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राजस्थान: दिन भर चला जोरदार राजनीतिक ड्रामा, फ़्रंटफ़ुट पर रहे गहलोत

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जल्द से जल्द विधानसभा सत्र बुलाने की माँग को लेकर राज्यपाल कलराज मिश्रा के घर पर चार घंटे से अधिक समय तक विरोध प्रदर्शन किया। कुछ बिंदुओं पर सफ़ाई माँगने के साथ ही विधानसभा सत्र बुलाने का राज्यपाल ने आश्वासन दिया तो कांग्रेस का समर्थन कर रहे विधायकों ने अपना धरना ख़त्म किया। मुख्यमंत्री ने राज्यपाल को 102 विधायकों की सूची सौंपी। गहलोत ने रात को कैबिनेट की बैठक बुलाई और आगे की रणनीति पर चर्चा की। 

बता दें कि सचिन पायलट और कांग्रेस के अन्य बाग़ी विधायकों को जारी स्पीकर के नोटिस पर हाई कोर्ट की ओर से स्टे लगाए जाने के बाद शुक्रवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत आक्रामक अंदाज में सामने आए। 

‘यहां उल्टी गंगा बह रही है’

राजभवन से बाहर निकलने के बाद गहलोत ने पत्रकारों से कहा, मुझे यह कहने में संकोच नहीं है कि बिना ऊपर के दबाव के राज्यपाल विधानसभा सत्र रोक नहीं सकते थे। राज्यपाल को संवैधानिक दायित्व निभाना चाहिए।’ गहलोत ने कहा कि यहां उल्टी गंगा बह रही है, हम कह रहे हैं कि हम सत्र बुलाएंगे, अपना बहुमत साबित करेंगे लेकिन सत्र नहीं बुलाया जा रहा है। 
गहलोत के साथ राजभवन पहुंचे विधायक धरने पर बैठ गए और जमकर नारेबाज़ी की। उनकी मांग है कि विधानसभा का सत्र जल्द से जल्द बुलाया जाए। विधायकों ने संविधान जिंदाबाद के नारे लगाए।
गहलोत की कोशिश है कि किसी भी तरह विधानसभा का सत्र जल्द से जल्द बुलाया जाए और वह अपना बहुमत साबित करें। राज्यपाल ने कहा है कि उन्हें कुछ समय चाहिए क्योंकि मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में है। जबकि इससे पहले राज्यपाल ने कहा था कि अभी विधानसभा का सत्र बुलाना ठीक नहीं है क्योंकि कोरोना का संकट चल रहा है। 
राजस्थान में शुक्रवार को दिन भर चले सियासी घटनाक्रम में जिस तरह मुख्यमंत्री अशोक गहलोत फ़्रंटफ़ुट पर खेले, उससे लगता है कि पार्टी इस सियासी संकट को राजस्थान में बड़ा मुद्दा बनाएगी। इससे आगे बढ़ते हुए राजस्थान कांग्रेस ने एलान किया है कि पार्टी के कार्यकर्ता शनिवार सुबह 11 बजे सभी जिला मुख्यालयों पर धरना-प्रदर्शन करेंगे। 

इस बीच, गहलोत सरकार में मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा है कि आख़िर राज्यपाल सत्र बुलाने की अनुमति क्यों नहीं दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार लोकतंत्र का गला घोंट रही है। 

इससे पहले गहलोत ने पत्रकारों से कहा, ‘हमने गुरूवार रात को राज्यपाल को पत्र भेजकर कहा है कि विधानसभा का सत्र बुलाएं और उसमें कोरोना व राज्य के हालात को लेकर चर्चा हो। मेरा मानना है कि दबाव के कारण वह विधानसभा सत्र बुलाने का निर्देश नहीं दे रहे हैं।’ 

गहलोत ने कहा, ‘मैंने शुक्रवार को फिर से उनसे फ़ोन पर बात  की है। हम सोमवार को विधानसभा का सत्र बुलाना चाहते हैं और वहां दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।’ गहलोत ने कहा कि यह समझ से परे है कि विधानसभा सत्र बुलाने की अनुमति क्यों नहीं दी जा रही है। 

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘राज्यपाल किसी के दबाव में नहीं आएं। वरना फिर हो सकता है कि पूरे प्रदेश की जनता राजभवन को घेरने के लिए आ गई तो हमारी जिम्मेदारी नहीं होगी।।’
मुख्यमंत्री ने कहा कि राजस्थान में तोड़फोड़ करके सरकार गिराने की परंपरा नहीं रही है और प्रदेश की जनता सब देख रही है। 
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गहलोत ने कहा कि हमारे पास स्पष्ट बहुमत है। उन्होंने लगभग चेतावनी वाले अंदाज़ में कहा, ‘राज्यपाल विधानसभा सत्र तुरंत बुलाएं। हम लोग सोमवार से सत्र शुरू करना चाहते हैं। इनकम टैक्स, ईडी, सीबीआई के छापे, ऐसा नंगा नाच देश में पहले नहीं देखा गया।’ 

इससे पहले हाई कोर्ट से मिले स्टे को सचिन पायलट गुट के लिए राहत माना जा रहा है। अब सारी नज़रें सुप्रीम कोर्ट पर टिक गई हैं कि वह इस मामले में क्या फ़ैसला सुनाता है। इसके अलावा हाई कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार को भी पक्षकार बना दिया है। 

अदालत ने यथास्थिति को बरकरार रखने के लिए कहा है। इसका मतलब यह हुआ कि स्पीकर सोमवार तक पायलट व बाग़ी विधायकों के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं कर पाएंगे क्योंकि सोमवार को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है।

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पायलट गुट द्वारा नोटिस को जयपुर हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी। 21 जुलाई को हुई सुनवाई के दौरान अदालत ने स्पीकर से कहा था कि वह 24 जुलाई तक पायलट व बाग़ी विधायकों को लेकर कोई फ़ैसला न लें। 

हाई कोर्ट के फ़ैसले के ख़िलाफ़ राजस्थान विधानसभा के स्पीकर सीपी जोशी ने सुप्रीम कोर्ट का रूख किया था। स्पीकर ने कहा था कि राजस्थान संवैधानिक संकट की ओर बढ़ रहा था और इसे टालने के लिए ही उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय का दरवाज़ा खटखटाया। लेकिन गुरूवार को हुई सुनवाई में स्पीकर को कोई राहत नहीं मिली थी। 

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क़मर वहीद नक़वी
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