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बुलडोजर रोके तो सुप्रीम कोर्ट के ख़िलाफ़ बोलने वाले लोग कौन?

जहांगीरपुरी में 'अतिक्रमण' के ख़िलाफ़ अचानक बुलडोजर चला। तीखी प्रतिक्रिया हुई। कार्रवाई के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई गई तो अदालत ने इस मामले में स्टे दे दिया। यानी तत्काल कार्रवाई करने से रोक दिया जब तक कि मामले में सुनवाई न हो जाए। इसका मतलब यह नहीं है कि सुप्रीम कोर्ट ने आखिरी फ़ैसला ही सुना दिया है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के इस क़ानूनी रूप से सटीक फ़ैसले पर बीजेपी समर्थक और दक्षिणपंथी टूट पड़े। 

ऐसे लोगों ने सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले पर किस तरह की ओछी टिप्पणी की है, वह जानने से पहले यह जान लें कि आख़िर यह पूरा मामला कैसे चला है। 

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जहाँगीरपुरी में कुछ दिन पहले शोभायात्रा के दौरान हिंसा हुई थी। विवाद चल ही रहा था कि दो पहले मंगलवार को दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष ने 'अतिक्रमण' के ख़िलाफ़ बुलडोजर से कार्रवाई के लिए दिल्ली नगर निगम को ख़त लिखा। बुधवार को बुलडोजर की कार्रवाई शुरू भी हो गई। सुप्रीम कोर्ट की रोक लगी तो भी काफ़ी देर तक कार्रवाई चलती रही। देश भर में तीखी प्रतिक्रिया हुई। और आज फिर से सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने साफ़ कह दिया कि इस पर 2 हफ़्ते में फ़ैसला आएगा और तब तक यथास्थिति बरकरार रहेगी।

अदालत के इस फ़ैसले के बाद भी सुप्रीम कोर्ट को निशाने पर फिर से लिया जाने लगा। 

हरियाणा बीजेपी के आईटी डिपार्टमेंट के प्रमुख अरुण यादव ने अजीबोगरीब तर्क रखते हुए सुप्रीम कोर्ट को लेकर टिप्पणी की, 'जो सुप्रीम कोर्ट बंगाल नरसंहार और हिंसा, कश्मीरी पंडितों के नरसंहार और 70 साल राम मंदिर का निर्णय देने में सोया रहा.. दंगाइयों पर कार्यवाही हुई तो वही सुप्रीम कोर्ट 70 मिनट में जाग गया।'

बीजेपी से जुड़े इस नेता ने जहांगीरपुरी मामले में सुप्रीम कोर्ट के स्टे देने के फ़ैसले का ज़िक्र करते हुए कह दिया, '... क़ानून अगर अंधा है तो बुलडोजर को अब बहरा होना पड़ेगा।'

बता दें कि जब तोड़फोड़ की टीम सैकड़ों पुलिसकर्मियों के साथ सुबह जहांगीरपुरी पहुँची थी तो इसके तुरंत बाद सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक याचिका लगाई गई और फिर शीर्ष अदालत ने उस कार्रवाई पर स्टे दे दिया और यथास्थिति बनाए रखने के लिए कहा। लेकिन मीडिया में रिपोर्टें आती रहीं कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी क़रीब डेढ़-दो घंटे तक बुलडोजर से कार्रवाई जारी रही।

अदालत के आदेश के बाद भी कार्रवाई जारी रहने पर याचिकाकर्ताओं के वकील दुष्यंत दवे ने सीजेआई के सामने फिर से इस मामले को रखा। सीजेआई ने सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री से कहा कि वह संबंधित अफसरों तक अदालत के इस आदेश को पहुंचाएं। इस तरह कुछ ही देर में अदालत ने दो बार इस मामले में निर्देश जारी किया। तब जाकर जहाँगीरपुरी में कार्रवाई रुकी। 

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सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले पर अश्विनी उपाध्याय ने ट्वीट किया है, 'क़ानून घटिया है इसलिए अवैध कब्जा हटाने पर भारत का सुप्रीम कोर्ट स्टे दे देता है। क़ानून अच्छा है इसलिए अमेरिका, सिंगापुर, चीन, फ्रांस, जापान, कोरिया का सुप्रीम कोर्ट अवैध निर्माण तोड़ने पर स्टे नहीं देता है।'

बीजेपी से सहानुभूति रखने वाली और दक्षिणपंथी माने जाने वाली शेफाली वैद्य ने ट्वीट किया है, "एक समय था जब मैं भारत की अदालतों और उनकी 'न्याय' देने की क्षमता पर विश्वास करती थी। फिर मैं बड़ी हो गई!'

सुप्रीम कोर्ट पर निशाना साधने के लिए ऐसे लोग अजीबोगरीब तर्क रख रहे हैं। विवादास्पद कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ चले आंदोलन की तुलना एक ऐसी कार्रवाई से की जा रही है जिसको लेकर आरोप लग रहा है कि बिना नोटिस दिए बुलडोजर चलाया जा रहा है। प्रिया यादव नाम के यूज़र ने ट्वीट किया है, 'सुप्रीम कोर्ट ने एक साल से सड़क जाम पर कोई सुनवाई नहीं की और आज 15 मिनट के अंदर बुलडोजर को रोक दिया गया।'  

हालाँकि, इस यूज़र के दावा के विपरीत सुप्रीम कोर्ट सड़क जाम करने के मामले में लगातार सुनवाई करता रहा था। 
ऐसी टिप्पणियों से सवाल उठता है कि अदालतों के फ़ैसलों की समीक्षा होती है और उसकी समालोचना भी, लेकिन क्या देश की सर्वोच्च अदालत के फ़ैसले के ख़िलाफ़ कुतर्क सही कहे जा सकते हैं?
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बता दें कि बुलडोजर से कार्रवाई उस जहांगीरपुरी में की गई जहाँ बीते गुरुवार को हनुमान जयंती के मौक़े पर निकाले गए जुलूस के दौरान हिंसा हुई थी। मंगलवार को दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने उत्तरी एमसीडी के मेयर को पत्र लिखकर अवैध निर्माणों को चिन्हित करने और उन्हें गिराने की मांग की थी। गुप्ता ने नगर निकाय से 'दंगाइयों' द्वारा अवैध निर्माण की पहचान करने और उन्हें ध्वस्त करने के लिए कहा।

उत्तरी एमसीडी की ओर से उत्तर पश्चिम जिले के डीसीपी को पत्र लिखकर अतिक्रमण हटाने के अभियान के लिए 400 पुलिसकर्मियों की तैनाती करने की मांग की गई थी। इसके बाद ही कार्रवाई की गई।

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क़मर वहीद नक़वी
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