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चौटाला ने पोतों के बाद बेटे को भी निकला, पार्टी में टूट तय

अजय सिंह चौटाला के इनेलो से निकाले जाने के बाद अब पार्टी टूट के कगार पर पहुँच गई है। छोटे भाई अभय सिंह के गुट की इस कार्रवाई का अजय सिंह के गुट ने भी 19 नवंबर को रैली बुलाकर करारा जवाब दिया है। इसके साथ ही पार्टी में सुलह की बची-खुची उम्मीद भी ख़त्म होती दिख रही है। तो इनेलो का रास्ता अब कहाँ जाता है?ओमप्रकाश चौटाला की विरासत को लेकर जंग अब सीधे तौर पर दोनों बेटों अजय और अभय सिंह चौटाला के बीच छिड़ गई है। पहले यह चाचा-भतीजे के बीच तक ही सीमित थी। यानी एक तरफ अभय सिंह चौटाला थे तो दूसरी तरफ उनके बड़े भाई अजय के बेटे दुष्यंत और दिग्विजय। तब अजय सिंह चौटाला साफ़ तौर पर सामने नहीं थे। विवाद की जब शुरुआत हुई तो ‘अनुशासन तोड़ने’ के लिए कार्रवाई सिर्फ़ दुष्यंत और दिग्विजय के ख़िलाफ़ की गई थी। हालाँकि इस घटना के बाद दुष्यंत चौटाला ने पूरे हरियाणा में घूमकर बैठकें शुरू कीं और यह माँग की कि पार्टी उन्हें बताए कि उन्होंने कौन-सा अनुशासन तोड़ा है।
अभय सिंह चौटाला ने पहले अपने भतीजों, दुष्यंत और दिग्विजय से मतभेद से इनकार किया था और कहा था कि दोनों ही उनके बच्चे हैं। अब वही अभय चौटाला ने प्रेस कॉन्फ्रे़ेन्स कर अजय के पार्टी से निकाले जाने की घोषणा की है।
बताया जाता है कि इस बीच दोनों गुटों के बीच सुलह की कोशिशें की गईं, लेकिन कामयाब नहीं रहीं। अब जबकि दोनों गुटों के बीच जंग दोनों गुटों के प्रमुखों तक पहुँच गई है तो यह उनकी प्रतिष्ठा की लड़ाई भी हो गई है। दोनों गुटों की समर्थकों के बीच अपनी अलग-अलग पकड़ है। ऐसे में दोनों में से किसी का झुकना मुश्किल लगता है।

कलह कैसे शुरू हुई?

विवाद 7 अक्टूबर को इनेलो की गोहाना रैली में हुए हो-हल्ले से उजागर हुआ। दो हफ़्ते की परोल पर ओम प्रकाश चौटाला भी जेल से बाहर आए थे और वे भी रैली में मंच पर मौजूद थे। भीड़ के एक हिस्से ने अभय चौटाला के ख़िलाफ़ नारेबाज़ी शुरू कर दी। तब से चौटाला परिवार में कोहराम मचा है। दो हफ़्ते पहले ही अजय सिंह के दोनों बेटों को पार्टी से निकाल दिया गया था। साथ ही दिग्विजय सिंह चौटाला के नेतृत्व वाले इनेलो युवा मोर्चे को भी भंग कर दिया गया था।
Is rift in Chautala clan imminent, Om Prakash Chautala dismisses primary membership of his older son Ajay Chautala from INLD - Satya Hindi

आेमप्रकाश चौटाला किसके साथ? 

शिक्षक भर्ती घोटाले में ओम प्रकाश चौटाला और अजय चौटाला को 10 साल की सज़ा सुनाए जाने के बाद से अभय चौटाला पार्टी की कमान सँभाल रहे हैं। इसके बावजूद पार्टी प्रमुख पद पर आेमप्रकाश चौटाला ही हैं और वे ही पार्टी के फ़ैसले लेते हैं। अजय सिंह की पार्टी की प्राथमिक सदस्यता रद्द किए जाने का फ़ैसला भी उन्होंने ही किया।इनेलो के हरियाणा प्रभारी अशोक अरोड़ा ने चंडीगढ़ में अभय सिंह चौटाला की मौजूदगी में इस फ़ैसले की घोषणा की। अशोक अरोड़ा ने मीडिया के लोगों के सामने दिल्ली के तिहाड़ जेल में बंद ओमप्रकाश चौटाला की चिट्ठी पढ़कर सुनाई। अजय सिंह चौटाला पर 'पार्टीविरोधी गतिविधियाँ' करने का आरोप लगा है। अजय सिंह चौटाला के परिवार का कहना है कि एक बड़े षड्यंत्र के तहत ये फ़ैसला लिया गया है। 

इनलो के वोटबैंक हो सकते हैं प्रभावित

इस पूरे विवाद का असर पार्टी के वोटबैंक पर पड़ेगा। अभय के समर्थक पार्टी में अनुभवी लोग हैं तो दुष्यंत और दिग्विजय सिंह को युवा पसंद करते हैं। पार्टी के टूटने की स्थिति में समर्थक दो खेमों में बँट जाएँगे। साल 2014 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में इनेलो को 24 फ़ीसदी वोट के साथ 90 सदस्यों वाली विधानसभा में 18 सीटों पर जीत मिली थी। पिछले पाँच सालों में राज्य और केंद्र दोनों जगह बीजेपी की सरकारें हैं और पार्टी ऐंटी-इनकंबंसी का लाभ उठाकर अपनी सीटें बढ़ा सकती थी। मगर आज के हालात में पार्टी अगले विधानसभा चुनाव में पिछले विधानसभा चुनाव का प्रदर्शन भी दोहरा पाएगी, इसमें संदेह है।यह भी पढ़ें: चौटाला परिवार में कलह; कहीं राजनीतिक विरासत सौंपने की तैयारी तो नहीं?
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क़मर वहीद नक़वी
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