loader

गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी पर पीट-पीट कर मारे जाने की निंदा क्यों नहीं कर रहे हैं लोग?

भारत में धार्मिक कट्टरता किस तरीके से बढ़ रही है, उसका अंदाज इससे लगाया जा सकता है कि पंजाब के अमृतसर में गुरु ग्रंथ साहिब की कथित बेअदबी के आरोप में पीट-पीट कर मार डाले जाने की वारदात की निंदा तक करने से लोग बच रहे हैं।

स्वर्ण मंदिर में कथित बेअदबी के बाद हुई हत्या के मामले में अब तक किसी को गिरफ़्तार नहीं किया गया, इसकी जाँच अब तक शुरू नहीं हुई है, पुलिस ने मारे गए व्यक्ति पर बेअदबी का मामला तो लगा दिया, पर इस हत्या का मामला तक दर्ज नहीं किया गया है। 

और तो और, किसी सिख संगठन ने खुद तो इसकी निंदा नहीं ही की है, कहे जाने पर भी निंदा करने से इनकार कर दिया है।

शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रमुख हरजिंदर सिंह धामी ने 'एनडीटीवी' से कहा, 

यह कोई मामूली घटना नहीं है। यह सामाजिक अपराध नहीं है, यह गुरु ग्रंथ साहिब से जुड़ा हुआ मामला है। हम इस वारदात की निंदा नहीं कर सकते क्योंकि यह सिखों की आस्था और उनकी भावनाओं से जुड़ा हुआ है।


हरजिंदर सिंह धामी, प्रमुख, शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी

'सामान्य घटना नहीं'

धामी ने इसके आगे कहा, "बेअदबी का यह पहला मामला नहीं है। बेअदबी के इतने मामलों में अब तक किसी को सज़ा नहीं हुई है। यह सामान्य बात नहीं है।" 

वे 2015 में हुई बेअदबी की वारदात की ओर इशारा कर रहे थे, जिसने पंजाब और वहां की राजनीति को प्रभावित किया है। 

धामी ने बेअदबी के आरोपों में हुई हत्या को भी वाजिब ठहराया है। उन्होंने कहा कि इस तरह के हमले आत्मरक्षा के लिए हुए हैं। उन्होंने 'एनडीटीवी' से कहा,

आत्मरक्षा के नियम के अनुसार, यदि आप पर कोई हमला करता है तो आप अपनी रक्षा के लिए जवाबी हमला कर सकते हैं।


हरजिंदर सिंह धामी, प्रमुख, शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी

चुप हैं राजनीतिक दल

सिखों की संस्था एसजीपीसी ही नहीं, राजनीतिक दल भी इस मुद्दे पर चुप हैं। न तो बीजेपी ने ही आम आदमी पार्टी ने पंजाब की इन घटनाओं की निंदा की है। समझा जाता है कि इन दलों को यह डर है कि बेअदबी के मामले में पीट पीट कर मारे जाने की निंदा करने से सिख समुदाय उनसे नाराज़ हो जाएगा। अगले साल होने वाले पंजाब विधानसभा चुनाव को देखते हुए कोई दल सिखों की नाराज़गी मोल लेना नहीं चाहता। 

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

पंजाब से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें