70 लोगों की मौत के अलावा 30 से अधिक लोगों का उपचार सरकारी अस्पताल व निजी क्लीनिकों में चल रहा है। जहरीली शराब से होने वाली मौतों का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है और इस वजह से नीतीश कुमार विपक्षी दलों के निशाने पर हैं।
बिहार में नक़ली शराब से 39 लोगों की मौत हुई है । ये सब गरीब परिवार से हैं । लेकिन बजाय इनके परिवारों के प्रति सहानुभूति रखने के नीतीश कह रहे हैं कि शराब पियेंगे तो मरेंगे । कोई मुख्यमंत्री ऐसी भाषा कैसे बोल सकता है ? क्या ऐसे मुख्यमंत्री को अपने पद पर बने रहना चाहिये ?