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भारत के लिए खेले बग़ैर ही सकारिया की कहानी प्रेरणादायी  

सकारिया के पास भले ही रफ्तार की कमी है, लेकिन टीम इंडिया के लिए खुद के चयन में उन्होंने एक ज़बरदस्त उड़ान भरी है। भला आज के दौर में कौन सा खिलाड़ी ऐसा है जो बिना इंडिया 'ए' खेले हुए सीधे भारतीय टीम में पहुँच जाये। 
विमल कुमार

श्रीलंका दौरे के लिए चुने गए पाँच युवा खिलाड़ियों में सबसे ज़्यादा भावुक करने वाली कहानी सौराष्ट्र के गेंदबाज़ चेतन सकारिया की है। बचपन में सकारिया साइंस की पढ़ाई करना चाहते थे और इंजीनियर बनने का उनका इरादा था, लेकिन घर की आर्थिक स्थिति ऐसी थी कि उन्हें अपने चाचा के बिज़नेस में हाथ बँटाना पड़ा।

दिन में वे क्रिकेट खेलते और फुर्सत के समय शाम में चाचा के लिए एकाउंटिंग का काम देखते, जिसमें उन्हें बिल बनाने से लेकर बैंक के लिए चेक काटने तक की ड्यूटी निभानी पड़ती थी। लेकिन, ऐसा करते हुए सकारिया कभी भी मायूस नहीं होते थे, क्योंकि यही कहकर उसके चाचा ने उनके पिता को क्रिकेट खेलने के लिए राजी करवाया था।

पिता सोचते थे कि क्रिकेट तो अमीरों का खेल है और टेम्पो चलाने वाले शख्स के बेटे के लिए फुल-टाइम खेलना घर में खुद की कार रखने से ज़्यादा खर्चीली बात थी। 

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अगर आप सपने देख सकते हैं!

लेकिन, कहते हैं ना कि अगर आप सपने देख सकतें हैं और उसे पूरा करने के लिए किसी भी तरह की परेशानी से विचलित नहीं होते हैं तो किस्मत भी आपका साथ देती है। सकारिया बचपन में इरफ़ान पठान से प्रभावित थे, जो बहुत तेज गेंदबाज़ी तो नहीं करते थे, लेकिन उनकी गेंदों में स्विंग ज़बरदस्त हुआ करती थी। 

पठान के अलावा उस दौर में ज़हीर ख़ान से भी सकारिया प्रभावित थे। 

सकारिया के जीवन में टर्निंग प्वाइंट ना तो ज़हीर और ना इरफान लेकर आये। यह काम किया ऑस्ट्रेलिया के पूर्व दिग्गज तेज़ गेंदबाज़ ग्लेन मैक्ग्रा ने जिन्होंने चेन्नई की मशहूर एमआरएफ़ पेस फांउडेशन के लिए उनका चयन किया और उन्हें स्कॉलरशिप भी दिलायी।

और दिग्गजों को अपने कौशल से प्रभावित करने का सिलसिला बदस्तूर जारी है। 

इस साल आईपीएल के दौरान सकारिया ने साउथ अफ्रीका के महान तेज़ गेंदबाज़ डेल स्टेन को भी अपनी विविधता से मुरीद बनाया था। पंजाब किंग्स के ख़िलाफ़ जब उन्होंने क्रिस गेल जैसे शानदार खिलाड़ी को गति में बदलाव से छकाया तो स्टेन इस युवा खिलाड़ी की हिम्मत की दाद देने से नहीं चूके।

मैक्ग्रा ने अगर सकारिया को भरोसा दिलाया था कि वे अपनी रफ्तार थोड़ी बेहतर कर लें तो निश्चित तौर पर रणजी ट्रॉफी के स्तर पर पहुँच सकते हैं, तो स्टेन की बातों में ये साफ झलक रहा था कि टीम इंडिया के लिए सफेद गेंद की क्रिकेट खेलना अब सकारिया की पहुँच से बहुत दूर नहीं है। 

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खेलने को जूते भी नहीं तो क्या हुआ?

