यूं तो यह समय हर एक के लिए कठिन है लेकिन प्रवासी मजदूरों के लिए कुछ ज़्यादा ही। बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूरों का महानगरों से अपने गांवों की ओर हजारों किलोमीटर लंबे सफर को पैदल ही तय करते देखना कष्टदायक है। लंबा सफर तय करते हुए उनके पैर में छाले पड़ चुके हैं।