हिंदुस्तान में कुछ मीडिया चैनलों की ये स्थिति हो गयी है कि आयं-बायं-सांय जो मिले, चला दो। बस इस आयं-बायं-सांय से सनसनी फैल जाए।
हिंदुस्तान में कुछ मीडिया चैनलों की ये स्थिति हो गयी है कि आयं-बायं-सांय जो मिले, चला दो। बस, इस आयं-बायं-सांय से सनसनी फैल जाए। उन्हें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि लोग उनकी सोशल मीडिया पर लानत-मलानत करें, उन्हें गोदी मीडिया कहें या कुछ और।
ये चैनल हर ख़बर को इस तरह से सजाते हैं कि उससे फ़ायदा देश की सरकार को हो और जिस पार्टी की सरकार है, उसके नेता जनता को जाकर बताएं कि देखो मोदी जी ने फलां काम कर दिया। यहां मुश्किल इसी बात की है कि जनता तक जब तक सच्चाई पहुंचती है, उससे पहले झूठ उन तक पहुंच जाता है।
झूठ फैलाने का यह तंत्र बेहद चुस्त है और इसने हिंदुस्तान के करोड़ों लोगों को इन चैनलों पर दिखाई गई ख़बरों को ही सच मानने को मजबूर कर दिया है। मजबूर ही कहेंगे क्योंकि अगर आप इन चैनलों को देखने वाले किसी शख़्स को किसी ख़बर का सच बताएंगे तो वो आपकी बात पर यक़ीन ही नहीं करेगा उल्टा आपको ही देशद्रोही कहेगा।
कई बार इन चैनलों के कारनामे और इनकी हरक़तों को सोशल मीडिया पर बेपर्दा कर दिया गया है। इनकी मजम्मत की जा चुकी है। लेकिन इन चैनलों में बैठे ‘बुद्धिजीवी’ मानने के लिए तैयार नहीं हैं और सत्ता को ख़ुश करने के लिए बिना क्रास चेक किए ख़बर चला देते हैं। हालांकि जिस तरह की बेइज्जती इनकी सोशल मीडिया पर हो रही है, उससे लगता है कि ये अब ऐसा करने से पहले कम से कम एक बार तो ज़रूर सोचेंगे।
इस विषय पर देखिए वीडियो-
ताज़ा कारनामा इन नामचीन चैनलों ने ये किया है कि 19 नवंबर को ये फर्जी ख़बर चला दी कि भारतीय सेना ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में एयर स्ट्राइक कर दी है। क्योंकि ये इस होड़ में हैं कि सत्ताधारी पार्टी को सबसे पहले कैसे ख़ुश किया जाए, इसलिए इन्होंने धुआंधार ढंग से इस ख़बर को टीवी सहित सारे सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर दौड़ा दिया। लेकिन अगले दिन इन्हें ट्विटर पर बैठे एक्टिव लोगों ने जो ढंग से धोया है, उसके बाद ये मुंह छुपाते घूम रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट तक इस बात को कह चुका है कि मीडिया पर किसी तरह का तो सेल्फ़ रेग्युलेशन होना ही चाहिए। लेकिन ये लोग किसी की भी बात सुनने के बजाए उस अंधी दौड़ में भागे चले जा रहे हैं, जिस वजह से लोगों ने पत्रकारिता को ‘दलालों का पेशा’ कहना शुरू कर दिया है।
पहले देखिए, इन चैनलों ने क्या करामात की है।
कई नामचीन पत्रकारों ने दनादन ट्वीट कर दिए और लोगों ने इनके ट्वीट के स्क्रीनशॉट को सेव कर ट्विटर पर चलाया।
इनकी आए दिन की इन हरक़तों से लोग इस कदर परेशान हो चुके हैं कि इस बार उनका सब्र का बांध टूट गया और उन्होंने #फर्जी_गोदी_मीडिया_माफी_माँगों ट्रेंड करा दिया। दिन भर ये हैशटैग ट्रेंड करता रहा और लोगों ने इन्हें बखूबी जवाब दिया। जावेद आलम नाम के यूजर लिखते हैं कि हमारी भावनाओं से खेलना बंद करो।
विजय प्रकाश नाम के यूजर लिखते हैं कि कई पत्रकार आरएसएस का एजेंडा चला रहे हैं।
कांग्रेस समर्थक भी मैदान में कूदे और उन्होंने ऐसी ख़बरें चलाने वालों की ख़बर ली।
बाद में कुछ पत्रकारों ने इन ख़बरों का खंडन भी ट्विटर पर किया।
जैसे ही यह ख़बर सोशल मीडिया पर दौड़ने लगी तो भारतीय सेना तक भी पहुंची और हालात ये हो गए कि सेना को ख़ुद ये बयान जारी करना पड़ा कि उन्होंने 19 नवंबर को पीओके में ऐसी कोई स्ट्राइक नहीं की है।
उम्मीद की जानी चाहिए कि भारतीय मीडिया को इस जोरदार धुलाई के बाद अकल आएगी और वह सत्ता प्रतिष्ठान को ख़ुश करने के बजाए असल ख़बरों को चलाएगा। वैसे भी सेना जब इस तरह की बड़ी स्ट्राइक करती है तो ख़ुद इस बारे में मीडिया को जानकारी देती है। लेकिन यहां तो बिना कुछ सोचे-समझे ही मनमर्जी ख़बरें चलाकर जनता को बेवक़ूफ़ बनाया जा रहा है।