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राजस्थान में आंबेडकर के पोस्टर विवाद पर दलित की हत्या

राजस्थान के हनुमानगढ़ ज़िले में डॉ. भीमराव आंबेडकर के पोस्टर को फाड़ने के विवाद में एक दलित युवक की हत्या कर दी गई। 

घटना इतनी सी थी कि रावतसर तहसील के किकरालिया गांव में उस युवक के घर बाहर डॉ. आंबेडकर की तसवीर थी और उसे ओबीसी समुदाय के कुछ युवकों ने फाड़ दिया था। इस विवाद में भीम आर्मी के 22 वर्षीय सदस्य दलित युवक विनोद बामनिया पर 5 जून को हमला किया गया। इसमें वह गंभीर रूप से घायल हो गया था। दो दिन बाद अस्पताल में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। एफ़आईआर में अनिल सिहाग और राकेश सिहाग सहित कई लोगों के नाम हैं।

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पुलिस ने पीड़ित परिवार की शिकायत के बाद आरोपियों के ख़िलाफ़ पोस्टर को फाड़ने और युवक से मारपीट करने के मामले में रिपोर्ट दर्ज की है। एफ़आईआर में यह भी आरोप लगाया गया है कि आरोपियों ने युवक को पीटते हुए जातीय टिप्पणियाँ भी की थीं। देश में दलितों के ख़िलाफ़ उत्पीड़न और हिंसा के मामले आते रहे हैं। और इसमें भी जातिगत टिप्पणी करने के मामले तो बहुत ही ज़्यादा हैं। 

पुलिस ने कहा है कि मृतक युवक ने पहले भी कई बार अलग-अलग मामलों को लेकर शिकायत की थी। 'एबीपी' न्यूज़ की रिपोर्ट के अनुसार, इस मामले में मृतक के चचेरे भाई मुकेश ने कहा है कि विनोद ने इससे पहले अन्य युवकों के साथ मिलकर आंबेडकर की जयंती मनाई थी और घर के बाहर पोस्टर चिपकाए थे। इसके बाद आरोपियों ने उन्हें फाड़ दिया और फिर विवाद शुरू हुआ। 

घटना के समय मृतक विनोद के साथ मौजूद रहे उनके भाई मुकेश ने बीबीसी को बताया, 'पांच जून की शाम को मैं और विनोद खेत पर जा रहे थे तभी एक गाड़ी हमारे पास रुकी और हम कुछ समझ पाते इतने में गाड़ी से निकले लोगों ने हम पर हॉकी स्टिक और लाठियों से हमला कर दिया।'

रिपोर्ट के अनुसार, रावतसर सर्किल ऑफ़िसर रणवीर सिंह मीणा ने कहा है कि घर की दीवार पर डॉक्टर भीमराव आंबेडकर के बैनर को फाड़ने और हमला करने के मामले में चार आरोपियों को गिरफ़्तार कर लिया है और दो की तलाश जारी है।

प्राथमिकी में कहा गया है कि आरोपी ने कथित तौर पर हमले के दौरान जातिवादी गालियाँ दीं, और कहा- 'आज तुम्हें आंबेडकरवाद याद दिलाएंगे।'

रिपोर्ट है कि दोनों पक्षों के बीच पहले सभी विवाद रहा था। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस का कहना है कि बामनिया ने इस साल की शुरुआत में दो बार अलग-अलग मुद्दों पर शिकायतें दर्ज कराई थीं 

भीम आर्मी ने पुलिस पर कार्रवाई करने में निष्क्रियता बरतने का आरोप लगाते हुए प्रदर्शन भी किया। भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर रावण के भी पीड़ित परिवार से मिलने जाने की ख़बर है। इधर हनुमानगढ़ एसपी प्रीति जैन ने कहा है कि यह कहना ग़लत है कि पुलिस निष्क्रिय रही क्योंकि घटना पर त्वरित कार्रवाई करते हुए आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। 

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एक रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि विनोद के परिजनों और आरोपियों के रिश्तेदारों के बीच कई साल से एक रास्ते को लेकर विवाद रहा है। उस रास्ते पर कोर्ट ने स्टे लगाया हुआ है। उन परिवारों के बीच पहले भी दो बार यह झगड़े हुए हैं। 

देश में दलितों पर ऐसे हमले या उत्पीड़न की यह पहली घटना नहीं है। पहले भी इस तरह की घटनाएँ होती रही हैं, लेकिन पिछले कुछ सालों से इसमें वृद्धि हुई है। ओडिशा के ढेनकनाल ज़िले में कांटियो केटनी गाँव में एक दलित लड़की ने सवर्ण के बगीचे से फूल तोड़ लिया तो उसका सामाजिक बहिष्कार कर दिया गया था। उत्तर प्रदेश के अमेठी ज़िले में एक दलित को जिंदा जलाने का मामला आया था। उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में एक दलित शख़्स को घेरकर व पीट-पीटकर सिर्फ़ एक अफ़वाह के कारण मार दिया गया था। अफ़वाह यह थी कि उसने अपनी बेटी को बेच दिया है। जबकि उसने बेटी को नोएडा में रहने वाले एक रिश्तेदार के वहां भेज दिया था लेकिन कुछ दबंगों ने इसे बेचने की बात समझकर ग़रीब पिता पर अपनी हैवानियत दिखा दी।

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क़मर वहीद नक़वी
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