आपने पढ़ा होगा, शायद वीडियो भी देखा होगा। 25 दिसंबर को अटल बिहारी वाजपेयी की जन्मशती के अवसर पर पटना में कार्यक्रम एक भाजपाई नेता ने आयोजित किया था। मंच से लोक गायिका देवी ने कार्यक्रम में गांधी जी का एक प्रिय भजन 'रघुपति राघव राजा राम' गाना शुरू किया। इस भजन में ईश्वर के साथ अल्लाह भी आते हैं। आज के ये 'सच्चे- सनातनी हिंदू' अल्लाह का नाम कैसे बर्दाश्त कर सकते हैं? मंच के नीचे से विरोध में 'जयश्री राम' के नारे लगने लगे। नेताओं में इससे खलबली मच गई। एक नेता ने गायिका से फौरन माफी मांगने और गाना बंद करने को कहा। गायिका ने ऐसा ही किया। श्रोताओं से क्षमा मांगते हुए उन्होंने कहा कि इससे आपकी भावनाएँ आहत हुई हों तो मैं माफी मांगती हूं। अब नेता जी की बारी थी- जयश्री राम के नारे लगवाने की। और इस तरह यह कार्यक्रम सफल हो गया होगा।
गांधी ज़िंदा होते तो अधनंगा हो देश को बदनाम करने के आरोप में जेल में होते!
- व्यंग्य
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- 29 Dec, 2024

पटना में वाजपेयी के जन्मदिन के मौके पर लोक गायिका देवी ने कार्यक्रम में गांधी जी का एक प्रिय भजन 'रघुपति राघव राजा राम' गाना शुरू किया तो हंगामा क्यों हुआ? क्या गांधी जी के इस भजन में ईश्वर के साथ अल्लाह आने से आपत्ति है?
तो भाइयो- बहनो, अब मत कहना कि आज गांधी होते, तो ऐसा होता और गांधी होते, तो वैसा होता। गांधी होते, तो ये नहीं होता और गांधी होते, तो वो नहीं होता। सब होता, जो आज हो रहा है और वो सब नहीं होता, जो होना चाहिए। जो भीड़ ईश्वर और अल्लाह का नाम साथ- साथ लेना सहन नहीं कर सकती, वह गांधी का इस समय जिंदा रहना क्या बर्दाश्त कर लेती?