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फ़ोटो साभार:बीसीसीआई

एजाज़ पटेल ने कमाल कर दिखाया जो इतिहास में कभी-कभी ही होता है

टेस्ट क्रिकेट को पसंद करने वाले हर क्रिकेट प्रेमी को ये रिकॉर्ड बख़ूबी पता है कि एक ही पारी में पूरे के पूरे 10 विकेट लेना लगभग नामुमकिन सा काम है क्योंकि अब तक टेस्ट इतिहास में सिर्फ़ 2 गेंदबाज़ों ने ये कमाल दिखाया था। इंग्लैंड के जिम लेकर और भारत के अनिल कुंबले ने।

टेस्ट क्रिकेट में तिहरा शतक लगाना आसान है लेकिन एक पारी में सभी 10 विकेट झटकना बेहद मुश्किल लेकिन लेकर और कुंबले के लिए ऐसा करना इत्तेफाक नहीं था। दोनों अपने-अपने दौर के दिग्गज गेंदबाज़ रह चुके हैं और पारी में 10 विकेट के कमाल ने उनके सुनहरे करियर में सोने पे सुहागा वाला काम किया।

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लेकिन, मुंबई टेस्ट की पहली पारी में शनिवार को न्यूज़ीलैंड के एजाज पटेल ने जब टीम इंडिया के ख़िलाफ़ 10 विकेट झटक डाले तो ये कई मायनों में असाधारण उपलब्धि रही। सबसे बड़ी बात ये कि टेस्ट इतिहास में यह पहला मौक़ा रहा जब किसी गेंदबाज़ ने मैच की पहली पारी में ये कमाल दिखाया हो लेकिन उससे भी बड़ी बात ये रही कि जहां लेकर और कुंबले ने ये कमाल अपने घरेलू मैदान पर दिखाया था वहीं पटेल ने ये प्रदर्शन विदेशी ज़मीन पर दिखाया। इससे पहले 6 गेंदबाज़ों ने टेस्ट इतिहास में एक पारी में 9 विकेट लेने का कमाल दिखाया था।

पटेल जब कानपुर टेस्ट में खेले थे तो कई भारतीय जानकारों ने ख़ासकर मुंबई के कुछ पूर्व खिलाड़ियों ने ये कहने से संकोच नहीं जताया था कि पटेल जैसे स्पिनर तो मुंबई के हर क्लब में मिल जायेंगे। उनका ये भी मानना था कि पटेल न्यूज़ीलैंड चले गये और इसलिए उन्हें टेस्ट क्रिकेट में खेलने का मौक़ा भी मिल गया, अगर भारत में रहते तो शायद मुंबई रणजी टीम में भी मौक़ा नहीं मिलता। लेकिन, कुदरत का कमाल देखिये कि जिस पटेल का जन्म मुंबई में हुआ था, उन्हें ना सिर्फ़ अपनी जन्म-भूमि में टेस्ट क्रिकेट खेलने का अवसर मिला बल्कि इतिहास में अपना नाम हमेशा के लिए दर्ज भी करा लिया।

अगर किसी को अब भी इस बात पर संदेह है कि पटेल में दम नहीं है और ये 10 विकेट का कमाल तो महज़ एक तुक्का है तो उन्हें पटेल के टेस्ट करियर पर दोबारा नज़र डालनी चाहिए। अपने पहले ही टेस्ट में पटेल ने पारी में 5 विकेट लेने का कमाल पाकिस्तान जैसी मज़बूत टीम के ख़िलाफ दिखाया था। इसके अलावा श्रीलंका के ख़िलाफ़ भी पटेल पारी में 5 विकेट का कमाल दिखा चुके हैं। 

उप-महाद्वीप की पिचों पर स्पिन के बेहतरीन खिलाड़ियों के सामने पटेल अपना लोहा मनवा चुके थे। ऐसे में दुनिया की नंबर 2 टेस्ट टीम भारत के ख़िलाफ़ उन्हीं के मुल्क में पर्फेक्ट टेन की उपल्बधि किसी भी तरह से हल्के में नहीं ली जा सकती है।

ऐसा नहीं है कि भारतीय मूल के कीवी खिलाड़ियों के टेस्ट क्रिकेट में एंट्री बेहद आसान है क्योंकि पटेल से पहले सिर्फ़ 4 भारतीय मूल के खिलाड़ियों ने टेस्ट क्रिकेट खेला है। पटेल भाग्यशाली रहे कि उन्हें बचपन से कोच के तौर पर दीपक पटेल जैसा पूर्व खिलाड़ी मिला जिन्होंने 1992 के वर्ल्ड कप के दौरान नई गेंद से स्पिनर होने के बावजूद पारी की शुरुआत की थी। पिछले साल यानी 2020 में ये लेखक न्यूज़ीलैंड के दौरे पर थे जहाँ पर पूर्व मुख्य चयनकर्ता गेविन लार्सन ने बताया था कि पटेल पर ख़ास नज़र रखियेगा क्योंकि वो लंबी रेस का घोड़ा है।

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अब पटेल लंबी रेस का घोड़ा हैं या नहीं, इस बात को साबित होने में कई साल लग जायें लेकिन एक बात तो तय हो गयी है कि अपनी गेंदबाज़ी से उन्होंने अपना नाम टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में अभूतपूर्व तरीक़े से लिखवा लिया।

अगर इंग्लैंड के जिम लेकर पहले ऑफ़-स्पिनर थे तो कुंबले पहले लेग स्पिनर जिन्होंने एक पारी में दस विकेट लिए। जब भी क्रिकेट में पहले लेफ़्ट आर्म स्पिनर की बात आयेगी जिन्होंने टेस्ट क्रिकेट की एक पारी में 10 विकेट का कमाल दिखाया तो न्यूज़ीलैंड के इस 33 साल के स्पिनर का नाम ज़रूर लिया जायेगा।

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जिम लेकर ने जब 1956 में पहली बार 10 विकेट का कमाल दिखाया था तो उन्हें इस इलीट क्लब में दूसरे साथी को देखने के लिए क़रीब 39 साल का इंतज़ार करना पड़ा। कुंबले ने खुद तहेदिल से पटेल का इस क्लब में स्वागत किया है। कुंबले ने 1999 में दिल्ली के फिरोज़शाह कोटला में इस ऐतिहासिक काम को अंजाम दिया था। पटेल को अगर मलाल सिर्फ़ इस बात का हो सकता है कि जहाँ लेकर और कुंबले की टीम को उनके असाधारण खेल के चलते जीत मिली थी, पटेल की न्यूज़ीलैंड उतनी भाग्यशाली ना रहे।
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विमल कुमार
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