कोरोना संक्रमण ने मांसाहार पर नए सिरे से बहस छेड़ दी है। यह बहस उस अमेरिका में सबसे तीखी है, जहाँ मांसाहार लोगों के खाने-पीने का तरीका ही नहीं, जीवन शैली है, संस्कृति है।
ऐसे समय जब अमेरिका 16 लाख संक्रमित मामलों के साथ कोरोना वायरस से बुरी तरह जूझ रहा है, वहाँ एक और वायरस ने दस्तक दे दी है।
अमेरिका में एक शोध में पाया गया है कि यदि वहाँ सोशल डिस्टैंसिंग को समय से पहले लागू किया गया होता तो कोरोना महामारी से दसियों हज़ार लोगों की जान बचाई जा सकती थी।
अमेरिका में कोरोना संक्रमण का दूसरा दौर सर्दियों में आएगा और वह पहले चरण से भी अधिक ख़तरनाक और भयावह हो सकता है।
अमेरिका में पिछले एक महीने में 2.20 करोड़ लोगों की नौकरी गई है।
अमेरिका के अलग-अलग जगहों पर लोगों ने सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन किया है और माँग की है कि कोरोना की वजह से लगाई गई पाबंदियाँ हटाई जाएँ।
क्या राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप को उनके सलाहकारों और सहयोगियों ने कोरोना महामारी से अमेरिका में होने वाली तबाही के बारे में समय रहते ही बता दिया था?
अमेरिका में कोरोना से 60 हज़ार लोगों के मरने की आशंका जताई जा रही है, यह पहले की अनुमानित संख्या से बहुत ही कम है।