विवादों में रहे राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर यानी एनआरसी के पूर्व कोऑर्डिनेटर प्रतीक हजेला के ख़िलाफ़ भ्रष्टाचार करने के आरोप में एफ़आईआर दर्ज की गई है।
सुप्रीम कोर्ट ने असम के राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर यानी एनआरसी कोऑर्डिनेटर प्रतीक हजेला का तुरंत प्रभाव से तबादला करने का आदेश दिया है।
जिस असम में एनआरसी यानी राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर लागू हुआ है वहाँ बीजेपी की सदस्यता के लिए मुसलिमों की तादाद में एकाएक ज़बरदस्त बढ़ोतरी क्यों हुई है?
नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटीजंस की सूची जारी कर दी गई है और 19 लाख उससे बाहर रह गए हैं। तो क्या ये सारे लोग विदेशी हैं? और क्या यह खेल पूरे देश में दुहराया जाएगा?
जिस बीजेपी ने एनआरसी को सबसे बड़ा च़ुनावी मुद्दा बनाया था और पूरे राज्य में इसकी लहर फैला दी थी, वह अब नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटीजंस का विरोध भला क्यों कर रही है?
एनआरसी की सूची से बाहर रह गए 19 लाख लोगों के पास क्या विकल्प हैं? उनके साथ क्या सलूक किया जाएगा और वे अंत में कहाँ जाएंगे, इस पर अलग अलग तरह की बातें कही जा रही हैं।
असम में एनआरसी की सीमारेखा में सिर्फ़ 2 दिन बचे हैं, लाखों के सिर पर राज्यविहीन होने की तलवार लटक रही है। परिवार टूटने के कगार पर हैं, लोग बंदी शिविरों के डर से काँप रहे हैं।
तमाम राष्ट्रवादी सरकारों को आप्रवासी और विस्थापित समूह देश पर एक भार जैसे लगने लगे हैं और इन्हें देश की सीमा से बाहर करने के आदेश जारी करते रहते हैं।