शाहीन बाग़ की आंदोलनकारी महिलाओं ने बीजेपी की आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय को मानहानि का नोटिस भेजा है।
बीजेपी के नेताओं की महिला जिला कलेक्टर निधि निवेदिता और युवा महिला एसडीएम (डिप्टी डीएम) प्रिया वर्मा द्वारा पिटाई के मामले ने राजनीतिक तूल पकड़ लिया है।
नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ धरने पर बैठी औरतें घरों की चौखट लाँघकर आई हैं, इसलिए कि इस बार सरकार का हमला उनके वजूद पर हुआ है और इसे उन्होंने महसूस किया है।
ऐसा लगता है कि मोदी और शाह की जोड़ी ने विकास से पूरी तरह मुंह मोड़ लिया है और देश को नागरिकता और एनपीआर-एनआरसी के सवाल में उलझा दिया है।
दिल्ली पुलिस की लगातार धमकियों के बावजूद शाहीन बाग़ में भीड़ कम नहीं हो रही है बल्कि बढ़ती चली जा रही है। यह देश का अभूतपूर्व आंदोलन है, सदियाँ इसे याद रखेंगी।
नागरिकता क़ानून को लेकर सवाल यह है कि कोई कैसे साबित करेगा कि उसका धार्मिक उत्पीड़न हुआ है और सरकार कैसे इसका पता लगाएगी। सुनिए, वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष का विश्लेषण।