नाम 'शांति मार्च'। और नारे लगाए गए- 'किसी को मत माफ़ करो, जिहादियों को साफ़ करो', 'देश के गद्दारों को, गोली मारो ... को'। यह कैसा शांति मार्च! क्या बंदूक़ की गोली से कभी शांति आ सकती है?