loader
प्रतीकात्मक और फाइल फोटो

नामाकंन प्रक्रिया शुरु लेकिन अब तक प्रत्याशियों का नाम घोषित नहीं कर रही पार्टियां

राजस्थान विधानसभा चुनाव के नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। इसके बावजूद कांग्रेस और भाजपा के रवैये के कारण राज्य की काफी सीटों पर मतदाताओं को यह पता ही नहीं कि दोनों प्रमुख पार्टियों से कौन उम्मीदवार होगा। 
कांग्रेस ने राज्य की 105 तो भाजपा ने 76 विधानसभा सीटों पर अपने प्रत्याशियों के नाम की अब तक घोषणा नहीं की है। यह स्थिति तब है जब मतदान में एक माह से भी कम समय बचा है। 
कांग्रेस और भाजपा खुद ही कंफ्यूज हैं कि बची हुई सीटों पर किसे अपना प्रत्याशी बनाये। इसके कारण मतदाताओं का कंफ्यूजन भी बढ़ता जा रहा है। 
वहीं दूसरी तरफ इन सीटों के दावेदार भी परेशान है। उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि उन्हें पार्टी टिकट देगी या नहीं ऐसे में वह उत्साह से चुनाव प्रचार भी नहीं कर पा रहे हैं। 
कुल मिलाकर प्रत्याशियों के नाम की घोषणा इन सीटों पर अब तक नहीं होने से नेताओं, कार्यकर्ताओं और मतदाताओं तीनों में कंफ्यूजन पैदा हो रहा है। 
राजनैतिक विश्लेषकों का मानना है कि इन दिनों राजस्थान के राजनैतिक हालात पूरे तरह से बिगड़े हुए हैं। दोनों ही पार्टियां अब तक अपने उम्मीदवारों की घोषणा तक नहीं कर पा रही हैं। इससे पता चलता है कि दोनों ही पार्टियों में गुटबाजी चरम पर है और एकमत से कोई फैसला नहीं हो पा रहा है। 
राजस्थान की राजनीति इतनी उलझी हुई दिख रही है कि अभी बस सूत्रों के हवाले के खबरे छन कर आ रही हैं। आधिकारिक तौर पर दोनों ही पार्टियां और उसके नेता कुछ भी इस बारे में बोलने से परहेज कर रहे हैं। 
ताजा ख़बरें

गुटबाजी और अधिक दावेदारों के कारण हो रही है देरी 

कांग्रेस की ओर से राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए सूची जारी होने में देरी का कारण पार्टी में गुटबाजी, अनेकों दावेदार और समीकरणों को ध्यान में रख कर सूची तैयार करना बताया जा रहा है। 

सूत्र बताते हैं कि राजस्थान कांग्रेस में सीटों के लिए गुटबाजी अंदर ही अंदर खूब हो रही है। कई वरिष्ठ नेता अपने-अपने समर्थकों को टिकट दिलाने के लिए कोशिश में है। इस सब के कारण टिकट बांटने का काम पूरी तरह से उलझ चुका है। 
कांग्रेस अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं की बगावत से भी डरी हुई है। इसके कारण पार्टी को फैसला लेने में परेशानी आ रही है। बहुत सी सीटों पर वह इंतजार कर रही है कि उसपर पहले भाजपा अपने प्रत्याशी का ऐलान कर दे फिर वह समीकरणों को ध्यान में रख कर अपना प्रत्याशी उतारेगी। 
राजस्थान भाजपा की बात करे तो यहां भी पार्टी की हालत ठीक नहीं है। राज्य में आचार संहिता लगने के बाद 9 अक्टूबर को भाजपा ने अपने 41 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की थी। 

जिसमें भाजपा ने काफी प्रयोग किए थे। इसमें सात सांसदों को पार्टी ने टिकट दिया था। इन प्रयोगों का विरोध थमा भी नहीं था कि भाजपा ने फिर  21 अक्तूबर को 83 उम्मीदवारों की दूसरी सूची जारी कर दी थी। इसमें वसुंधरा राजे खेमे के 28 उम्मीदवारों को शामिल किया गया था।
 लेकिन इसके बाद भाजपा में गुटबाजी बढ़ने और अंदरुनी राजनीति के कारण उम्मीदवारों का घोषणा पर विराम लग गया।
  सूत्रों का कहना है कि शेष सीटों के लिए पार्टी ने नामों का चयन कर लिया है अब उसपर बस मोहर लगानी बाकि है। इसके बाद 31 अक्टबर की शाम तक या इसके बाद बहुत जल्द इसे जारी किया जा सकता है। 
इस तीसरी सूची में अपने नाम की उम्मीद पार्टी के कई दिग्गज नेता लगाये बैठे हैं। सूत्र बताते हैं कि पार्टी तीसरी सूची में 50 नामों की घोषणा कर सकती है। 

राजस्थान से और खबरें

आम आदमी पार्टी 63 सीटों पर उतार चुकी है उम्मीदवार 

राजस्थान विधानसभा चुनाव में इस बार कांग्रेस और भाजपा के बीच भले ही मुख्य मुकाबला है लेकिन चुनाव में आम आदमी पार्टी भी अपनी किस्मत आजमाती दिख रही है। पार्टी ने अब तक 63 उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। 
बीते 30 अक्टूबर को इसने अपनी तीसरी लिस्ट में 19 उम्मीदवारों की घोषणा की है। इससे पहले आप ने अपनी पहली सूची में 23 और दूसरी सूची में 21 विधानसभा सीटों पर प्रत्याशी घोषित कर चुकी है। आम आदमी पार्टी इंडिया गठबंधन का हिस्सा है। 
इसके बावजूद वह राजस्थान विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के खिलाफ चुनाव लड़ रही है। वह कांग्रेस को हराने के लिए मतदाताओं से वोट मांग रही है। वह राज्य सरकार की नाकामियां भी गिना रही है।
चुनाव में उतरने के बाद आम आदमी पार्टी का शीर्ष नेतृत्व पूरी ताकत से यहां अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की कोशिश में है। पार्टी के बड़े नेता लगातार इन राज्यों का दौरा कर रहे हैं। दिल्ली से नेता इन राज्यों में आकर कैंप कर रहे हैं। पार्टी की कोशिश राजस्थान में कुछ सीटें जीत कर अपना विस्तार करने की है। 
अब देखना दिलचस्प होगा कि राजस्थान चुनाव में आम आदमी पार्टी कांग्रेस या भाजपा किसका वोट काटेगी। हालांकि कई राजनैतिक विश्लेषकों का मानना है कि आम आदमी पार्टी का पुराना इतिहास कांग्रेस का वोट काटने का रहा है। 
भाजपा का मतदाता स्थिर मतदाता माना जाता है जो कैडर मतदाता की तरह है। दिल्ली हो या पंजाब आप ने कांग्रेस के वोट हथियाने में कामयाबी पायी है। इसने हर जगह अब तक सिर्फ कांग्रेस को ही नुकसान पहुंचाया है। ऐसे में  कांग्रेसी नेता इससे सचेत भी हैं। 
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

राजस्थान से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें