मध्य प्रदेश में सामूहिक दुष्कर्म की शिकार एक दलित महिला द्वारा फाँसी लगाकर जान देने का मामला सामने आया है। आरोप है कि रेप की रिपोर्ट नहीं लिखी जा रही थी, उल्टे उसके परिजनों को ही पुलिस परेशान कर रही थी।
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो का आँकड़ा है कि 2012 से 2017 में बलात्कार के मामले 35 फ़ीसदी बढ़े। 2012 में निर्भया कांड के बाद कई क़ानून में बदलाव हुए, लेकिन दुष्कर्म नहीं कम हुए। क्या क़ानून-व्यवस्था की विफलता के कारण हाथरस गैंगरेप जैसे मामले बढ़ रहे हैं?
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाथरस गैंगरेप मामले का स्वत: संज्ञान लिया है। अदालत ने राज्य प्रशासन से सख्त लहजे में कहा है कि यह सुनिश्चित किया जाए कि पीड़िता के परिवार पर कोई भी किसी तरह का दबाव नहीं डाल सके।
हाथरस गैंगरेप मामले में चंद्रशेखर आज़ाद रावण ने कहा कि परिवार की गैर मौजूदगी में देर रात को शव जला दिए जाने का साफ़ मतलब है कि यूपी सरकार और पुलिस सबूतों को ख़त्म करना चाहती है।
‘क्राइम स्टेट’ बनते जा रहे उत्तर प्रदेश के हाथरस में दलित परिवार की बेटी के साथ हुए जुल्मों का शोर अभी थमा भी नहीं था कि बलरामपुर से ऐसी ही ख़ौफ़नाक घटना सामने आई है।
हाथरस मामले से पहले से ही हाल के वर्षों में बलात्कार को लेकर नई धारणा बनकर उभरी है कि तमाम मामलों को जातीय व धार्मिक नज़रिए से देखा जाने लगा है। आख़िर क्यों?
हाथरस में मंगलवार देर रात ढाई बजे बिना घरवालों की मौजूदगी के पुलिस ने ही अंतिम संस्कार कर डाला। पीड़िता के परिजनों ने बुधवार सुबह आरोप लगाया कि पुलिस ने उनके साथ बर्बरता की और बेटी का चेहरा तक नहीं देखने दिया।
हाथरस की घटना के विरोध में दिल्ली के सफ़दरजंग में प्रदर्शन स्थल से ग़ायब कर दिए गए हैं। चंद्रशेखर के पीआरओ कुश अंबेडकर ने आरोप लगाया है कि दलित बेटी के दुष्कर्म और मौत का मामला बढ़ते देख चंद्रशेखर को ग़ायब किया गया है।
हाथरस में दलित लड़की से गैंग रेप होता है। उसकी जीभ कट जाती है। शरीर का ऊपरी हिस्सा पैरालाइज हो जाता है। अब योगी सरकार कह रही है कि रेप हुआ ही नहीं। क्यों इतनी बेशर्मी ? आशुतोष ने चर्चा की विजय त्रिवेदी, ताहिरा हसन, घनश्याम तिवारी, सिद्धार्थ कलहंस से।
पहले दिन से घटना को नकारने, फिर छिपाने और अब कमतर बताने में जुटी यूपी सरकार अब कह रही है कि मृतक लड़की के साथ दुष्कर्म की पुष्टि मेडिकल रिपोर्ट में नहीं हुई है।
ऑल इंडिया बैकवर्ड एंड माइनोरिटी कम्युनिटीज़ इंप्लाइज़ फेडरेशन के वरिष्ठ कार्यकर्ता देवजी माहेश्वरी की हत्या इसलिए कर दी गई कि वह ब्राह्रमणवाद की आलोचना करते हुए लेख अपने फ़ेसबुक पर पोस्ट करते थे।