दक्षिण अफ्रीका ने भारत को 2-0 से हराकर घरेलू किले को पहली बार गंभीर चुनौती दी। गौतम गंभीर की कोचिंग में टीम इंडिया बिना लड़े हार मानती दिखी।
गौतम गंभीर की टीम ने बिना लड़े ही आत्मसमर्पण कर दिया! दक्षिण अफ्रीकी टीम ने टेस्ट सीरीज में भारत को 2-0 से रौंद दिया। बेहद बुरी तरह से। भारत की धरती पर भारतीय टीम को हरा पाना खिलाड़ियों के लिए सपना जैसा होता है, लेकिन दबाव में बिखर जाने वाली दक्षिण अफ्रीकी टीम ने इसे हकीकत में बदल दिया।
दरअसल, भारत के घरेलू टेस्ट क्रिकेट का वो अभेद्य किला जिसे पिछले क़रीब दो दशक से कोई विदेशी टीम नहीं भेद पाई थी आखिरकार ढह गया। दक्षिण अफ्रीका ने दो मैचों की टेस्ट सीरीज 2-0 से जीत ली और वह भी ऐसी धज्जियां उड़ाते हुए कि भारतीय क्रिकेट के इतिहास में यह हार सबसे शर्मनाक पन्नों में दर्ज हो गई।
हार का नया रिकॉर्ड
पहले कोलकाता टेस्ट में 30 रनों की रोमांचक जीत के बाद गुवाहाटी में दक्षिण अफ्रीकी टीम ने भारत को 408 रनों से रौंदकर नया विश्व रिकॉर्ड बना दिया। यह किसी भी टीम द्वारा भारत को टेस्ट क्रिकेट में मिली सबसे बड़ी हार है। इससे पहले यह शर्मनाक रिकॉर्ड ऑस्ट्रेलिया के नाम था, जिसने 2004 में नागपुर में भारत को 342 रनों से हराया था। इससे पहले 341 रन से पाकिस्तान से 2006 में भारत हारा था।
दक्षिण अफ्रीका की यह भारत में 2000-01 के बाद पहली सीरीज जीत है और पहली बार उसने भारत को 2-0 से क्लीन स्वीप किया। मौजूदा वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप विजेता दक्षिण अफ्रीका ने साबित कर दिया कि स्पिन के मैदान पर भी वे भारतीयों से कहीं आगे हैं।गुवाहाटी टेस्ट का चौंकाने वाला अंत
दक्षिण अफ्रीका ने पहली पारी में 489 रन बनाए थे। जवाब में भारत महज 201 रन पर ढेर हो गया था। मार्को जेनसेन ने 6/48 लेकर भारतीय बल्लेबाजी की कमर तोड़ दी थी। 314 रनों की बढ़त लेकर दूसरी पारी में दक्षिण अफ्रीका ने 349/8 पर पारी घोषित कर भारत को 549 रनों का असंभव लक्ष्य दिया।
चौथे दिन स्टंप्स तक भारत 27/2 था। यशस्वी जायसवाल 13 और केएल राहुल 6 रन बनाकर आउट हो चुके थे। पांचवें दिन तो जैसे ताश का महल भरभराकर गिर पड़ा। साई सुदर्शन ने 139 गेंदों में महज 14 रन बनाए, मानो ड्रॉ की आखिरी कोशिश भी बेबस हो। रवींद्र जडेजा ने अकेले लड़ते हुए फिफ्टी जड़ी, लेकिन बाकी कोई साथ नहीं निभा सका। पूरी भारतीय टीम दूसरी पारी में सिर्फ 140 रन पर ऑलआउट हो गई।
साइमन हार्मर ने 6/37 लेकर भारतीय बल्लेबाजों को नाच नचा दिया। केशव महाराज (2), सेनुरन मुथुसामी (1) और मार्को जेनसेन (1) ने भी अपना-अपना हिस्सा डाला। स्पिन का ऐसा जाल बिछा कि भारतीय बल्लेबाज एकदम बेबस नजर आए।
बावुमा ने इतिहास रचा
साउथ अफ्रीका को भारत की धरती पर टेस्ट सीरीज़ जीतने में 25 साल लग गए, पिछली बार 2000 में हैंसी क्रोनिए की लीडरशिप में जीत मिली थी, लेकिन अब टेम्बा बावुमा भी उस एलीट टीम में शामिल हो गए हैं। अपनी टीम को 2-0 से ऐतिहासिक जीत दिलाकर, बावुमा ने न सिर्फ जीत का सूखा ख़त्म किया, बल्कि टेस्ट कैप्टन के तौर पर अपना बिना हारे रहने का रिकॉर्ड भी बनाए रखा, जो उनके कार्यकाल का एक अहम हिस्सा था।
वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप का फाइनल सबसे बड़ा मुकाबला था, लेकिन तब से साउथ अफ्रीका का दबदबा और बढ़ा है और पूरे साउथ एशिया में उसने पहले कभी नहीं देखा। दक्षिण अफ्रीका टीम के कप्तान बावुमा ने पिछले साल बांग्लादेश में ढाका और चटगाँव में शानदार जीत हासिल करके रुकावटें तोड़ीं, पिछले महीने ही रावलपिंडी में पाकिस्तान को हराकर इसे और पक्का किया और अब कोलकाता और गुवाहाटी को जीतकर भारत को चौंका दिया है।
गंभीर की रणनीति पर बड़े सवाल
भारतीय टीम के कोच गौतम गंभीर पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। सवाल उठ रहे हैं कि न्यूज़ीलैंड से मिली 0-3 की शिकस्त के बाद भी गंभीर को क्या लगा कि कोलकाता की ईडन गार्डन्स पर चार स्पिनरों वाली खिचड़ी पिच काम कर जाएगी? भारतीय बल्लेबाज़ तो पहले से ही स्पिन के सामने लड़खड़ा रहे थे। गंभीर राहुल द्रविड़ की तरह नहीं सोच पाए जो जानते थे कि उनकी टीम को कौन-सी पिच सूट करेगी। इसी वजह से इंग्लैंड के खिलाफ पहला टेस्ट हारने के बाद भी उसी अनुभवहीन मिडिल ऑर्डर के साथ सीरीज़ पलटी थी। गंभीर ने अब तक यह समझ ही नहीं दिखाई कि उनकी टीम को कौन-सी पिच चाहिए।
अब सवाल यही है क्या यह भारतीय टेस्ट क्रिकेट के लिए एक नई शुरुआत है या सिर्फ एक हार? लेकिन फिलहाल तो घरेलू सरजमीं पर जो गर्व था, वह चूर-चूर हो चुका है।