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किसका भारत बनाना है, गांधीजी का या उनके हत्यारे गोडसे का?

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गांधीजी के अंतिम दस मिनट!

गोडसे ने गोली मारने के पहले गांधी को प्रणाम नहीं किया था! उसने गांधीजी को सही से निशाने पर लेने के लिए अपनी पोजीशन बनाई थी!

गोडसे ने गांधीजी के बचाव में आई मनु बेन को धक्का मार कर गिराया!

आज के दिन 30 जनवरी 1948 में गांधीजी की हत्या की गई। नाथूराम गोडसे ने किस बर्बरता से गांधीजी को मारा वह पूरा विवरण पढ़ें और गांधी जी के भारत के बारे में सोचें।

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"अब गांधी जी प्रार्थना सभा के बीच रस्सियों से घिरे रास्ते पर चलने लगे। उन्होंने प्रार्थना में शामिल होने वाले लोगों के नमस्कार का जवाब देने के लिए लड़कियों के कंधों से अपने हाथ उठा लिए। एकाएक भीड़ में से कोई (नाथूराम गोडसे) दाहिनी ओर से भीड़ को चीरता हुआ उस रास्ते पर आया। मनु ने यह सोचा कि वह आदमी (गोडसे) बापू के पांव छूने को आगे बढ़ रहा है। इसलिए उसने उसको ऐसा करने के लिए झिड़का, क्योंकि प्रार्थना में पहले से ही देर हो चुकी थी। उसने (मनु ने) रास्ते में आने वाले आदमी का हाथ पकड़ कर उसे रोकने की कोशिश की। लेकिन उसने (गोडसे ने) जोर से मनु को धक्का दिया, जिससे उसके हाथ की आश्रम - भजनावली, माला और बापू का पीकदान नीचे गिर गए। ज्योंही वह बिखरी हुई चीजों को उठाने के लिए झुकी, वह आदमी बापू के सामने खड़ा हो गया - इतना नजदीक खड़ा था कि पिस्तौल से निकली हुई गोली का खोल बाद में बापू के कपड़ों की परत में उलझा हुआ मिला।"

"सात कारतूसों वाले ऑटो मैटिक पिस्तौल से जल्दी-जल्दी तीन गोलियां छूटीं। पहली गोली नाभी के ढाई इंच ऊपर और मध्य रेखा से साढ़े तीन इंच दाहिनी तरफ पेट की बाजू में लगी। दूसरी गोली, मध्य रेखा से एक इंच की दूरी पर दाहिनी तरफ घुसी और तीसरी गोली छाती की दाहिनी तरफ लगी।

पहली और दूसरी गोली शरीर को पर कर पीठ के बाहर निकल आई। तीसरी गोली उनके फेफड़े में ही रुकी रही।"

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"पहले वार में उनका पांव, जो गोली लगने के वक्त आगे बढ़ रहा था, नीचे आ गया। दूसरी गोली छोड़ी गई तब तक वे अपने पांवों पर ही खड़े थे, उसके बाद वे गिर गए।"

"उनके मुंह से आखिरी शब्द "हे राम" निकले। उनका चेहरा राख की तरह सफ़ेद पड़ गया। उनके सफेद कपड़ों पर गहरा सुर्ख धब्बा फैलता हुआ दिखाई दिया।"

अगर देश को ऐसे ही गहरे सुर्ख खून में नहला नहीं देना है तो सोचिए कि किसका भारत बनाना है। गांधीजी का या उनके हत्यारे गोडसे का?

आज भी देश में दोनों अपने अपने विचारों के साथ उपस्थित और सक्रिय हैं! चुनाव आपको करना है!

विवरण: प्यारेलाल

किताब: गांधी श्रद्धांजलि ग्रंथ 

संपादक: सर्वपल्ली राधकृष्णन

प्रकाशन वर्ष: 1955

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क़मर वहीद नक़वी
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