सत्र 

इससे पहले दिल्ली में भी आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया था कि बीजेपी के नेताओं ने उसके विधायकों से संपर्क करने की कोशिश की और विधायकों को पाला बदलने के लिए 20-20 करोड़ रुपए का ऑफर दिया गया। इसे लेकर आम आदमी पार्टी ने सड़क से लेकर विधानसभा तक जोरदार प्रदर्शन किया था और उसके बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर अपनी सरकार का बहुमत साबित किया था। केजरीवाल ने कहा था कि बीजेपी आम आदमी पार्टी के एक भी विधायक को नहीं तोड़ सकी।

राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित के द्वारा विधानसभा का विशेष सत्र बुलाए जाने की मंजूरी न देने के बाद आम आदमी पार्टी के विधायकों ने चंडीगढ़ में मार्च निकाला था। मार्च में पार्टी के तमाम विधायक, राज्य सरकार के मंत्री और कार्यकर्ता शामिल हुए थे। 

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बीजेपी ने भी चंडीगढ़ में प्रदर्शन किया था और मुख्यमंत्री भगवंत मान के आवास का घेराव किया था। बीजेपी नेताओं ने आम आदमी पार्टी सरकार को ड्रामेबाज बताया और कहा था कि राज्यपाल ने लोकतंत्र की हत्या होने से बचाने वाला काम किया है।
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क़मर वहीद नक़वी
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