नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी ने कहा है कि कोरोना की संभावित तीसरी लहर जीडीपी पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है। उन्होंने कहा है कि भारत की विकास दर 7 प्रतिशत तक जा सकती है।
मार्च, 2021 तक केंद्र सरकार कोई नई योजना शुरू नहीं करेगी। सरकार के सभी मंत्रालयों को बता दिया गया है कि वे वित्त मंत्रालय को नई योजनाओं के बारे में अनुरोध न भेजें।
कोरोना काल का चौथा लॉकडाउन खत्म होने को है। लेकिन आसार दिखने लगे हैं। कोरोना के साथ जीना सीखना होगा। इकोनॉमी, जीडीपी, रोज़गार और जीवन पर क्या असर पड़ा और कितना वक्त लगेगा इससे उबरने में? आलोक अड्डा में मनिपाल ग्लोबल के चेयरमैन मोहनदास पई से ख़ास चर्चा।
रिजर्व बैंक ने भी मान लिया है कि लिया कि मौजूदा वित्तीय साल में भारत की विकास दर नकारात्मक रहेगी। अब सवाल ये है कि मोदी सरकार इस संकट से निपट पायेगी या नहीं?
लॉकडाउन ने देश के सामने मुश्किल हालात पैदा कर दिए हैं। आर्थिक गतिविधियाँ दम तोड़ चुकी हैं और भविष्य को लेकर अनिश्चितता है।
क्या भारत इस महान तबाही से निपट सकता है? रघुराम राजन का क्या है तबाही से निपटने का मंत्र?
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज में कृषि, पशुपालन, मछली पालन, डेयरी उद्योग के लिए क्या है, इस बारे में बताया।
पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा है कि निर्मला सीतारमण के भाषण में लाखों ग़रीबों, भूखे ही अपने घरों की ओर जा रहे हज़ारों प्रवासी मजदूरों के लिए कुछ नहीं था।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि एमएसएमई के लिए केंद्र सरकार ने 6 क़दम उठाए हैं।
योगी सरकार ने राज्य के सरकारी कर्मचारियों को मिलने वाले 7 भत्तों पर कैंची चला दी है। राज्य सरकार के इस फ़ैसले से 16 लाख कर्मचारी प्रभावित होंगे।
कोरोना संकट की मार जब अर्थव्यवस्था पर पड़ी तो सरकारों ने शराब पर बेहिसाब टैक्स बढ़ा दिया। इसी तरह पेट्रोल और डीजल को भी महंगा कर दिया।
महाराष्ट्र में अगले साल मार्च तक विकास का कोई भी नया काम शुरू नहीं होगा। साथ ही नौकरियों में भी कोई नई भर्ती नहीं की जाएगी।
क्या दिल्ली, क्या यूपी और क्या बाक़ी राज्य सरकारें, सभी को कोरोना के कारण आए आर्थिक संकट से निकलने का रास्ता सिर्फ शराब के जरिये होने वाली कमाई से ही दिख रहा है।