16 मज़दूर ट्रेन से कट कर मर गये। सरकारें घड़ियाली आँसू बहा रही हैं। लेकिन लॉकडाउन के क़रीब 50 दिन में भी ग़रीबों की सुध लेने वाला कोई नहीं।