सकारिया का बचपन शुरूआती दौर में इतनी मुश्किलों से गुज़रा कि उनके पास खुद के लिए खेलने वाले जूते नहीं हुआ करते थे। सौराष्ट्र रणजी टीम के सीनियर बल्लेबाज़ शेल्डन जैक्सन ने उन्हें एक बार नेट प्रैक्टिस के दौरान चुनौती दी कि अगर वे उन्हें आउट करते हैं तो वो उन्हें नये जूते दिलायेंगे। सकारिया को ना सिर्फ नियमित तौर पर जैक्सन से मदद मिली बल्कि एक ऐसा रिश्ता भी बन गया जिसके लिए वे आज तक शुक्रगुज़ार हैं.। 

आप सकारिया के घर पर पहुँचेगे तो यह सोचकर हैरान हो जायेंगे कि आखिर जिस घर में टीवी पर क्रिकेट देखना मुमकिन नहीं है, उस घर का बच्चा इंडिया के लिए खेलने के बारे में कैसे सोच सकता है?

फर्श से अर्श पर

पूर्व क्रिकेटर और मौजूदा दौर में एक शानदार विश्लेषक के तौर एक ख़ास स्थान बनाने वाले आकाश चोपड़ा ने इस आईपीएल के दौरान एक अहम बात की तरफ इशारा किया। चोपड़ा का कहना था जसप्रीत बुमराह औऱ भुवनेश्वर कुमार की बजाए इस साल हर्शल पटेल और सकारिया जैसे गेंदबाज़ों ने ध्यान खींचा।

सकारिया राजस्थान रॉयल्स के लिए नई और पूरानी दोंनों गेंदों से बेहतरीन गेंदबाज़ी करते हुए दिखे। इस साल अब तक के सात मैचों में सकारिया ने भले ही सात विकेट लिए हों लेकिन उनके शिकार धोनी, रैना, अंबाती रायुडू ,के एल राहुल और मयंक अग्रवाल जैसे बल्लेबाज़ रहे हैं। 

चोपड़ा को जो बात सकारिया में सबसे अच्छी लगी वह यह थी कि कैसे किसी गेंद पर चौका या छक्का खाने के बाद वो अगली गेंद में वापसी किया करते थे।काइरन पोलार्ड, आंद्रे रसेल और ए. बी. डिविलियर्स जैसे धुरंधर बल्लेबाज़ों के ख़िलाफ़ सकारिया को गेंदबाज़ी करते हुए देख कर लगता ही नहीं था कि इस खिलाड़ी ने महज गिनती के फर्स्ट क्लास मैच खेले हैं.। 

सकारिया के पास भले ही रफ्तार की कमी है, लेकिन टीम इंडिया के लिए खुद के चयन में उन्होंने एक ज़बरदस्त उड़ान भरी है। भला आज के दौर में कौन खिलाड़ी ऐसा है जो बिना इंडिया 'ए' खेले हुए सीधे भारतीय टीम में पहुँच जाये?

इस मामले में सकारिया अनोखे हैं, और अगर लंका दौरे पर उन्हें मौके मिलते हैं तो उनके पिता और बड़े भाई को बेहद फख्र होगा जो अब इस दुनिया में नहीं हैं।

आईपीएल में इस साल एक करोड़ और बीस लाख का कांट्रैक्ट मिलने से पहले उनके बड़े भाई ने आत्म-हत्या कर ली थी और कुछ ही महीने पहले कोविड के चलते अपने पिता को खो दिया। 

जिंदगी ने अगर सकारिया को झटके दिये तो क्रिकेट ने उन्हें संभालने की कोशिश की है और उम्मीद दी है कि जब सब कुछ ख़त्म होता भी दिखे तब एक अच्छी शुरुआत हो सकती है। सकारिया की अब तक कहानी बिना भारत के लिए खेले ही किसी के लिए प्रेरणादायी साबित हो सकती है।

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